सपा का बड़ा दांव: मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़े कानून का वादा कर सकते हैं अखिलेश, इस तबके को साधने की कोशिश


सार

उत्तर प्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इनका प्रभाव लगभग 143 विधानसभा सीटों पर माना जाता है। 107 सीटों पर होने वाली हार-जीत में इनकी प्रभावी भूमिका होती है। 

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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों वोटरों को लुभाने के लिए समाजवादी पार्टी बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रही है। अखिलेश यादव अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में सपा सरकार बनने पर मॉब लिंचिंग विरोधी कानून लाने का वादा कर सकते हैं। इसमें मॉब लिंचिंग का आरोप सिद्ध होने पर दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड देने तक का कड़ा प्रावधान किए जाने का वादा किया जा सकता है। दोषियों की मदद करने, उन्हें छिपाने या मामले के गवाहों को डराने-धमकाने वालों को भी कठोर सजा देने का प्रस्ताव किया जा सकता है। सपा का यह प्रस्तावित मॉब लिंचिंग कानून काफी हद तक पश्चिम बंगाल के कानून से प्रभावित हो सकता है, जिसमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं।

यह है सपा का प्लान

सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए इस तरह का कानून लाने का वादा करने जा रही है। मुस्लिम मतदाता सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी के पक्ष में मतदान करते आए हैं। इस विधानसभा चुनाव में वे सपा-आरएलडी गठबंधन के साथ बताए जा रहे हैं, लेकिन भारी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मायावती ने सपा की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। असदुद्दीन ओवैसी के भी मैदान में आने से कुछ मुस्लिम मतदाताओं के बिखरने का खतरा बढ़ गया है। थोड़े से वोटों के अंतर से होने वाली हार-जीत में ये मतदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं। यही कारण है कि मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह अपने पाले में लाने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बड़ी राजनीतिक घोषणा कर  सकते हैं।

यूपी में 143 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव

उत्तर प्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इनका प्रभाव लगभग 143 विधानसभा सीटों पर माना जाता है। 107 सीटों पर होने वाली हार-जीत में इनकी प्रभावी भूमिका होती है। लगभग 36 सीटों पर मुस्लिम मतदाता अकेले दम पर किसी भी राजनीतिक दल का भविष्य तय कर सकते हैं। यही कारण है कि सपा इस वोट बैंक को किसी भी कीमत पर अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। 

भाजपा के खिलाफ नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश

भाजपा और योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने शासनकाल में तीन तलाक विरोधी कानून, लव जिहाद कानून और बूचड़खाने पर प्रतिबंध लगाने जैसे सख्त कानून लाकर मुस्लिम मतदाताओं को नाराज करने का काम किया था। माना जाता है कि इन कानूनों के कारण प्रदेश के मुस्लिम भाजपा के खिलाफ हैं। ऐसे में सपा द्वारा एंटी मॉब लिंचिंग कानून का वादा मुसलमान वोटरों को लुभा सकता है। इसके अलावा सपा ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने, पुरानी पेंशन बहाल करने, 10 रुपये में गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने और शहरी गरीबों को भी मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी कानून लाने का वायदा किया है। सपा के घोषणा पत्र में इन्हें भी जगह दी जा सकती है।     

पश्चिम बंगाल का एंटी मॉब लिंचिंग कानून

देश में पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड की विधानसभाओं में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित किए जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल का कानून सबसे कठोर माना जाता है, जिसमें मॉब लिंचिंग के दोषियों को मृत्युदंड देने के साथ-साथ भारी जुर्माने का भी प्रावधान है। इसमें मॉब लिंचिंग किसे कहा जाएगा, इसे भी परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार, किसी दो या दो से ज्यादा व्यक्तियों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या उसके परिवार का धार्मिक, जातीय, लिंग, स्थान, भाषा, राजनीतिक विचारधारा के आधार पर भेद करने, उसे प्रताड़ित करने या चोट पहुंचाने को मॉब लिंचिंग कहा गया है। 

