Spice Garden: उत्तराखंड के सौनी में तैयार हुआ देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन, ये है खास


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उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सौनी में देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है। गार्डन का उद्घाटन पद्म श्री शेखर पाठक ने किया और उन्होंने इसे स्थानीय किसानों के लिए बेहद लाभदायक बताया। वन्य जीव भी इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जिससे मसालों की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। वर्तमान में वन विभाग ने यहां 27 से 30 प्रकार के मसालों का बगीचा स्थापित किया है। अन्य प्रजातियों पर भविष्य में अनुसंधान भी किया जाएगा।

 वन विभाग (रिसर्च) ने जायका परियोजना की मदद से रानीखेत वन क्षेत्र के सौनी में स्पाइस गार्डन विकसित किया है। पद्मश्री शेखर पाठक ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को मसाला उत्पादन के लिए प्रेरित कर उनकी आय बढ़ाई जा सकती है। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि पर्यटन विकास की दृष्टि से भी ये बगीचा फायदेमंद साबित होगा।

उत्तराखंड वन अनुसंधान सलाहकार जोगेंद्र बिष्ट ने स्पाइस गार्डन का महत्व बताया और उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गार्डन में जंगलों में उगने वाली और किसानों के खेतों में पैदा होने वाली विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा। इस दौरान वन विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

मसालों की ये प्रजातियां की गई हैं विकसित

जंबू, काला जीरा, वन अजवाइन, दालचीनी, करी पत्ता, तिमूर, बद्री तुलसी, चक्री फूल, केसर, इलायची, अल्मोड़ापत्ती, लखोरी मिर्च, जंगली हींग, हिमालयन हींग, एलूम, वन हल्दी, तेजपात, डोलू आदि।

सौनी में पांच एकड़ भूमि में हिमालयन स्पाइस गार्डन की स्थापना की गई है। फिलहाल 27 से 30 प्रकार के मसालों की प्रजातियां विकसित की गई हैं। देश में अपनी तरह का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन है। हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली मसालों की प्रजातियों को यहां विकसित किया गया है। 10 से अधिक प्याज की प्रजातियां विकसित की गई हैं। इससे भविष्य में जहां पर्यटन विकास होगा, वहीं मसालों की खेती को लेकर किसान भी जागरूक होंगे।
-संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक।

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उत्तराखंड के अल्मोड़ा में सौनी में देश का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन अस्तित्व में आ गया है। गार्डन का उद्घाटन पद्म श्री शेखर पाठक ने किया और उन्होंने इसे स्थानीय किसानों के लिए बेहद लाभदायक बताया। वन्य जीव भी इन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, जिससे मसालों की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है। वर्तमान में वन विभाग ने यहां 27 से 30 प्रकार के मसालों का बगीचा स्थापित किया है। अन्य प्रजातियों पर भविष्य में अनुसंधान भी किया जाएगा।

 वन विभाग (रिसर्च) ने जायका परियोजना की मदद से रानीखेत वन क्षेत्र के सौनी में स्पाइस गार्डन विकसित किया है। पद्मश्री शेखर पाठक ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र के किसानों को मसाला उत्पादन के लिए प्रेरित कर उनकी आय बढ़ाई जा सकती है। मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने कहा कि पर्यटन विकास की दृष्टि से भी ये बगीचा फायदेमंद साबित होगा।

उत्तराखंड वन अनुसंधान सलाहकार जोगेंद्र बिष्ट ने स्पाइस गार्डन का महत्व बताया और उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गार्डन में जंगलों में उगने वाली और किसानों के खेतों में पैदा होने वाली विभिन्न प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा। इस दौरान वन विभाग के तमाम अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

मसालों की ये प्रजातियां की गई हैं विकसित

जंबू, काला जीरा, वन अजवाइन, दालचीनी, करी पत्ता, तिमूर, बद्री तुलसी, चक्री फूल, केसर, इलायची, अल्मोड़ापत्ती, लखोरी मिर्च, जंगली हींग, हिमालयन हींग, एलूम, वन हल्दी, तेजपात, डोलू आदि।

सौनी में पांच एकड़ भूमि में हिमालयन स्पाइस गार्डन की स्थापना की गई है। फिलहाल 27 से 30 प्रकार के मसालों की प्रजातियां विकसित की गई हैं। देश में अपनी तरह का पहला हिमालयन स्पाइस गार्डन है। हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली मसालों की प्रजातियों को यहां विकसित किया गया है। 10 से अधिक प्याज की प्रजातियां विकसित की गई हैं। इससे भविष्य में जहां पर्यटन विकास होगा, वहीं मसालों की खेती को लेकर किसान भी जागरूक होंगे।

-संजीव चतुर्वेदी, मुख्य वन संरक्षक।



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