ड्रग थेरेपी के जरिए अल्जाइमर के सस्ते और बेहतर इलाज की जगी उम्मीद- स्टडी


Drug Therapy for Alzheimer’s disease: आमतौर पर बुजुर्गों को होने वाली मानसिक बीमारी अल्जाइमर (Alzheimer’s disease) का अब तक कोई सटीक और पूर्ण इलाज नहीं खोजा जा सका है. इसलिए इस रोग की उत्पत्ति के कारकों और उसके बढ़ने की दर को समझने के लिए लगातार स्टडी जारी है. ताकि इसके कारणों के बारे में बेहतर जानकारी से रोकथाम और फिर इलाज में मदद मिल सकती है. इस दिशा में शोध में लगे जापान के रिकेन सेंटर ऑफ ब्रेन साइंसेज (RIKEN CENTER FOR BRAIN SCIENCE) के रिसर्चर्स की एक टीम ने ऐसी ड्रग थेरेपी (Drug therapy) की खोज की है, जो एंडोस्फलाइन अल्फा (Endosulfine-alpha) यानी ईएनएसए (ENSA) की गतिविधियों को ब्लॉक कर देगा और ये इस समय उपलब्ध उपायों में एक सस्ता और बेहतर इलाज साबित हो सकता है.

बता दें कि अल्जाइमर की सबसे बड़ी पहचान ब्रेन में एमिलायड बी पेप्पटाइड (AB) संग्रहित होना है. साइंटिस्ट वर्षों से ये पता लगाने में जुटे हैं कि यह क्यों और कैसे होता है. इस स्टडी के निष्कर्ष मॉलीक्यूलर साइकाइट्री (Molecular Psychiatry) जर्नल में प्रकाशित हुए है.

कैसे हुई स्टडी
रिकेन सेंटर ऑफ ब्रेन साइंस के रिसर्चर्स ताकाओमी सैदो (Takaomi C. Saido) और उनकी टीम ने ये समझने के लिए एक ऐसा माउस मॉडल (Mouse Model) विकसित किया, जिसमें एबी का संग्रहण और स्मरण शक्ति (memory power) में कमी इंसानों की तरह होता है. इसी मॉडल के सहारे रिसर्चर्स ने ऐसे घटनाक्रमों की शृंखलाबद्ध (chained) खोज की है, जो ब्रेन में एबी की परत बनने की स्थितियां पैदा करते हैं. इसमें एक प्रमुख कारक नेप्रिल्सन एंजाइम का लेवल कम होना है, जो खुद ही सोमास्टोस्टैटिन हार्मोन (somatostatin hormone) के कम होने से पैदा होता है.

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ऐसा देखा गया कि उम्र बढ़ने के साथ नेप्रिल्सिन और सोमैटोस्टैटिन दोनों का स्तर उम्र बढ़ने पर कम होता है. यही कारण माना जाता है कि अल्जाइमर औमतौर पर बुजुर्गों को होता है. अल्जाइमर के इलाज के लिए चूहों पर की गई ताजा स्टडी में इस बात का खास ध्यान रखा गया कि सोमास्टोटैटिन (somastostatin) किस प्रकार से नेप्रिल्सन के लेवल को कंट्रोल करता है.

क्या कहते हैं जानकार
स्टडी के फर्स्ट राइटर नाओतो वातमुरा (Naoto Watamura) के अनुसार, इस प्रक्रिया में पहला चरण काफी कठिन रहा, क्योंकि हमेने एक इन विट्रो सिस्टम विकसित किया था, जो कंट्रोल माध्यम में नेप्रिल्सन रेगुलेटर को स्क्रीन कर सकता है जो हिप्पोकैंपल न्यूरॉन से पैदा होता है.

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ये प्रयोग पूरा होने के बाद उन्होंने ईएनएसए की पहचान एक रेगुलेटर के रूप में की, आगे के प्रयोग में पता चला कि ईएनएसए नेप्रिल्सिन की गतिविधियों को कम देता है और जिन चूहों के ब्रेन में सोमास्टोस्टैटिन कम होता है, उनमें नेप्रिल्सन असामान्य रूप से बढ़ जाता है. इसका मतलब यह है कि सोमास्टोस्टैटिन सामान्य तौर पर ईएनएसए पर अंकुश रखता है, जो नेप्रिल्सन का स्तर ऊंचा बनाए रखता है, जिससे एबी संग्रहित होने से पहले ही नष्ट हो जाता है.

स्टडी में क्या निकला
इसके बाद स्टडी टीम ने जीवित प्राणियों में ईएनएसए (ENSA) पर ध्यान केंद्रित किया. इसमें सीआरआइएसपीआर (CRISPR) तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ईएनएसए नॉकआउट माउस मॉडल विकसित कर उसका कनेक्शन अल्जाइमर रोग से पीड़ित मॉडल माउस से कराया गया. इसमें पाया गया कि नए चूहों में एबी का संग्रहण मूल चूहों की तुलना में काफी कम था. इससे संकेत मिला कि ईएनएसए का हाई लेवल अल्जाइमर के लक्षण या बायोमार्कर हो सकता है, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई थी. जांच से पता चला कि ईएनएसए हिप्पोकैंपस (hippocampus) में पोटाशियम चैनल को ब्लॉक कर देता है. हिप्पोकैंपस ब्रेन को वो हिस्सा है जिससे यादों को रिकॉल किया जाता है.

Tags: Health News, Lifestyle

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