कानून में पीड़ित की मौत पर दोषी को मृत्यु दंड और पांच लाख रुपये के जुर्माने, गंभीर चोट लगने पर 10 साल कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और तीन लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा साधारण चोट या भेदभावजनक व्यवहार करने पर एक लाख रुपये तक के जुर्माने और एक साल तक की सजा का प्रावधान है। पश्चिम बंगाल के मॉब लिंचिंग विरोधी कानून में दोषी को छिपाने या गवाहों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है।  

राजस्थान का एंटी मॉब लिंचिंग कानून

राजस्थान विधानसभा में भी एंटी मॉब लिंचिंग एक्ट पारित किया जा चुका है। इसमें मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मृत्यु होने पर दोषी को आजीवन कारावास देने और पांच लाख रुपये तक का अर्थदंड दिया जा सकता है। पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस तरह के आरोपों को गैरजमानती और संज्ञेय अपराध घोषित किया गया है। मामले की जांच इंस्पेक्टर या उससे ऊपर स्तर का अधिकारी ही कर सकेगा। राजस्थान में मॉब लिंचिंग की 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस तरह का कठोर कानून बनाने का निर्णय लिया था।

झारखंड का मॉब लिंचिंग विरोधी बिल

झारखंड राज्य के ‘मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक, 2021’ में भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए। इसमें मॉब लिंचिंग के दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को आजीवन कारावास देने का कानून है। दिसंबर 2021 में झारखंड विधानसभा द्वारा पास किए गए इस विधेयक में पीड़ित की मृत्यु होने पर दोषी को आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उसकी चल-अचल संपत्तियों की कुर्की का भी प्रावधान है। पीड़ित को सामान्य चोट पहुंचाने पर मॉब लिंचिंग के दोषी को तीन साल की कैद और न्यूनतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ये आरोप गैरजमानती और संज्ञेय बनाए गए हैं। 

विस्तार

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों वोटरों को लुभाने के लिए समाजवादी पार्टी बड़ा दांव खेलने की तैयारी कर रही है। अखिलेश यादव अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में सपा सरकार बनने पर मॉब लिंचिंग विरोधी कानून लाने का वादा कर सकते हैं। इसमें मॉब लिंचिंग का आरोप सिद्ध होने पर दोषी को आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड देने तक का कड़ा प्रावधान किए जाने का वादा किया जा सकता है। दोषियों की मदद करने, उन्हें छिपाने या मामले के गवाहों को डराने-धमकाने वालों को भी कठोर सजा देने का प्रस्ताव किया जा सकता है। सपा का यह प्रस्तावित मॉब लिंचिंग कानून काफी हद तक पश्चिम बंगाल के कानून से प्रभावित हो सकता है, जिसमें इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए गए हैं।

यह है सपा का प्लान

सूत्रों के मुताबिक, समाजवादी पार्टी मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए इस तरह का कानून लाने का वादा करने जा रही है। मुस्लिम मतदाता सपा, बसपा, कांग्रेस और आरएलडी के पक्ष में मतदान करते आए हैं। इस विधानसभा चुनाव में वे सपा-आरएलडी गठबंधन के साथ बताए जा रहे हैं, लेकिन भारी संख्या में मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर मायावती ने सपा की राह में मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। असदुद्दीन ओवैसी के भी मैदान में आने से कुछ मुस्लिम मतदाताओं के बिखरने का खतरा बढ़ गया है। थोड़े से वोटों के अंतर से होने वाली हार-जीत में ये मतदाता अहम भूमिका निभा सकते हैं। यही कारण है कि मुस्लिम मतदाताओं को पूरी तरह अपने पाले में लाने के लिए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव बड़ी राजनीतिक घोषणा कर  सकते हैं।

यूपी में 143 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव

उत्तर प्रदेश में लगभग 20 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इनका प्रभाव लगभग 143 विधानसभा सीटों पर माना जाता है। 107 सीटों पर होने वाली हार-जीत में इनकी प्रभावी भूमिका होती है। लगभग 36 सीटों पर मुस्लिम मतदाता अकेले दम पर किसी भी राजनीतिक दल का भविष्य तय कर सकते हैं। यही कारण है कि सपा इस वोट बैंक को किसी भी कीमत पर अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। 

