राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा: केंद्र के रुख से सुप्रीम कोर्ट नाराज, दो बार दिया अलग-अलग जवाब


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Amit Mandal
Updated Tue, 10 May 2022 06:30 PM IST

सार

 केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यों के साथ चर्चा के लिए तीन महीने का समय मांगा।

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राज्य स्तर पर हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग रुख अपनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ इस मुद्दे पर तीन महीने के भीतर परामर्श करने का निर्देश दिया है। सरकार ने इस मुद्दे पर अदालत में दो बार अलग-अलग जवाब दिया है। 

केंद्र ने दो बार दिया अलग-अलग जवाब 
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई भी फैसला राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा। जबकि केंद्र ने मार्च में कहा था कि यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊपर है कि वे हिंदुओं और अन्य समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दें या नहीं, जहां उनकी संख्या कम है।

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों में एक हलफनामा दायर किया जाना चाहिए कि केंद्र और राज्य दोनों के पास शक्तियां हैं। पीठ ने कहा कि आप कहते हैं कि केंद्र के पास शक्तियां हैं। हमारे जैसे देश में जिसमें इतनी विविधता है, हम समझते हैं लेकिन और सावधान रहना चाहिए था। इन हलफनामों को दायर करने से पहले सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में होता है, जिसके अपने परिणाम होते हैं। इसलिए, आपको कुछ भी कहने से पहले अधिक सावधानी बरतनी होगी। 

पीठ ने सुनवाई से तीन दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि केंद्र सरकार पहले हलफनामे में अपना रुख साफ कर चुकी है, लेकिन ताजा हलफनामे से पता चलता है कि अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए केंद्र सरकार के पास शक्ति निहित है।  केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यों के साथ चर्चा के लिए तीन महीने का समय मांगा। उन्होंने पीठ को जानकारी दी कि इसको लेकर एक बैठक हुई थी जिसमें संबंधित विभागों के तीन मंत्री सचिवों के साथ मौजूद थे और इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी।
 

विस्तार

राज्य स्तर पर हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग रुख अपनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ इस मुद्दे पर तीन महीने के भीतर परामर्श करने का निर्देश दिया है। सरकार ने इस मुद्दे पर अदालत में दो बार अलग-अलग जवाब दिया है। 

केंद्र ने दो बार दिया अलग-अलग जवाब 

केंद्र सरकार ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि अल्पसंख्यकों को अधिसूचित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है और इस संबंध में कोई भी फैसला राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा। जबकि केंद्र ने मार्च में कहा था कि यह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊपर है कि वे हिंदुओं और अन्य समुदायों को अल्पसंख्यक का दर्जा दें या नहीं, जहां उनकी संख्या कम है।

न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि इस तरह के मामलों में एक हलफनामा दायर किया जाना चाहिए कि केंद्र और राज्य दोनों के पास शक्तियां हैं। पीठ ने कहा कि आप कहते हैं कि केंद्र के पास शक्तियां हैं। हमारे जैसे देश में जिसमें इतनी विविधता है, हम समझते हैं लेकिन और सावधान रहना चाहिए था। इन हलफनामों को दायर करने से पहले सब कुछ सार्वजनिक डोमेन में होता है, जिसके अपने परिणाम होते हैं। इसलिए, आपको कुछ भी कहने से पहले अधिक सावधानी बरतनी होगी। 

पीठ ने सुनवाई से तीन दिन पहले स्टेटस रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि केंद्र सरकार पहले हलफनामे में अपना रुख साफ कर चुकी है, लेकिन ताजा हलफनामे से पता चलता है कि अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए केंद्र सरकार के पास शक्ति निहित है।  केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्यों के साथ चर्चा के लिए तीन महीने का समय मांगा। उन्होंने पीठ को जानकारी दी कि इसको लेकर एक बैठक हुई थी जिसमें संबंधित विभागों के तीन मंत्री सचिवों के साथ मौजूद थे और इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी।

 



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