रूस-यूक्रेन जंग: पुतिन के बयान से दुनिया चौंकी, जानिए क्यों है महाविनाश का खतरा?, हिरोशिमा को याद कर कांप जाती है रूह


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कैनबरा
Published by: सुरेंद्र जोशी
Updated Mon, 28 Feb 2022 10:30 AM IST

सार

फिलहाल यह जोखिम कम है कि वह यूक्रेन जंग में अमेरिका या नाटो के दखल के जवाब में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं, लेकिन यह भी मानकर बैठना गलत होगा कि पुतिन ऐसा नहीं कर सकते हैं। उनका इतिहास गवाह है कि वे देशहित में अति कठोर लेने से भी चूके नहीं हैं। 

परमाणु बम विस्फोट के बाद हिरोशिमा

परमाणु बम विस्फोट के बाद हिरोशिमा
– फोटो : Social media

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विस्तार

रूस व यूक्रेन के बीच पांचवें दिन भी जंग जारी है। रविवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ ही अमेरिका व नाटो को परोक्ष परमाणु धमकी दे दी है। उन्होंने अपनी सेना की परमाणु इकाई को हाई अलर्ट किया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पुतिन ने सिर्फ परमाणु भभकी दी है या असल में वे महाविनाश के इन हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं? 

पुतिन की नीति-रणनीति को लेकर कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि वे क्या कर सकते हैं या क्या नहीं कर सकते? उन्होंने रूस के रक्षा मंत्री व सेना प्रमुख को अपने सामरिक परमाणु बलों को हाई अलर्ट करने का निर्देश दिया है। इसे परोक्ष धमकी माना जा सकता है, लेकिन पुतिन अपने लक्ष्य को पाने के लिए कोई भी तरीका अपना सकते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। 

फिलहाल यह जोखिम कम है कि वह यूक्रेन जंग में अमेरिका या नाटो के दखल के जवाब में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दे सकते हैं, लेकिन यह भी मानकर बैठना गलत होगा कि पुतिन ऐसा नहीं कर सकते हैं। उनका इतिहास गवाह है कि वे देशहित में अति कठोर लेने से भी चूके नहीं हैं। 

दरअसल यूक्रेन जंग के बीच पुतिन की इस तैयारी से दुनिया के सामने परमाणु खतरा नए सिरे उठ खड़ा हुआ है। यह समूची दुनिया के लिए जागने का मौका है कि धरती को महाविनाश से बचाने के लिए वह एकजुट हो। सवाल यह है कि दुनियाभर के देश क्या परमाणु खतरे को खत्म करने के लिए मिलकर काम करेंगे या अलार्म के बटन को बंद कर फिर चैन की नींद सो जाएंगे? 

हमें समझना होगा कि परमाणु हथियार कोई काल्पनिक शस्त्र नहीं हैं। इनका उद्देश्य आक्रामकता को रोकना और स्थिरता बनाए रखना है। लेकिन जैसे-जैसे देश अपने परमाणु हथियारों के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण और विस्तार करते हैं, दुनिया की चिंता बढ़ जाती है। विशेषज्ञ परमाणु शस्त्रों की होड़ खत्म करने की चेतावनी देते हैं, लेकिन विश्व के राजनीतिज्ञ व सेना प्रमुख उन्हें नजरअंदाज करते हैं। 

ये हैं बड़े खतरे

  • यदि यूक्रेन जंग में अमेरिका या नाटो ने दखल दिया तो पुतिन परमाणु हमले का आदेश दे सकते हैं।
  • परमाणु हथियारों का इस्तेमाल खुद को महाशक्ति साबित करने व दुश्मन सेना या देश को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है। 
  • अंतिम विकल्प के रूप में इसे ब्रह्मास्त्र के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है
  • किसी पर दागी गई मिसाइल को गलती से परमाणु मिसाइल मानकर जवाब में परमाणु मिसाइल दागी जा सकती है। 
  • परमाणु हथियारों के कमान एंड कंट्रोल में किसी खराबी या हादसे की वजह से भी परमाणु बटन दब सकता है। 
  • यूक्रेन के पास परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन इससे परमाणु खतरा कम नहीं होता है। इस जंग के परमाणु युद्ध में बदलने की आशंका कायम है। 
  • यूरोप के देशों के पास पर्याप्त परमाणु हथियार हैं और इससे जुड़े किसी देश के इरादे को समझना मुश्किल है। 
  • रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। इतना ही नहीं वह युद्ध के मैदान में चलाए जाने वाले परमाणु शस्त्रों की  तकनीक जानने वाला महारथी देश भी है। 
  • दूसरी ओर यूक्रेन के सबसे शक्तिशाली रणनीतिक साझेदार अमेरिका के पास भी विशाल परमाणु भंडार है। नाटो के साझेदार फ्रांस और ब्रिटेन के पास भी उन्नत परमाणु शस्त्र हैं। नाटो के सदस्य देशों बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और तुर्की के पास भी अमेरिकी परमाणु हथियारों से लैस हैं। 
  • रूस की परोक्ष परमाणु धमकी से तनाव बढ़ सकता है, हालांकि अमेरिका व नाटो शुरू से कह रहे हैं कि वे इस जंग में सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे। 

77 साल पहले अमेरिका ने पहली बार हिरोशिमा व नागासाकी पर गिराए थे परमाणु बम

दरअसल अमेरिका ने आज से 77 साल पहले पहली बार जापान के हिरोशिमा व नागासाकी शहरों पर पहली बार परमाणु बम गिराए थे। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम हमला किया गया था। इसके तीन दिन बाद नागासाकी में दूसरा परमाणु बम गिराया गया। इनसे दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए थे। पलभर में  डेढ लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। जो जिंदा बचे वे अपंगता के शिकार हो गए। दोनों शहरों में दूर-दूर तक के इलाकों में घंटों तक काली बारिश होती रही। रेडियोएक्टिव विकिरण ने इन जिंदादिल शहरों को लाशों के ढेर में बदल दिया था। दुनिया के इतिहास में इससे भीषण जंग न पहले कभी हुई थी और ना ही इसके बाद अब तक देखने में मिली। मानवता पर इन जख्मों को याद कर हर किसी की रूह कांप जाती है।

 



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