देशभर में राजद्रोह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, SC के आदेश पर भाजपा ने कही ये बात


नई दिल्ली: राजद्रोह कानून (Sedition Law) को लेकर विपक्ष की आलोचना के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा देशभर में इस कानून से जुड़े मामलों में सभी कार्यवाहियों पर बुधवार को लगाई गई रोक को सरकार के सकारात्मक सुझावों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.

पार्टी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अभी तक 1500 पुराने और अप्रचलित हो चुके कानूनों को समाप्त किया है और 25,000 से अधिक अनुपालन बोझ कम किए है ताकि आम नागरिकों को जीवन सुगम हो सके.

प्राथमिकी दर्ज करने पर लगी रोक
उच्चतम न्यायालय ने देशभर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर बुधवार को रोक लगा दी और केंद्र एवं राज्यों को निर्देश दिया कि जब तक सरकार का एक ‘‘ उचित मंच ’’ औपनिवेशिक युग के कानून पर फिर से गौर नहीं कर लेता, तब तक राजद्रोह के आरोप में कोई नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए.

प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ ने कहा कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हितों और नागरिकों के हितों को संतुलित करने की जरूरत है.

सरकार ने इससे पहले एक हलफनामे में कहा था कि वह कानून से संबंधित मुद्दों पर विचार करना चाहती है. इस हलफनामे का जिक्र करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश को सरकार के सकारात्मक सुझावों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसे अदालत ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.’’

कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि देश की शीर्ष अदालत ने यह संदेश दिया है कि सत्ता को आईना दिखाना राजद्रोह नहीं हो सकता.

पार्टी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश से यह भी साबित हो गया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को खत्म करने का जो वादा किया था वह सही रास्ता था.

वाम दलों ने मांग की कि उच्चतम न्यायालय को राजद्रोह कानून को पूरी तरह निष्प्रभावी कर देना चाहिए और सरकार द्वारा इसकी समीक्षा किये जाने का इंतजार नहीं करना चाहिए.

Tags: Modi government, Sedition case, Supreme Court



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