Tiranga at Lal Chowk: कितनी बदल रही है घाटी की तस्वीर, क्या युवाओं के सपनों को साकार कर पा रही है केंद्र सरकार?


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मैक्सन टिक्कू कश्मीर में रहने वाले एक कश्मीरी पंडित (41 वर्ष) युवा हैं। यह साल उनकी जिंदगी के लिए बेहद खास रहा है क्योंकि अपने जीवन में पहली बार उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक की वह तस्वीर देखी है, जिसे देखने के लिए जम्मू-कश्मीर की कई पीढ़ियां तरस गईं। इस साल कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर श्रीनगर के लाल चौक से कारगिल के लाल चौक (Lal Chowk) तक तिरंगा यात्रा (Tiranga Yatra) निकाली गई। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (BJYM) की तरफ से निकाली गई इस लगभग 350 किलोमीटर की तिरंगा यात्रा में घाटी के मुसलमान युवाओं ने भी भाग लिया।

भारी संख्या में युवाओं की भागीदारी

कश्मीर के जिन युवाओं के हाथों में अब तक पत्थर और आपत्तिजनक संगठनों के झंडे देखे जाते थे, जिन्हें देश के फौजियों का विरोध करते देखा जाता था, कारगिल विजय दिवस पर उन्हीं युवाओं के हाथों में तिरंगा देखा गया। कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर वही हाथ देश की रक्षा में तैनात फौजियों को मिठाइयां खिला रहे थे। क्या यह तस्वीर यह उम्मीद जगाती है कि घाटी में बदलाव की बयार बह रही है? तो क्या केंद्र सरकार कश्मीरी युवाओं के सपनों पर खरी उतर रही है?

मैक्सन टिक्कू ने अमर उजाला को बताया कि भाजपा युवा मोर्चे (BJYM) के कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में युवाओं ने भागीदारी की। यह देखना बेहद आश्चर्यजनक था कि जिस घाटी में तिरंगा उठाने वाले नहीं मिलते थे, वहां तिरंगा यात्रा में इतनी भारी संख्या में युवा आए कि मोटरसाइकिलें कम पड़ गईं। संगठन को लेह से अतिरिक्त मोटरसाइकिलें मंगवाकर यात्रा करानी पड़ी। हाथों में तिरंगा थामे इन युवाओं में ऐसे छात्र भी शामिल थे, जिन्हें कभी शक की निगाह से देखा जाता था। लेकिन बदले माहौल में अब उन्हें भी घाटी की तस्वीर बदलती दिखाई पड़ रही है।

अब बेंगलुरु जाने की जरूरत नहीं

BJYM के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) ने लाल चौक (Lal Chowk) पर कहा कि घाटी की तस्वीर बदल रही है। इसकी सबसे बड़ी गवाह यह रैली है, जिसमें हजारों की संख्या में युवा सामने आए और यात्रा को संपन्न कराया। लेकिन घाटी की असली तस्वीर बदली है वहां शिक्षा और रोजगार के नए अवसरों के पैदा होने से क्योंकि इसके बाद जम्मू और घाटी के युवाओं को अब शिक्षा या रोजगार के लिए दिल्ली या बेंगलुरु जाने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

यह एक संयोग की ही बात है कि आतंकियों की चेतावनी के बीच लगभग 30 साल पहले आज के प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। आज वे देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और उन्हीं की सरकार में कश्मीर पर लागू होने वाले अनुच्छेद 370 और 35A की विवादित धाराएं समाप्त की जा चुकी हैं। सरकार का प्रयास है कि कश्मीर में निवेश हो, युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें और वह देश की विकास की मुख्य धारा में शामिल हो। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और अब शायद उसका रंग दिखाई पड़ने लगा है। कश्मीरी युवाओं के हाथों में पत्थर की जगह तिरंगा आना इसी बदलाव का संकेत है।

टारगेट किलिंग से कैसा असर

कश्मीर की जिला अदालत में प्रैक्टिस करने वाले वकील अनुज जसरोटिया ने बताया कि टारगेट किलिंग से पाकिस्तान समर्थित आतंकी लोगों को डराने का काम करते थे। इसकी आड़ में वे कश्मीरी युवाओं को देश के खिलाफ भड़काने का काम करते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में घाटी में जिस तरह की हिंसक घटनाएं हुईं थीं, उसे देखकर लोगों को यह डर सताने लगा कि घाटी में 90 के आतंक का दौर दोबारा लौट सकता है। शायद यही कारण रहा कि लोग खुलकर सामने आए और इसका पुरजोर विरोध किया। चूंकि टारगेट किलिंग में कश्मीरी पंडितों और राष्ट्रवाद की आवाज उठा रहे मुसलमानों को भी मारा गया, लिहाजा मुसलमान भी इसके विरोध में आ गए। इससे आतंकियों के पांव उखड़ रहे हैं।

