भारत के इस राज्य में रॉकेट इंजन बनाने की पहली फैक्ट्री शुरू, एक महीने में बनाएगी 8 रॉकेट इंजन!


स्पेस टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos) ने भारत में पहली रॉकेट इंजन फैक्ट्री का उद्घाटन किया है। यह भारत की पहली ऐसी रॉकेट इंजन फैक्ट्री होगी जिसमें 3-D प्रिंटेड रॉकेट इंजनों का निर्माण किया जाएगा। इस फैक्ट्री को रॉकेट फैक्ट्री 1 (Rocket Factory 1) नाम दिया गया है। कारखाने का उद्घाटन चेन्नई में टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन और ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ के द्वारा इंडियन नेशनल स्पेस प्रोमोशन एंड अथॉराइजेशन (IN-SPACe) के चेयरमैन पवन गोयंका की उपस्थिति में किया गया। 

फैक्ट्री आईआईटी मद्रास रिसर्च पार्क (IIT-Madras Research Park) में दस हजार स्क्येर फीट में बनी है। इसमें 400mm x 400mm x 400mm मेटल के EOS 3डी प्रिंटर होंगे जिनकी मदद से एक ही छत के नीचे रॉकेट इंजन का निर्माण किया जा सकेगा। फैक्ट्री की क्षमता इतनी है कि यह एक हफ्ते के अंदर दो रॉकेट इंजन बना सकती है। इसी लिहाज से एक महीने के अंदर एक व्हीकल को लॉन्च किया जा सकता है। इसी को लेकर कंपनी ने कुछ दिन पहले ट्विटर पर एक पोस्ट भी शेयर की थी, जिसमें इसरो के साथ कंपनी ने अपनी पार्टनरशिप में रॉकेट बनाने की शुरुआत की बात कही थी। 

कंपनी का कहना है कि वह 3डी प्रिंटेड रॉकेट इंजन बनाने के लिए एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तकनीक का इस्तेमाल करेगी। स्टार्टअप के सीईओ रविचंद्रन ने बताया कि वे हर महीने 8 रॉकेट इंजन बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट लॉन्च करने वाली कंपनियों के लिए अब रूस से आने वाले  इंजनों का विकल्प नहीं है। ऐसे में भारी रॉकेट के जरिए सैटलाइट लॉन्च करना महंगा होगा और कंपनियां इसके लिए छोटे लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल करेंगी। इसी वजह से कंपनियों का रुख भारत की ओर हो सकता है। 

फैक्ट्री में 30-35 के लगभग लोग काम करेंगे। इनमें से 90% लोग फैक्ट्री में पहले से ही काम पर लगा दिए गए हैं। Agnikul को रविचंद्रन ने आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर मॉइन एसपीएम और एस आर चक्रवर्ती के साथ मिलकर 2017 में बनाया था। कंपनी Agnibaan बनाने का काम करती है। Agnibaan एक 2-स्टेज लॉन्च व्हीकल है जो अपने साथ 100 किलो तक का पे-लोड 700 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर लेकर जा सकता है और उसे पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर सकता है। 

अग्निकुल ने दिसंबर 2020 में ISRO के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता IN-SPACe के तहत हुआ था जिसमें इसरो की एक्सपर्टीज और फैसिलिटी का इस्तेमाल रॉकेट इंजनों का निर्माण करने के लिए किया जा सकता है। इसी के तहत अग्निकुल अब इसरो के साथ मिलकर रॉकेट इंजन बनाने की शुरुआत करने जा रही है। 

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