अमन अरोड़ा की कहानी: कांग्रेस से दो बार चुनाव हारे, आप ने बदली किस्मत, पहली बार विधायक तो अब मंत्री बने


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पंजाब कैबिनेट में स्थान पाने वाले सुनाम से लगातार दूसरी बार विधायक बने अमन अरोड़ा लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे। उनके पिता स्वर्गीय बाबू भगवान दास अरोड़ा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे। 1992 और 1997 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करके बाबू भगवान दास अरोड़ा ने सियासत में अपनी धाक जमाई थी। लेकिन साल 2000 में उनके अचानक निधन के बाद अमन अरोड़ा ने सियासी गतिविधियों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई। 

मगर इस दौरान पारिवारिक मनमुटाव उनके सियासी जीवन को आगे बढ़ने में रुकावटें डालता रहा। कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में अमन अरोड़ा ने 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन पारिवारिक खींचतान और भितरघात की वजह से वह चुनाव जीत नहीं सके। आखिरकार अमन अरोड़ा ने 2016 में आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और 2017 का विस चुनाव करीब 30 हजार मतों के अंतर से जीते। विपक्ष में रहने के बावजूद उन्होंने लोगों के मुद्दों को लेकर संघर्ष किया और निजी सेवा केंद्र स्थापित कर लोगों तक जनकल्याण की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का बीड़ा उठाया। 

2022 विस चुनाव में पंजाब में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इतना ही नहीं विपक्ष के हमलों का जवाब देने में अमन अरोड़ा सबसे आगे रहते हैं और पार्टी की ढाल बन तर्क के साथ विरोधियों को जवाब देने में माहिर हैं। विधानसभा के सत्र में भी उन्होंने विरोधियों पर जमकर निशाने साधे। पंजाब में आप की एकतरफा जीत के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि अमन अरोड़ा का मंत्री बनना तय है। मगर पहले उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। 

उपचुनाव के बाद बदले हालात

संगरूर लोकसभा उपचुनाव में भले ही आप यह सीट हार गई लेकिन सुनाम विधानसभा से आप बढ़त बनाने में सफल रही। सियासी जानकार मान रहे हैं कि उपचुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के संगठन में मंथन प्रक्रिया में गंभीरता आई है और बदले हालात ने पार्टी को अमन अरोड़ा को मंत्री बनाने पर विवश किया है। 

बहरहाल, अमन अरोड़ा के मंत्री बनने से उनके इलाके में खुशी की लहर है और संगरूर संसदीय इलाके की जनता उम्मीद कर रही है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, शिक्षा मंत्री मीत हेयर और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा इलाके का पिछड़ापन दूर करेंगे।

विस्तार

पंजाब कैबिनेट में स्थान पाने वाले सुनाम से लगातार दूसरी बार विधायक बने अमन अरोड़ा लंबे समय तक कांग्रेस से जुड़े रहे। उनके पिता स्वर्गीय बाबू भगवान दास अरोड़ा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे और कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे थे। 1992 और 1997 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करके बाबू भगवान दास अरोड़ा ने सियासत में अपनी धाक जमाई थी। लेकिन साल 2000 में उनके अचानक निधन के बाद अमन अरोड़ा ने सियासी गतिविधियों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई। 

मगर इस दौरान पारिवारिक मनमुटाव उनके सियासी जीवन को आगे बढ़ने में रुकावटें डालता रहा। कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में अमन अरोड़ा ने 2007 और 2012 का विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन पारिवारिक खींचतान और भितरघात की वजह से वह चुनाव जीत नहीं सके। आखिरकार अमन अरोड़ा ने 2016 में आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया और 2017 का विस चुनाव करीब 30 हजार मतों के अंतर से जीते। विपक्ष में रहने के बावजूद उन्होंने लोगों के मुद्दों को लेकर संघर्ष किया और निजी सेवा केंद्र स्थापित कर लोगों तक जनकल्याण की योजनाओं का लाभ पहुंचाने का बीड़ा उठाया। 

2022 विस चुनाव में पंजाब में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इतना ही नहीं विपक्ष के हमलों का जवाब देने में अमन अरोड़ा सबसे आगे रहते हैं और पार्टी की ढाल बन तर्क के साथ विरोधियों को जवाब देने में माहिर हैं। विधानसभा के सत्र में भी उन्होंने विरोधियों पर जमकर निशाने साधे। पंजाब में आप की एकतरफा जीत के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि अमन अरोड़ा का मंत्री बनना तय है। मगर पहले उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। 

उपचुनाव के बाद बदले हालात

संगरूर लोकसभा उपचुनाव में भले ही आप यह सीट हार गई लेकिन सुनाम विधानसभा से आप बढ़त बनाने में सफल रही। सियासी जानकार मान रहे हैं कि उपचुनाव के बाद आम आदमी पार्टी के संगठन में मंथन प्रक्रिया में गंभीरता आई है और बदले हालात ने पार्टी को अमन अरोड़ा को मंत्री बनाने पर विवश किया है। 

बहरहाल, अमन अरोड़ा के मंत्री बनने से उनके इलाके में खुशी की लहर है और संगरूर संसदीय इलाके की जनता उम्मीद कर रही है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान से लेकर वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा, शिक्षा मंत्री मीत हेयर और कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा इलाके का पिछड़ापन दूर करेंगे।



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