राज्यसभा चुनाव: भाजपा के दांव से कांग्रेस मुश्किल में, निर्दलीय उम्‍मीदवारों से मुकाबला हुआ रोचक


ममता त्रिपाठी

लखनऊ. राज्यसभा (Rajya Sabha Elections)  और विधान परिषद के चुनाव आमतौर पर तय ही माने जाते हैं और इन चुनावों में उलटफेर की सम्भावना कम ही होती है. लेकिन इस बार कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने इस चुनाव को रोचक बना दिया है. भाजपा (BJP) समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चन्द्रा ने राजस्थान से पर्चा भरकर कांग्रेस (Congress) के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं. कांग्रेस को राजस्थान से अपने तीन उम्मीदवारों को जिताने में लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं. दिग्गज मीडिया व्यवसायी सुभाष चंद्रा फिलहाल हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सदस्य थे और उनका कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है. इस बार उन्होंने राजस्थान से पर्चा दाखिल किया है.

राजस्थान की बात करें तो यहां चार सीटें खाली हो रही हैं, जिन पर चुनाव होना है, पांचवें प्रत्याशी ने पर्चा भरकर इस पूरे चुनाव को काफी दिलचस्प बना दिया है. कांग्रेस की तरफ से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने पर्चा भरा है जबकि भाजपा से घनश्याम तिवारी ने. सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय मगर भाजपा समर्थित प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल किया है. कांग्रेस ने तीसरी वरीयता पर प्रमोद तिवारी को रखा है इसलिए सुभाष चंद्रा के प्रत्याशी बनने के बाद से प्रमोद तिवारी के माननीय बनने पर तलवार लटक गई है.

भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ से एड़ी चोटी का जोर 

राजस्थान में कांग्रेस के पास 108 विधायक है, दो प्रत्याशियों को जितवाने के बाद कांग्रेस के पास 26 वोट बचेंगे. भाजपा के पास 71 विधायक हैं, घनश्याम तिवारी के प्रथम वरीयता वाले वोटों के बाद भाजपा के पास 30 विधायक बचेंगे. ऐसे में भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा की एंट्री के बाद से उन्हें 11 वोटों का जुगाड़ करना होगा. आपको बता दें कि 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम, दो बीटीपी और तीन आरएलपीके विधायक हैं जिनके समर्थन के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ से एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है.

हरियाणा में कांग्रेस की मुश्किल बढ़ी

ऐसी ही स्थिति हरियाणा में भी पैदा हो गई है, सुभाष चंद्रा के राजस्थान जाने के बाद से एक और मीडिया व्यापारी कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिल किया है जिसके बाद कांग्रेस के अजय माकन के लिए परेशानियां पैदा हो गई हैं. कार्तिकेय शर्मा के पिता विनोद शर्मा हरियाणा के बड़े कांग्रेस नेता रहे हैं, बाद में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह कर अपनी पार्टी बना ली थी. कार्तिकेय के मैदान में उतरने के बाद से क्रास वोंटिग की आशंका से कांग्रेसी खेमे में हड़कम्प मचा हुआ है. पार्टी के बड़े नेता भी इसकी आशंका से इंकार नहीं कर रहे. यहां जीत के लिए 30 वोट चाहिए और कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं.

चिंता में हैं कांग्रेस के रणनीतिकार 

कांग्रेस के रणनीतिकारों को चिंता है कि कार्तिकेय के पिता कांग्रेस के कुछ विधायकों को प्रभावित कर सकते हैं, कार्तिकेय के ससुर भी 2019 तक कांग्रेस के विधायक रहे हैं. भाजपा के पास कृष्ण लाल पंवार की जीत सुनिश्चित करने के बाद 10 अतिरिक्त विधायकों के वोट बचेंगे. सहयोगी दल जेजेपी के पास भी 10 विधायक हैं, पार्टी अध्यक्ष अजय चौटाला पहले ही कार्तिकेय को समर्थन की घोषणा कर चुके हैं. ऐसे में 7 निर्दलीय और इनेलो, हलोपा के एक-एक विधायक की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी. भाजपा के वरिष्ठ नेता का कहना है कि हमारे और जेजेपी के 10-10 वोटों और निर्दलीयों के वोटों के बाद कार्तिकेय को सिर्फ तीन वोटों की जरूरत होगी. फिलहाल राज्यसभा का चुनाव इन दोनों राज्यों में काफी दिलचस्प हो गया है.

Tags: BJP, Congress, Rajya Sabha Elections



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