सचिन 194 रन बनाकर क्रीज पर थे और राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी… युवराज ने बताया पूरा किस्सा


नई दिल्ली. 29 मार्च 2004, भारतीय फैंस के लिए एक ना भूलने वाला दिन. इसी दिन धुरंधर ओपनर वीरेंद्र सहवाग टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले पहले भारतीय बने. सहवाग की धमाकेदार पारी के बीच तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ ने भारतीय पारी घोषित करने का फैसला किया, जबकि दिग्गज सचिन तेंदुलकर तब 194 रन बनाकर क्रीज पर जमे थे. युवराज सिंह भी उस वक्त मैदान पर मौजूद थे जो सचिन तेंदुलकर के साथ बल्लेबाजी कर रहे थे. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के उस पहले मैच में पारी और 52 रन से जीत दर्ज की थी.

युवराज सिंह ने स्पोर्ट्स18 चैनल पर ‘होम ऑफ हीरोज’ कार्यक्रम में इस दिन को याद दिया और पूरी कहानी शेयर की. उन्होंने एक खास बातचीत में कहा, ‘हमें बीच में एक संदेश मिला कि हमें तेजी से खेलना है, और हम पारी घोषित करने जा रहे हैं.’ उन्होंने साथ ही कहा कि मैच में 1-2 ओवर से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था लेकिन पारी घोषित करने का फैसला ले लिया गया.

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अपने पहले टेस्ट अर्धशतक तक पहुंचने के बाद युवराज आउट हो गए और कप्तान द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी. युवराज ने 66 गेंदों की अपनी पारी में 8 चौकों की मदद से 59 रन बनाए. सचिन तब 194 रन के निजी स्कोर पर थे और क्रीज पर मौजूद थे. सचिन ने पहली पारी में 348 गेंद खेलीं और 21 चौके जमाए.

40 वर्षीय युवराज ने कहा, ‘वह (सचिन) एक और ओवर में 6 रन बना सकते थे और हमने उसके बाद 8-10 ओवर फेंके. मुझे नहीं लगता कि 1-2 ओवर से टेस्ट मैच पर कोई फर्क पड़ता.’ युवराज ने द्रविड़ की कॉल पर सचिन की निराशा को करीब से देखा.

करियर में 40 टेस्ट मैच खेलने वाले युवी ने आगे कहा, ‘अगर यह तीसरा या चौथा दिन होता, तो आपको टीम को पहले रखना होता. जब आप 150 पर होते तो वे घोषित कर देते. इस पर मतभेद हैं. मुझे लगता है कि टीम सचिन के 200 रन पूरे होने के बाद पारी घोषित कर सकती थी.’ युवराज ने लाहौर में अगले टेस्ट में शतक बनाया और तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 57.50 के प्रभावशाली औसत से 200 से ज्यादा रन बनाए.

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युवराज ने साथ ही कहा कि टेस्ट क्रिकेट में उन्हें लंबा सफर तय करने का मौका नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा, ‘यदि आप उस युग की तुलना आज के युग से करते हैं, तो आप देख सकते हैं कि खिलाड़ियों को 10-15 मैच मिलते हैं. तब मध्य क्रम इतना मजबूत था. आप उस युग को देखें, जैसे वीरू ने किसी पारी का आगाज किया. उसके बाद द्रविड़, सचिन, गांगुली और लक्ष्मण. मैंने लाहौर में शतक बनाया और अगले टेस्ट में मुझे ओपनिंग करने के लिए कहा गया.’ उनका टेस्ट करियर सिर्फ 40 मैचों तक सीमित रहा.

युवराज कहते हैं, ‘आखिरकार, जब मुझे दादा (सौरव गांगुली) के संन्यास के बाद टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका मिला तो मुझे कैंसर हो गया. यह सिर्फ दुर्भाग्य रहा. मैंने 24×7 कोशिश की. मैं 100 टेस्ट मैच खेलना चाहता था, उन तेज गेंदबाजों का सामना करना और 2 दिन बल्लेबाजी करना चाहता था. मैंने सब कुछ दिया, लेकिन शायद यह संभव होना नहीं था.’

Tags: Cricket news, India Vs Pakistan, Rahul Dravid, Sachin tendulkar, Yuvraj singh

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