घर वापसी वेब सीरीज पर विशेष लेख: पराई ‘वापसी’


वर्षा चौधुरी

हाल ही में डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम वेब सीरीज़ देखी- ‘घर वापसी’. अच्छी लगी. फिर सीरीज में पोहा-जलेबी थी तो मेरा देखना तो बनता ही है, अपने इंदौर में जो बनी है. वेब सीरीज़ में इंदौर रहेगा नंबर वन का गाना, खाने की थाली में नमकीन, तेज़ भागती सड़कें, छप्पन दुकान और सबसे बड़ी बात इंदौरी बोली. चेहरे पर मुस्कान ले आया पर कुछ अधूरापन सा था. मन में अजीब एहसास था. मानो जो सामने है वो अपना होकर भी अपना सा नहीं है, लेकिन ऐसा क्यों? जिस शहर में बड़े हुए, गलियों में स्कूटी चलाना सीखी आज वो बेगानी सी क्यों लग रही हैं?

लौटते हैं वेब सीरीज़ ‘घर वापसी’ पर, जिसमें इंदौर के द्विदी जी के बड़े बेटे शेखर की घर वापसी होती है. जो बैंगलोर में काम करता था. कुछ महीनों पहले ही सोनी लिव पर भी एक वेब सीरीज देखी नाम है ‘निर्मल पाठक की घर वापसी’, जिसमें निर्मल घर लौटे थे. दोनों वेब सीरीज़ की कहानियां और पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग है. एक मध्य प्रदेश की है तो दूसरी बिहार की, लेकिन दोनों ही सीरीज में वापसी घर के बेटों की ही हुई.

फिर सोचा शायद यही वो एहसास है जो बार-बार मन में उठ रहा था. वापसी तो उसी की होगी न जिसके लौटने का इंतज़ार हो या जिसके पास लौटने का ठिकाना हो, घर हो. हम लड़कियां तो शुरु से घर के मामले में मायके और ससुराल में बंटी रही हैं. माहौल के हिसाब से कब-कब कैसे खुद को ढाल लेना है, ये सब तो हमने बचपन के खेलों में ही सीख लिया था. रही सही कसर, पराया धन कह-कह कर आस-पास की आंटियों और बूढ़ी अम्माओं ने पूरी कर दी. ऐसा लगता था कि विक्रम-बेताल के विक्रम हम लोग हैं, जिनके कंधे पर पाराया होने का बैताल हमेशा चढ़ा रहता है. लाख कोशिश करो, लेकिन वो ऐसा चिपका कि उतरा ही नहीं. न लोगों की सोच से न ही घरवालों के व्यवहार से.

इसलिए हम लड़कियां जहां रहीं, उसी में रच बस गईं. शायद यही वजह है कि पराए घर की लड़की को कभी कोई शहर पराया लगा ही नहीं. हमने अपनी अलग पहचान बनाई, जहां रहे उसे ही घर बना लिया और ‘वापसी’ शब्द पराया हो गया.

कहते हैं कि लौटना हमेशा सुखद होता है. सुबह काम के लिए निकलना और लौटकर घर आना. दूर घूमने जाना और लौट घर आना. यादों के ज़रिए पुराने व़क्त में लौटना और उन लम्हों को फिर से जी लेना. अगर आपको ऐसी कोई फिल्म या वेब सीरीज़ याद हो जिसमें लड़की ने ‘घर वापसी’ की है, तो ज़रुर बताइएगा. मुझे देखना है. लेकिन कुछ दिन रहने या शादी के लिए घर आने वाली बात ना हो. वो उसी तरह लौटी हो जैसे शेखर और निर्मल ने वापसी की. घर, एजेंसी, खानदानी विरासत पर अपना पूरा हक़ समझ कर लौटी हो, जहां वो लौटी हो, कभी वापसी ना करने के लिए.

वर्षा चौधुरी फ्रीलान्स लेखक, कंसलटेंट, स्क्रिप्ट राइटर हैं उन्होंने समाचार पत्र नवभारत (भोपाल), BAG Films और सहारा समय में कार्य किया है. साथ ही  वेबदुनिया इंदौर के लिए कॉलम लिखे हैं. Discovey और Netflix के लिए कार्यकमों का हिंदी रूपांतरण किया है. वो एक community WhatsApp पत्रिका प्रकाशित करती हैं साथ ही बच्चों के बीच मीडिया जागरूकता फैलाने के लिए वर्कशॉप भी कर रही हैं. संपर्क: [email protected]

Tags: Entertainment, News18 Hindi, Web Series

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