ShivSena In Saamana: ‘भाजपा वह अजगर जो पूरा बकरा एक बार में निगलता है’ शिवसेना ने अपने बागी विधायकों को फिर चेताया


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महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच शिवसेना अब आक्रामक रुख अपनाते हुए अपने बागी विधायकों और भारतीय जनता पार्टी पर करारा हमला बोला है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने बागी विधायकों को जहां गर्त से निकलने की सलाह दी है तो वहीं भाजपा को नारद मुनि से लेकर खतरनाक अजगर तक बता दिया है। सामना में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। इतना ही नहीं इस लेख में देवेंद्र फडणवीस को भी चेतावनी दी गई है।
भाजपा वह अजगर जो पूरा बकरा एक बार में निगलता है: शिवसेना
अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि भाजपा अपने मित्रों, सहयोगी पक्षों का ‘निवाला’ निगलने पर ही शांत होती है, ये अब झाड़ी में बैठे विधायक और नेताओं को जल्द ही पता चलेगा। इन विधायकों के गुट को महाशक्ति के अजगर ने लपेट लिया है। ये अजगर पूरा बकरा जैसे निगलता है, वैसे ही आगे चलकर इस गुट को भी निगल जाएगा। भाजपा कहें तो सर्वत्र है, लेकिन कहीं भी नहीं! उनका काम नारद मुनि की तरह चलता है। 

‘गर्त’ से बाहर निकलें बागी विधायक: शिवसेना 
सामना में आगे लिखा गया है कि गुवाहाटी में ‘झाड़ी-पहाड़-होटल’ वगैरह है लेकिन महाराष्ट्र में शिवराय और बालासाहेब ठाकरे का विचार है। शाहू, फुले, आंबेडकर की नीति है। पहला कहना है कि ‘गर्त’ से बाहर निकलो और दूसरा यह कि भाजपा इस ‘गर्त’ में नहीं कूदे। महाराष्ट्र में भगवा की ही विजय होगी। पंचावन से एक सौ पंचावन करने की ताकत ‘मनहाटी’ बाजुओं में है। विचारों की विजय इसे ही कहते हैं!

राम का नाम लेते हो रावण जैसा काम करते हो: शिवसेना
सामना में बागी विधायकों को सख्त शब्दों में कहा गया है कि महाविकास आघाड़ी नहीं चाहिए न? फिर आओ यहां। मेरे सामने बैठो, शिवसैनिकों और जनता के मन का संभ्रम दूर करो। किसी के बहकावे की बलि मत चढ़ो। नया खेल खेलेंगे, लेकिन फिर उसी निष्ठा से काम करोगे क्या? राम का नाम लेते हो और रावण का कार्य करते हो! शिवसेना की अयोध्या जलाने ही ये लोग निकले हैं। श्रीराम सर्वशक्तिमान हैं।

बागियों को सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से राहत ही दी: शिवसेना
सियासी संकट में अब कोर्टबाजी शुरू हो गई है। लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंकर राजनीति खेल रहे हैं। ‘होटल, पहाड़, झाड़ियों’ में बैठे विधायकों पर 11 तारीख तक कोई कार्रवाई न करें, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। यह एक प्रकार की ‘राहत’ ही है। उस राहत का लाभार्थी कौन, इसका खुलासा भविष्य में होगा ही।

विस्तार

महाराष्ट्र में चल रहे सियासी घमासान के बीच शिवसेना अब आक्रामक रुख अपनाते हुए अपने बागी विधायकों और भारतीय जनता पार्टी पर करारा हमला बोला है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने बागी विधायकों को जहां गर्त से निकलने की सलाह दी है तो वहीं भाजपा को नारद मुनि से लेकर खतरनाक अजगर तक बता दिया है। सामना में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। इतना ही नहीं इस लेख में देवेंद्र फडणवीस को भी चेतावनी दी गई है।

भाजपा वह अजगर जो पूरा बकरा एक बार में निगलता है: शिवसेना

अपने मुखपत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि भाजपा अपने मित्रों, सहयोगी पक्षों का ‘निवाला’ निगलने पर ही शांत होती है, ये अब झाड़ी में बैठे विधायक और नेताओं को जल्द ही पता चलेगा। इन विधायकों के गुट को महाशक्ति के अजगर ने लपेट लिया है। ये अजगर पूरा बकरा जैसे निगलता है, वैसे ही आगे चलकर इस गुट को भी निगल जाएगा। भाजपा कहें तो सर्वत्र है, लेकिन कहीं भी नहीं! उनका काम नारद मुनि की तरह चलता है। 

‘गर्त’ से बाहर निकलें बागी विधायक: शिवसेना 

सामना में आगे लिखा गया है कि गुवाहाटी में ‘झाड़ी-पहाड़-होटल’ वगैरह है लेकिन महाराष्ट्र में शिवराय और बालासाहेब ठाकरे का विचार है। शाहू, फुले, आंबेडकर की नीति है। पहला कहना है कि ‘गर्त’ से बाहर निकलो और दूसरा यह कि भाजपा इस ‘गर्त’ में नहीं कूदे। महाराष्ट्र में भगवा की ही विजय होगी। पंचावन से एक सौ पंचावन करने की ताकत ‘मनहाटी’ बाजुओं में है। विचारों की विजय इसे ही कहते हैं!

राम का नाम लेते हो रावण जैसा काम करते हो: शिवसेना

सामना में बागी विधायकों को सख्त शब्दों में कहा गया है कि महाविकास आघाड़ी नहीं चाहिए न? फिर आओ यहां। मेरे सामने बैठो, शिवसैनिकों और जनता के मन का संभ्रम दूर करो। किसी के बहकावे की बलि मत चढ़ो। नया खेल खेलेंगे, लेकिन फिर उसी निष्ठा से काम करोगे क्या? राम का नाम लेते हो और रावण का कार्य करते हो! शिवसेना की अयोध्या जलाने ही ये लोग निकले हैं। श्रीराम सर्वशक्तिमान हैं।

बागियों को सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से राहत ही दी: शिवसेना

सियासी संकट में अब कोर्टबाजी शुरू हो गई है। लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंकर राजनीति खेल रहे हैं। ‘होटल, पहाड़, झाड़ियों’ में बैठे विधायकों पर 11 तारीख तक कोई कार्रवाई न करें, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है। यह एक प्रकार की ‘राहत’ ही है। उस राहत का लाभार्थी कौन, इसका खुलासा भविष्य में होगा ही।



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