नई दिल्ली. कोरोना महामारी की तीन लहरें भारत में देखी जा चुकी हैं. इस दौरान हुए लॉकडाउनों में बाजार और अन्य जरूरी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाए गए थे. लिहाजा अब देशभर के कारोबारियों ने लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई की मांग की है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली सहित देश भर में कोरोना से हुए नुकसान की आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत भरपाई करने की मांग की है.
कैट ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भेजकर मांग की है कि साल 2020 से करोना महामारी के कारण हुए तीनों लॉकडाउन के चलते दिल्ली सहित देश के व्यापारियों को हुए व्यापार के नुकसान की भरपाई आपदा प्रबंधन क़ानून, 2005 की धारा 12 के अंतर्गत की जाए. इस धारा में स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी आपदा से प्रभावित लोगों के नुकसान की भरपाई की जाएगी जिसके अनुसार आजीविका कमाने के साधन को पुन:स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि करोना महामारी के कारण वर्ष 2020 से लेकर अब तक देश में तीन बार लॉकडाउन केंद्र एवं राज्य सरकार ने लगाया जिसमें पहले 2 लॉकडाउन में लम्बे समय तक के लिए व्यापारियों को अपनी दुकानें बंद करने के आदेश दिए गए. जबकि इस साल करोना के मामलों में बेहद तेज़ी के कारण सरकारों ने अनेक प्रकार के प्रतिबन्ध लगाए जिसके कारण देश भर के व्यापारियों की आजीविका का साधन बेहद बुरी तरह प्रभावित हुआ. व्यापारियों को न केवल अपनी दुकानें बंद करनी पड़ीं बल्कि अपने कर्मचारियों की आजीविका को जारी रखते रहने की वजह से सरकारी आदेश के अनुसार उनको तनख़्वाह भी देनी पड़ी. एक तरफ तो व्यापार में आवक बंद हो गई वहीं दूसरी तरफ पैसे की जावक पूरी तरह जारी रही. इन परिस्थितियों के चलते व्यापार तो प्रभावित हुआ ही, तब से लेकर अब तक व्यापारियों को बड़े स्तर कर आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा.
ध्यान रहे कि न तो केंद्र सरकार बल्कि किसी भी राज्य सरकार ने व्यापारियों को न तो कोई आर्थिक पैकेज दिया और न ही कोई सहायता दी गई जबकि अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गों को अनेक प्रकार की सुविधाएं दी गई हैं. इन सबके चलते देश के व्यापारियों को अपना व्यापार दोबारा सुचारु रूप से चलाने में बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. खंडेलवाल ने कहा की आज देश के व्यापार पर अस्तित्व बचाने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है. बड़ी संख्या में व्यापारियों की उधारी संकट में पड़ गई है. बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को दिए जाने वाले ब्याज का बड़ा बोझा भी व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है. समय पर पैसे के न मिलने के कारण करों की अदायगी में पेनल्टी की बड़ी राशि भी व्यापारियों को भुगतनी पड़ी है, जिसके कारण व्यापार गति ही नहीं पकड़ पा रहा है. इन सब संकटों से उबरने के लिए व्यापारियों की आजीविका के नुकसान की भरपाई किया जाना सरकार का दायित्व है.
केंद्रीय मंत्री से किए गए अनुरोध में व्यापारियों ने कहा कि आपदा प्रबंधन क़ानून , 2005 की धारा 12 का पालन करते हुए सरकार तुरंत नुकसान की भरपाई के लिए सभी राज्य सरकारों को दिशा निर्देश जारी करे. उन्होंने सुझाव देते हुआ कहा कि इसके लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की एक विशेष टास्क फ़ोर्स का गठन किया जाए जिसमें व्यापारियों को भी शामिल किया जाए और उक्त फ़ोर्स को सभी राज्य सरकारों द्वारा नुक़सान का आकलन करने के लिए एक निश्चित समय सीमा दे. भरपाई की राशि क्या हो तथा उसका क्या तरीक़ा हो , किस प्रकार के दस्तावेज ज़रूरी हैं, आदि का विवरण तैयार करने का भी काम सौंपा जाए.
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