सार
प्रदेश में आगामी छह महीने के भीतर बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से लेकर ठाणे महानगर पालिका, मीरा-भाईंदर महानगर पालिका, नवी मुंबई और पुणे महानगर पालिका सहित दस महानगर पालिकाओं के अलावा 25 जिला परिषद के चुनाव होने हैं। इन्हें मिनी विधानसभा चुनाव मानकर चला जा रहा है।
ख़बर सुनें
विस्तार
यह समाज वर्षों से मराठा क्षत्रप एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस के साथ मुस्तैदी से जुड़ा रहा है जबकि पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज अलग-अलग दलों में बंटा हुआ है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में कुंभार, राजभर, नाई, निषाद, लोधी, पाल और तेली आदि पिछड़ी जातियां हैं, उसी तरह से महाराष्ट्र में भी ओबीसी समाज की कई जातियां हैं। इसमें नाई, कुंभार, धोबी, गुरव, सुतार, लोहार, कोली, चौगुला, मांग और महार आदि हैं।
योगी सरकार ने चुनाव से पूर्व ओबीसी जातियों के अलग-अलग सम्मेलन और कई जातियों से जुड़े बोर्ड गठित किए थे। इसका भाजपा को लाभ मिला। प्रदेश भाजपा में पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे से लेकर गिरीश महाजन, चंद्रशेखर बावनकुले, संजय कुटे, जैसे ओबीसी नेताओं की बड़ी फौज है, फिर भी भाजपा ने छोटी ओबीसी जातियों का एक संघ बनाकर पार्टी से जोड़ने का अभियान शुरू किया है।
स्थानीय निकाय चुनाव में मिलेगा लाभ
प्रदेश में आगामी छह महीने के भीतर बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) से लेकर ठाणे महानगर पालिका, मीरा-भाईंदर महानगर पालिका, नवी मुंबई और पुणे महानगर पालिका सहित दस महानगर पालिकाओं के अलावा 25 जिला परिषद के चुनाव होने हैं। इन्हें मिनी विधानसभा चुनाव माना जा रहा है।
राज्य चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। कई निकाय चुनाव कोरोना महामारी के कारण तो कई ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण खत्म किए जाने से लटके हुए हैं। ओबीसी जातियों को पार्टी से जोड़ने के अभियान के तहत ही भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी समाज को राजनीतिक आरक्षण देने को लेकर मुखर है।
BJP will implement UP s OBC pattern in Maharashtra too, will add small OBC castes