यूक्रेन में फंसे छात्रों की दास्तां : पैर सुन्न और होठों पर जम गई थी बर्फ की परत, अब लाडलों का चेहरा देख छलके आंसू


यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां फंसे मेरठ के लाल सकुशल वापस लौटने लगे हैं। अब तक घर लौटे लाडलों का चेहरा देख माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू हैं। वहीं अभी जिले के कुछ छात्र और छात्राएं वापसी की जद्दोजहद में हैं। 

मेरठ में रोहटा रोड के सरस्वती विहार निवासी स्नेहाशीष मालाकर मंगलवार की रात डेढ़ बजे घर पहुंचे तो पिता संतु मालाकर की आंखें छलक आईं। बुधवार को स्नेहाशीष ने बताया कि यूक्रेन में 24 फरवरी को सुबह तीन बजे से हमले शुरू हो गए थे। वह 26 फरवरी को इवानो फ्रेंकिवस्क से बसों से रोमानिया-यूक्रेन बॉर्डर के लिए निकले। न बॉर्डर पर माइस छह डिग्री तापमान पर रातभर खुले आसमान के नीचे रहना सबसे खतरनाक रहा। पैर सुन्न हो गए, होठों पर बर्फ की परत जम गईं।

स्नेहाशीष ने बताया 26 फरवरी को इवानो से यूरेशिया एजुकेशन एजेंसी के सीईओ मशरुर अहमद ने चार बसें मुहैया कराई। करीब 48 घंटे से ज्यादा का सफर बस से पूरा कर किसी तरह बॉर्डर पर पहुंच गए जहां चार-पांच हजार छात्र-छात्राएं मौजूद थे। भारतीय एंबेसी के दखल के बाद भारतीय छात्रों को थोड़ी राहत मिली। स्नेहाशीष के घर पहुंचने पर कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल, समाजसेवी दुष्यंत रोहटा, सुनील शर्मा, अमित शर्मा, राकेश माहेश्वरी, सर्वेश उपाध्याय, संजू धीमान आदि ने मिठाई खिलाई।

खुशी से चहक उठे अनुष्का के भाई-बहन

यूक्रेन के विनित्सा में एमबीबीएस कर रहीं गढ़ रोड स्थित जनकपुरी निवासी अनुष्का चौधरी भी सकुशल घर पहुंच गई हैं। बेटी के सकुशल घर पहुंचने पर मां बबीता तोमर और पिता डॉ. डीपी सिंह ने खुशी जताई। अनुष्का के भाई-बहन भी चहक उठे। अनुष्का ने बताया कि यूक्रेन में युद्ध के बाद हालात विकट हो गए थे। मानइस छह डिग्री तापमान में पैदल भी चलना पड़ा। बम धमाकों के बीच उन्होंने वतन वापसी के लिए जद्दोजहद की। उनके साथ त्रिपुरा के धर्मनगर निवासी राजासरी श्याम भी मेरठ ही पहुंचे हैं।

मिर्जापुर पहुंचे इजहार बोले, बंकर से 400 मीटर दूर फटा बम

गांव मिर्जापुर निवासी एमबीबीएस छात्र इजहार त्यागी बुधवार को यूक्रेन से सकुशल अपने गांव मिर्जापुर पहुंच गए। बेटे को देख मां बूंदी बेगम और पिता इदरीश त्यागी खुशी से झूम उठे। 

इजहार ने बताया कि जिस बिल्डिंग में वह रह रहे थे उससे करीब चार सौ मीटर की दूरी पर बड़ा धमाका हुआ था। वह किसी तरह हंगरी के चोप रेलवे स्टेशन पर पहुंचे तो वहां नाईजीरियन छात्रों में विवाद हो गया। इसके बाद उन्हें बार्डर पार नहीं करने दिया गया। सर्वर बंद होने के कारण खरीदारी में भी परेशानियां सामने आने लगी। किसी भी जरूरत के लिए सबसे ज्यादा परेशानी पेमेंट में आ रही थी। इजहार ने कहा कि हालात ठीक होने पर पढ़ाई पूरी करने जाएंगे।

