प्रेग्नेंसी के दौरान खास सतर्कता बरतने की हमेशा से ही सलाह दी जाती रही है, क्योंकि उस समय होने वाली किसी भी बीमारी का असर प्रेग्नेंट और उसके बच्चें पर तत्काल तो पड़ता ही है, लॉन्गटर्म में भी उन रोगों के कारण कई तरह की परेशानियां आ सकती है. मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ विएना के रिसर्चर्स द्वारा की गई एक नई स्टडी में बताया गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान वायरल संक्रमण होने से गर्भवती के ब्रेन पर उसका दुष्प्रभाव होता है और उसके कारण प्रसव बाद के व्यवहारों में भी बदलाव होता है. इससे मां द्वारा बच्चे की होने वाली देखभाल भी प्रभावित होती है. रिसर्चर्स का कहना है कि विभिन्न स्टडीज से इस बात के पर्याप्त डाटा हैं कि प्रग्नेंसी के दौरान वायरल संक्रमण गर्भ में पल रहे भ्रूण के ब्रेन के विकार (fetal brain disorders) को प्रभावित करता है और उसका असर बच्चे की मेंटल हेल्थ पर पूरी लाइफ बना रहता है.
अब इस नई प्री-क्लीनिकल स्टडी में पहली बार सामने आया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान वायरस जनित इम्यून एक्टिविटी मां के ब्रेन को भी प्रभावित करती है, जिससे बच्चे के जन्म के बाद मातृत्व देखभाल और व्यवहार (maternity care and treatment) पर बुरा असर पड़ता है. इस स्टडी का निष्कर्ष मॉलीक्यूलर साइकाइट्री (Molecular Psychiatry) जर्नल में प्रकाशित किया गया है. ये निष्कर्ष मेडिकल यूनिवर्सिटी, विएना के न्यूरोफिजियोलॉजी एंड फार्माकोलॉजी विभाग के बिहेवियरल बायोलॉजिस्ट की टीम ने प्रकाशित कराया है.
कैसे हुई स्टडी
चूहों पर की की गई इस प्रीक्लिनिकल स्टडी में रिसर्चर्स ने एक ऐसे केमिकल का प्रयोग किया, जो वैसे ही रिसेप्टर को एक्टिव करता है, जैसे कि वायरस के संक्रमण से होता है. गर्भवती में इम्यून सिस्टम उसी प्रकार से एक्टिव हुआ, जैसे कि सामान्य वायरल संक्रमण में होता है. उसके बाद बच्चे का जन्म होने के बाद मां द्वारा उसकी देखभाल और व्यवहार का आकलन किया गया.
क्या कहते हैं जानकार
रिसर्चर डेनिएला डी. पोलाकी (Daniela D. Pollak) ने बताया कि जिन माताओं में वायरल संक्रमण जैसा इम्यून सिस्टम एक्टिव हुआ, वे अपने बच्चों की देखभाल कंट्रोल ग्रुप की माताओं की तुलना में कम कर रही थीं. ये भी देख गया कि संक्रमण जैसी स्थिति से गुजरने वाली माताएं अपने बच्चे को किसी खतरे से बचाने में अपेक्षित तौर पर तत्पर नहीं थीं. रिसर्चर्स ने माताओं के सिर्फ व्यवहार में ही अंतर नहीं पाया, बल्कि उनके ब्रेन में स्ट्रक्चरल, मॉलीक्यूलर और फंक्शनल बदलाव भी देखे गए. इस बदलाव के कुछ मैकेनिज्म की भी पड़ताल की.
यह भी पढ़ें-
MS Disease: 20-30 साल की महिलाओं को शिकार बना रही मल्टीपल स्क्लेरोसिस, AIIMS की प्रोफेसर ने दी सलाह
पोलाकी ने आगे बताया, एनिमल मॉडल पर किया गया ये प्रयोग भले ही इंसानों के लिए सीधे तौर पर लागू नहीं होता है, लेकिन इस बात का संकेत तो है ही कि प्रेग्नेंसी के दौरान वायरल संक्रमण मां का बच्चों के प्रति व्यवहार में बदलाव ला सकता है. मतलब ये कि जिन महिलाओं को प्रग्नेंसी के दौरान वायरल बीमारी हो, उनमें मां-बच्चे के बीच लगाव कम होने का जोखिम ज्यादा होता है.
स्टडी में क्या निकला
रिसर्चर्स ने उम्मीद जताई है कि इस स्टडी के आधार पर यदि महिलाओं को प्रसव के बाद कोई मानसिक समस्या या परेशानी हो, तो डॉक्टर प्रग्नेंसी के दौरान वायरल हिस्ट्री पर भी गौर कर इलाज की रणनीति उसके अनुरूप तय करेंगे, तो वह ज्यादा प्रभावी होगा. इससे बच्चे को देखभाल में भी सुधार आएगा.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Health, Health News, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : June 03, 2022, 19:11 IST