सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज में मदद कर सकती है मलेरिया की दवा- स्टडी


Malaria drug for cancer : कैंसर (Cancer) खतरनाक और जानलेवा बीमारी है, अगर सही समय पर इसका पता लग जाए, तो इलाज संभव भी हो सकता है. लेकिन ज्यादातर मामलों में ये बीमारी जानलेवा ही साबित होती है. कैंसर के कई अलग-अलग प्रकार हैं और कई संभावित कारण भी हैं. कई बार ये खानपान और लाइफस्टाइल की आदत से होती है तो कई बार इसके पीछे कुछ जेनेटिक कारण भी होते है. पूरी दुनिया में कैंसर के पुख्ता इलाज को लेकर रिसर्च जारी है, वहीं कुछ गंभीर बीमारियों की दवा के जरिए भी इस जानलेवा बीमारी से बचाव की कोशिशें जारी हैं. इसी फेहरिस्त में अब एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि मलेरिया की दवा अब कैंसर के इलाज में भी उपयोगी साबित हुई है. अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग और यूपीएमसी (UPMC) यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर (University of Pittsburgh Medical Center) के साइंटिस्टों द्वारा की गई एक नई स्टडी में बताया गया है कि मलेरिया की दवा हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज में दिए जाने वाले कीममोथेरेपी एजेंट (chemotherapy agent) सिसप्लाटिन (cisplatin) के प्रतिरोधी मार्ग को अवरुद्ध करता है.

पशुओं के मॉडल में देखा गया है कि इससे सिसप्लाटिन के ट्यूमर को मारने की क्षमता बहाल हो जाती है. इस स्टडी का निष्कर्ष पीएनएएस (PNAS) मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है. स्टडी से सिर और गर्दन के कैंसर में कीमोथेरेपी प्रतिरोधी (रिसिस्टेंट) के इलाज के लिए सिसप्लाटिन और हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को मिलाकर उसके क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता साफ हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार
यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग में ओटोलरींगोलॉजी (Otolaryngology) विभाग के प्रोफेसर और इस स्टडी के सीनियर को-ऑथर डॉ उमामहेश्वर दुवुरी (Umamaheswar Duvvuri) के अनुसार, ‘जब भी सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित रोगियों का इलाज करते थे, तो देखने में आता था कि कीमोथेरेपी (chemotherapy) विफल हो जाती है. सिसप्लाटिन (cisplatin) कीमोथेरेपी की एक बहुत ही महत्वपूर्ण दवा है, लेकिन इसके प्रति ट्यूमर प्रतिरोध (Tumor resistance) एक बड़ी समस्या है. इसलिए हमारी लैब की रुचि प्रतिरोधी मैकेनिज्म को समझने की थी, ताकि हम रोगियों के लिए बेहतर इलाज खोज सकें. पहले की स्टडी में पाया गया है कि टीएमईएम16ए (TMEM16A) नामक प्रोटीन मरीज के ट्यूमर में सिसप्लाटिन के प्रतिरोध से जुड़ा है. सिर और गर्दन के कैंसर में इस प्रोटीन के ज्यादा होने से रोगी के बचने की संभावना भी कम हो जाती है…’

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‘…टीएमईएम16ए (TMEM16A) आयन चैनल्स नामक प्रोटीन के एक ग्रुप से जुड़ा हुआ है. सेल्स के बाहरी हिस्सों के बीच ये प्रोटीन क्लोराइड आयन के लिए रास्ता प्रदान करता है. जो मसल्स और नर्व्स की एक्टिविटी के साथ ही नमक व पानी के परिवहन को नियंत्रित करता है.’

नई स्टडी से क्या पता चला?
डॉ उमामहेश्वर दुवुरी (Umamaheswar Duvvuri) ने बताया कि क्लोराइड ट्रांसपोर्ट में गड़बड़ी आमतौर पर नर्व्स और किडनी (nerves and kidneys) संबंधी बीमारियों, जैसे कि मिर्गी, सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) और किडनी स्टोन से जुड़ा होता है. लेकिन टीएमईएम16ए और कैंसर के बीच संबंध होने से हम हैरान थे. इस नई स्टडी से पता चलता है कि टीएमईएम16ए (TMEM16A) सेल्युलर कंपार्टमेंट लाइसोसोम (lysosomes) में सिसप्लाटिन को बाहर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. हेल्दी सेल्स में लाइसोसोम रीसाइकलिंग और वेस्ट डिस्पोजल सिस्टम की तरह काम करते हुए मॉलीक्यूल को दोबारा उपयोग करने लायक बनाता है और वेस्ट को बाहर फेंकता है.

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ट्यूमर में टीएमईएम16ए ज्यादा दिखता है, जो लाइसोसोम के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रोटीन सिग्नल देता है, जिससे कोशिकाओं में सिसप्लाटिन बाहर निकलता है. मालूम हो कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन एंटी मलेरिया दवा है, जो लाइसोसोम के कामकाज को बाधित करती है. कैंसर में सिसप्लाटिन प्रतिरोध के इलाज में इसकी क्षमता पखने के लिए रिसर्चर्स ने मुर्गी के फर्टिलाइज्ड अंडे में कैंसर सेल्स की झिल्ली के आसपास उसे प्रत्यारोपित किया.

रिसर्चर्स ने पाया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और सिसप्लाटिन दोनों से ही जब अंडे का ट्रीटमेंट किया गया तो ट्यूमर सेल्स की मौत सिर्फ सिसप्लाटिन के मुकाबले ज्यादा हुई. चूहों पर भी किए गए प्रयोग में पाया गया कि हाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और सिसप्लाटिन के मिक्स्ड यूज से ट्यूमर की वृद्धि कम हुई.

Tags: Cancer, Health, Health News, Lifestyle

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