Russian Ukraine War : युद्ध यानी नुकसान ही नुकसान. अब रूस -यूक्रेन युद्ध का असर हर तरफ दिख रहा है. दोनों देश के युद्ध में वहां के सैनिक, आम नागरिक के साथ-साथ भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पूरी दुनिया इस युद्ध की आग में झुलस रही है. चाहे वो भारत हो या अमेरिका. शेयर बाजार, क्रूड ऑयल, सोना या मंहगाई … हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है.
भारत को बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है. भारत का रूस और यूक्रेन, दोनों देशों के साथ काफी गहरा व्यापार का रिश्ता है. लिहाजा आयात-निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. सप्लाई चेन डिस्टर्ब हो गई है. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि युद्ध खिंचा तो अगले वित्त वर्ष में सरकार के राजस्व में 95 हजार करोड़ से एक लाख करोड़ रुपये तक कमी आ सकती है. साथ ही घरेलू महंगाई भी बढ़ेगी. क्योंकि सभी वस्तुओं व उत्पादों की कीमतों पर असर हो सकता है.
आइए बिंदुवार समझते हैं किन प्रमुख सेक्टर में भारी नुकसान हो रहा है…
शेयर बाजार
दुनिया भर के शेयर बाजार के साथ भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. युद्ध शुरू होने के शुरुआती समय से सेंसेक्स 5000 हजार अंक से ज्यादा गिर चुका है. आज यानी सोमवार 7 मार्च को भी सेंसेक्स लगभग 1500 अंक की गिरावट के साथ ट्रेड कर रहा है. इस गिरावट में भारतीय निवेशकों ने यूक्रेन की जीडीपी से ज्यादा पैसा गंवा दिया. 15 फरवरी के बाद से अब तक भारतीय इनवेस्टर्स को 15 लाख करोड़ रुपये (197 बिलियन डॉलर) से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
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क्रूड ऑयल
युद्ध ने क्रूड ऑयल की कीमतों में आग लगा दी है. युद्ध की शुरुआत पर ब्रेंट क्रूड ऑयल 100 डॉलर प्रति बैरल का रेट पार कर गया. यह सात साल का उच्चतम स्तर था. अब आज सोमवार यानी 7 मार्च को क्रूड ऑयल 140 डॉलर प्रति बैरल के भाव को छू रहा है. यह 13 साल का हाइस्ट लेवल है. क्रूड ऑयल ने मंहगाई के साथ कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं.
सोना
अंतरराष्ट्रीय बाजार के साथ घरेलू बाजार में भी सोने की कीमतों में सोमवार को अचानक तेजी आई. इससे वैश्विक बाजार में सोना 2000.69 डॉलर पहुंच गया, जो इसका 18 महीने का उच्च स्तर है. हालांकि, बाद में इसमें कुछ नरमी आई. इसके बावजूद यह 1.5 फीसदी चढ़कर 1,998.37 डॉलर पर चल रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से भारतीय बाजार में भी एमसीएक्स पर सोने का वायदा भाव 1.8 फीसदी तेजी के साथ 53,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच गया.
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दरअसल, रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध से दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में बनी अनिश्चितता के कारण निवेशक जोखिम वाले विकल्पों में निवेश से बच रहे हैं. इसलिए वे सुरक्षित निवेश के लिए सोने का रुख कर रहे हैं. यही वजह है कि इस युद्ध के दौरान निवेशकों में गोल्ड ईटीएफ में जमकर पैसा लगाया, जिससे सोने को और मजबूती मिली.
मंहगाई
अगले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल की मांग 8 से 10 प्रतिशत बढ़ती है, तो पूरे वर्ष में नुकसान एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंचेगा. ये कीमतें महंगाई पर सीधा असर डालेंगी. अप्रैल 2021 में 63.4 डॉलर से तेल की कीमतें जनवरी 2022 में 84.67 डॉलर तक पहुंच गईं, यानी करीब 33.5 फीसदी वृद्धि हुई. यह 100 डॉलर के पार चली गई हैं. अब क्रूड ऑयल 150 डॉलर की तरफ बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में मंहगाई तेजी से बढ़ेगी.
आयात बिल बढ़कर 600 डॉलर के पार
रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए भू-राजनीतिक जोखिम से खनिज तेल और गैस, रत्न और आभूषण, खाद्य तेल और उर्वरक जैसी वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे. इन चीजों के दाम बढ़ने से मुख्य रूप से भारत का इंपोर्ट बिल बढ़ जाएगा. इसके चलते वित्त वर्ष 2021-22 में वस्तुओं का आयात 600 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर सकता है, जो चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में 492.9 अरब अमेरिकी डॉलर था.
यूक्रेन कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक
सोने, प्लेटिनम और पैलेडियम जैसी मूल्यवान धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होगी. यूक्रेन कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है. आयात रुका तो गेहूं-मकई जैसे अनाज के दाम बढ़ सकते हैं. जनवरी में महंगाई र 6.01 फीसदी पर थी, जो 7 महीने में सर्वाधिक है.
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