खरीफ सीजन में खाद की नहीं होगी कमी, किसानों के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम


नई दिल्‍ली. रबी सीजन (Rabi Season) में किसानों को खाद (Fertilizer) के लिए बहुत धक्‍के खाने पड़े थे और देश के कई राज्‍यों में अब भी किसान यूरिया के लिए भटक रहे हैं. इसी से स‍बक लेते हुए केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन (Kharif Season) के लिए यूरिया (Urea) और डीएपी (DAP) खाद के प्रबंध अभी करने शुरू कर दिए हैं. सरकार का कहना है कि खरीफ सीजन में खाद की कोई कमी न हो,  इसके लिए खपत से ज्‍यादा स्‍टॉक सरकार करेगी.

खरीफ फसलों (Kharif Season) के लिए उर्वरक (Fertilizer) उपलब्धता में किसी प्रकार की कमी न हो, इसके लिए सरकार वैश्विक बाजार से कच्‍चा माल और उर्वरक दोनों पहले से ही जुटा रही है. वहीं, देश में उर्वरकों के उत्‍पादन में बढ़ोतरी के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. सरकार का प्रयास बुआई सीजन शुरू होने से पहले यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate) का पर्याप्‍त भंडार रखने का है. देश में खरीफ फसलों की बुआई मई में कपास के साथ शुरू हो जाती है. बुआई के वक्‍त डीएपी की ज्‍यादा जरूरत होती है.

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डीएपी के शुरूआती भंडार में भारी इजाफा

खरीफ सत्र 2022 में डीएपी का शुरुआती भंडार 25 लाख टन रहने का अनुमान है, जो खरीफ सत्र 2021 के 14.5 लाख टन रहा था. इसी तरह यूरिया भी पिछले खरीफ सीजन से 10 लाख टन ज्‍यादा उपलब्‍ध होगी. इसका शुरुआती भंडार 60 लाख टन रहने की उम्मीद है. यही नहीं, यूरिया और डीएपी सहित अन्‍य उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति के लिए भारत कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है. सरकार का इरादा दीर्घकालिक आपूर्ति समझौते करने का है, ताकि भविष्‍य में खाद की कमी देश में न रहे. भारत अपनी जरूरत का 45 प्रतिशत डीएपी और कुछ यूरिया का आयात चीन से करता है.

घरेलू उत्‍पादन बढ़ाने पर जोर

उर्वरक उत्पादन (Fertilizer Production) में देश आत्‍मनिर्भरता हासिल करने के लिए सरकार प्रयासरत है. मंगलवार को ही उर्वरक मंत्री ने कहा कि मंत्रालय ने एक दीर्घकालिक समझौते के तहत विभिन्न देशों से कच्चे माल और तैयार उर्वरक की नियमित और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. वहीं डीएपी आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों पर उर्वरक मंत्रालय ने डीएपी के फिलहाल जारी उत्पादन के अलावा, कंपनियों को एनपीके स्ट्रीम का उपयोग करके नो-प्रॉफिट-नो-लॉस आधार पर अतिरिक्त डीएपी निर्माण का आदेश दिया है.

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वहीं, पारादीप फॉस्फेट्स लिमिटेड (Paradip Phosphates Ltd.) को जेडएसीएल गोवा प्लांट को दो ट्रेनों का उपयोग करके 8 लाख टन प्रति वर्ष अतिरिक्त डीएपी और एनपीके फर्टिलाइजर कॉम्प्लैक्स के निर्माण की अनुमति दी गई है. मध्य प्रदेश स्थित मध्य भारत एग्रो प्रोडक्ट लिमिटेड को 1.20 लाख टन की स्थापित क्षमता पर डीएपी और एनपीके उर्वरकों का उत्पादन करने की अनुमति दी गई है. राष्ट्रीय कैमिकल फर्टिलाइजर लिमिटेड (Rashtriya Chemical Fertilizers Limited) और एफएसीटी कोच्चि क्रमशः 5 और 5.5 लाख टन प्रति वर्ष की वार्षिक क्षमता वाले नए डीएपी या एनपीके संयंत्र स्थापित करेंगे.

Tags: Agriculture, Farmer, Fertilizer crisis

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