घर आए फैसल और अजीम… सबने किया स्वागत 

यूक्रेन से लौटे मवाना मोहल्ला तिहाई के फैसल और गांव बहोडूपुर के मोहम्मद अजीम मंगलवार देर रात सकुशल घर पहुंच गए। दोनों को देख परिजनों की आंखें नम हो गईं। 

 

फैसल व अजीम ने बताया कि उन्होंने 25 फरवरी को इवानो शहर को छोडा। बस ने रास्ते में छोड दिया तो टैक्सी पकडी। टैक्सी वाले ने रोमानिया बोर्डर से 20 किलोमीटर पहले छोड दिया। वहां से सामान के साथ जैसे तैसे 20 किलोमीटर लंबा सफर पैदल ही पूरा किया।  एक रात माइनस तापमान में खुले आसमान के नीचेे रहे। खाने पीने का भी कोई इंतजाम नहीं था। मवाना पहुंचने पर बुधवार की  सुबह नगर पालिका चेयरमैन मोहम्मद अयूब कालिया ने दोनों का माला पहनाकर स्वागत किया।

ब्रजवीर सिंह की हुई वतन वापसी

बागपत के हलालपुर निवासी ब्रजवीर सिंह खोखर बुधवार को स्वदेश पहुंच गए। यूक्रेन में डेनिप्रो यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस कर रहे ब्रजवीर काफी समय तक वहीं फंसे हुए थे। जिसके बाद डेनिप्रो से हंगरी पहुंचे और वहा से भारत की फ्लाइट से वापस लौटे। अपने लाल को देखकर माता पिता की भी आंखे भर आईं। पिता तेजबीर सिंह ने बताया की बेटे को एयरपोर्ट पर परिवार सहित लेने गए। 

श्वेता सैनी के पास खत्म हुआ कैश

गंगानगर निवासी श्वेता सैनी खारकीव में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा हैं वो ट्रेन से लवीब पहुंची हैं। बस से पोलैंड के निकलेंगी। एटीएम व पेटीएम में रकम है, लेकिन कैश नहीं है। ऐसे में रास्ते में खाने-पीने का सामान खरीदारी करने में परेशानी हो रही है। पिता डा. रमेश सैनी ने बताया बुधवार दोपहर श्वेता सैनी से बात हुई थी। 

अजीम शेल्टर होम पहुंचे 

हुमायूंनगर निवासी अजीम इवानो फ्रेंकिवस्क से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। रोमानिया शेल्टर होम में पहुंच चुके हैं, सुविधाएं बेहतर हैं। मंगलवार रात दो बजे अजीम से पिता आइए खान की बात हुई थी। बुधवार रात फ्लाइट मिली तो भारत के लिए रवाना होंगे।

रोमानिया शेल्टर होम में पहुंची मानसी व काजल वर्मा

रोहटा रोड निवासी काजल वर्मा व कंकरखेड़ा निवासी मानसी चौधरी लवीब से एमबीबीएस कर रहीं हैं। काजल के पिता विनोद वर्मा ने बताया दोनों छात्राएं एक साथ ही हैं और रोमानिया शेल्टर होम में पहुंच चुकीं हैं। जहां खाने-पीने व रहने की उचित सुविधाएं हैं। उन्होंने भारत सरकार की व्यवस्थाओं की तारीफ की। मानसी के पिता अमित चौधरी ने बताया बुधवार सुबह बात हुई थी, दोनों बच्ची समय एयरपोर्ट से भारत के लिए रवाना हो जाएं तो परिजनों को सुकून मिलेगा। 

मलियाना के प्रियांशु प्रभाकर बॉर्डर की ओर रवाना हुए

मलियाना निवासी प्रियांशु प्रभाकर मैकोलिव सिटी में बंकर में फंसे थे। बुधवार को प्रियांशु बस से हंगरी बॉर्डर के लिए रवाना हो गए हैं। उनके साथ करीब 66 छात्र और भी हैं। यहां 66 छात्र ही रह गए थे। पिता विनोद प्रभाकर ने बताया दोपहर में बेटे से बात हुई थी, वो जल्द शेल्टर होम पहुंचेंगे तो सुकून मिलेगा। 



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