तो यह है मुर्तजा का सच!: होमो सेक्सुअल, तलाक और अल्लाह खफा…,गोरखपुर कांड के आरोपी पर रोज नए-नए खुलासे


गोरखनाथ मंदिर के सुरक्षा कर्मियों पर हमले के आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी के बारे में नया खुलासा हुआ है। आरोपी अहमद मुर्तजा अब्बासी जिहाद की नर्सरी तैयार कर रहा था। पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले तक मुर्तजा ने कई बैंक खातों में रुपये भेजकर फंडिंग मुहैया कराई थी। इसके अलावा उसके पास से एटीएस को पासपोर्ट भी मिला। एटीएस को पता चला है कि मुंबई में मुर्तजा का आवास ताज हाइट्स प्लाट नंबर 69 नवी मुंबई में है। उसका जन्म 5 जनवरी 1992 को गोरखपुर में अब्बासी नर्सिंग होम में हुआ था। मुर्तजा ने केमिकल इंजीनियरिंग के दौरान कट्टरपंथी विचारों की वजह से आतंकवाद की ओर बढ़ गया। जांच एजेंसी को पता चला है कि आतंकी के मरने पर खुशी मनाने पर मुर्तजा अपने दोस्तों से नाराज हो जाता था। साथियों से बातचीत के बाद पता चला कि अगर कोई आतंकी पकड़ा या मारा जाता था, तो उसके सहपाठी खुशी जाहिर करते थे। तब उसको बहुत गुस्सा आता था। कई बार वो सहपाठियों को मारने के बारे में सोचता था।

मुर्तजा को लगता था कि मुस्लिमों को परेशान किया जा रहा

मुर्तजा को लगने लगा था कि मुस्लिम समुदाय को पूरी दुनिया परेशान कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में मुर्तजा ने बताया कि 2017 में इंटरनेट पर कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सीखने लगा। यहीं उसको ऐसे विचार आने लगे कि वो जन्नत में है, अल्लाह उससे खफा है। 

मुर्तजा को लगा कि वो होमो सेक्सुअल है। जब ये बातें घरवालों को पता चलीं, तो उन्होंने इलाज कराना शुरू कराया। डॉक्टरों ने इसे हाइपोमेनिया बीमारी करार दी। जून 2019 में मुर्तजा की शादी जौनपुर के कटघरा निवासी लड़की से हुई। तीन महीने बाद ही उसका तलाक हो गया। 

 

तलाक भी मोबाइल फोन से दिया था। जनवरी 2020 से वह हाईटेक कंप्यूटर कोडिंग सीखने लगा। इसी दौरान एक बार फिर सीरिया के लोगों के संपर्क में आया। उनसे प्रभावित होकर आठ लाख रुपये नेपाली खातों से उन्हें दे दिए। मुर्तजा को लगने लगा था कि मुस्लिमों को पूरी दुनिया परेशान कर रही है।

 

नेपाल सीमा के मदरसों में भी रहा मुर्तजा

अपनी कट्टरपंथी विचारधारा के चलते वह जिहादी मानसिकता का हो गया। इस बीच नेपाल सीमा पर स्थित संदिग्ध मदरसों में जाकर तकरीरें सुनने लगा। उसने मुजाहिद बनने की ठान ली। उसे लगता है कि अल्लाह की राह पर चलने का एक मात्र यही रास्ता है, काफिरों का सफाया। 

 



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