भाजपा के खिलाफ नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश

भाजपा और योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने शासनकाल में तीन तलाक विरोधी कानून, लव जिहाद कानून और बूचड़खाने पर प्रतिबंध लगाने जैसे सख्त कानून लाकर मुस्लिम मतदाताओं को नाराज करने का काम किया था। माना जाता है कि इन कानूनों के कारण प्रदेश के मुस्लिम भाजपा के खिलाफ हैं। ऐसे में सपा द्वारा एंटी मॉब लिंचिंग कानून का वादा मुसलमान वोटरों को लुभा सकता है। इसके अलावा सपा ने 300 यूनिट बिजली मुफ्त देने, पुरानी पेंशन बहाल करने, 10 रुपये में गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने और शहरी गरीबों को भी मनरेगा की तर्ज पर रोजगार गारंटी कानून लाने का वायदा किया है। सपा के घोषणा पत्र में इन्हें भी जगह दी जा सकती है।     

पश्चिम बंगाल का एंटी मॉब लिंचिंग कानून

देश में पश्चिम बंगाल, राजस्थान और झारखंड की विधानसभाओं में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित किए जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल का कानून सबसे कठोर माना जाता है, जिसमें मॉब लिंचिंग के दोषियों को मृत्युदंड देने के साथ-साथ भारी जुर्माने का भी प्रावधान है। इसमें मॉब लिंचिंग किसे कहा जाएगा, इसे भी परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार, किसी दो या दो से ज्यादा व्यक्तियों द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या उसके परिवार का धार्मिक, जातीय, लिंग, स्थान, भाषा, राजनीतिक विचारधारा के आधार पर भेद करने, उसे प्रताड़ित करने या चोट पहुंचाने को मॉब लिंचिंग कहा गया है। 

कानून में पीड़ित की मौत पर दोषी को मृत्यु दंड और पांच लाख रुपये के जुर्माने, गंभीर चोट लगने पर 10 साल कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और तीन लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा साधारण चोट या भेदभावजनक व्यवहार करने पर एक लाख रुपये तक के जुर्माने और एक साल तक की सजा का प्रावधान है। पश्चिम बंगाल के मॉब लिंचिंग विरोधी कानून में दोषी को छिपाने या गवाहों को नुकसान पहुंचाने वाले लोगों के लिए भी कठोर दंड का प्रावधान है।  

राजस्थान का एंटी मॉब लिंचिंग कानून

राजस्थान विधानसभा में भी एंटी मॉब लिंचिंग एक्ट पारित किया जा चुका है। इसमें मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मृत्यु होने पर दोषी को आजीवन कारावास देने और पांच लाख रुपये तक का अर्थदंड दिया जा सकता है। पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की सजा और 50 हजार से तीन लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस तरह के आरोपों को गैरजमानती और संज्ञेय अपराध घोषित किया गया है। मामले की जांच इंस्पेक्टर या उससे ऊपर स्तर का अधिकारी ही कर सकेगा। राजस्थान में मॉब लिंचिंग की 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस तरह का कठोर कानून बनाने का निर्णय लिया था।

झारखंड का मॉब लिंचिंग विरोधी बिल

झारखंड राज्य के ‘मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग रोकथाम विधेयक, 2021’ में भी इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े प्रावधान किए गए। इसमें मॉब लिंचिंग के दोषी पाए जाने वाले अपराधियों को आजीवन कारावास देने का कानून है। दिसंबर 2021 में झारखंड विधानसभा द्वारा पास किए गए इस विधेयक में पीड़ित की मृत्यु होने पर दोषी को आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। उसकी चल-अचल संपत्तियों की कुर्की का भी प्रावधान है। पीड़ित को सामान्य चोट पहुंचाने पर मॉब लिंचिंग के दोषी को तीन साल की कैद और न्यूनतम एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। ये आरोप गैरजमानती और संज्ञेय बनाए गए हैं। 

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