अनुज जसरोटिया ने बताया कि जमीनी समर्थन न पाने के कारण ऐसे संगठनों की आवाज लगातार कमजोर पड़ रही है, जो युवाओं को भारत के विरूद्ध तैयार करने का काम करते थे। इनमें वे मुसलमान परिवार और युवा भी शामिल हैं जो बाहर की दुनिया के सामने स्वयं को पिछड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि यही अवसर है जब घाटी को दुबारा धरती का स्वर्ग बनाया जा सकता है। लेकिन यह सब तभी हो सकता है जब यहां पर्यटक लौटें और उन्हें रोजगार मिले।  

युवाओं के सपनों पर खरा उतरेंगे- तेजस्वी सूर्या

भाजपा युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने इन्हीं युवाओं के सपनों को पंख दिया। उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीरी युवाओं को वह पूरा अवसर उपलब्ध कराने के लिए कमर कस चुकी है, जो दिल्ली या मुंबई में रहने वाले युवाओं को मिलता है। उन्होंने कहा कि घाटी में तिरंगे की यह लहर देखना एतिहासिक पल है और इसके लिए कश्मीर के युवाओं को ही श्रेय दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कश्मीर को विद्या अद्ययन की नगरी होने का गौरव हासिल था, और उसे दोबारा वही गौरव दिलाना केंद्र सरकार का लक्ष्य है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यहां अनेक सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, टेक्निकल इंस्टिट्यूट, स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट शुरू किये जा रहे हैं। ये नए कश्मीर की विकासगाथा लिखेंगे।

विस्तार

मैक्सन टिक्कू कश्मीर में रहने वाले एक कश्मीरी पंडित (41 वर्ष) युवा हैं। यह साल उनकी जिंदगी के लिए बेहद खास रहा है क्योंकि अपने जीवन में पहली बार उन्होंने श्रीनगर के लाल चौक की वह तस्वीर देखी है, जिसे देखने के लिए जम्मू-कश्मीर की कई पीढ़ियां तरस गईं। इस साल कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर श्रीनगर के लाल चौक से कारगिल के लाल चौक (Lal Chowk) तक तिरंगा यात्रा (Tiranga Yatra) निकाली गई। भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (BJYM) की तरफ से निकाली गई इस लगभग 350 किलोमीटर की तिरंगा यात्रा में घाटी के मुसलमान युवाओं ने भी भाग लिया।

भारी संख्या में युवाओं की भागीदारी

कश्मीर के जिन युवाओं के हाथों में अब तक पत्थर और आपत्तिजनक संगठनों के झंडे देखे जाते थे, जिन्हें देश के फौजियों का विरोध करते देखा जाता था, कारगिल विजय दिवस पर उन्हीं युवाओं के हाथों में तिरंगा देखा गया। कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) पर वही हाथ देश की रक्षा में तैनात फौजियों को मिठाइयां खिला रहे थे। क्या यह तस्वीर यह उम्मीद जगाती है कि घाटी में बदलाव की बयार बह रही है? तो क्या केंद्र सरकार कश्मीरी युवाओं के सपनों पर खरी उतर रही है?

मैक्सन टिक्कू ने अमर उजाला को बताया कि भाजपा युवा मोर्चे (BJYM) के कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में युवाओं ने भागीदारी की। यह देखना बेहद आश्चर्यजनक था कि जिस घाटी में तिरंगा उठाने वाले नहीं मिलते थे, वहां तिरंगा यात्रा में इतनी भारी संख्या में युवा आए कि मोटरसाइकिलें कम पड़ गईं। संगठन को लेह से अतिरिक्त मोटरसाइकिलें मंगवाकर यात्रा करानी पड़ी। हाथों में तिरंगा थामे इन युवाओं में ऐसे छात्र भी शामिल थे, जिन्हें कभी शक की निगाह से देखा जाता था। लेकिन बदले माहौल में अब उन्हें भी घाटी की तस्वीर बदलती दिखाई पड़ रही है।

अब बेंगलुरु जाने की जरूरत नहीं

BJYM के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) ने लाल चौक (Lal Chowk) पर कहा कि घाटी की तस्वीर बदल रही है। इसकी सबसे बड़ी गवाह यह रैली है, जिसमें हजारों की संख्या में युवा सामने आए और यात्रा को संपन्न कराया। लेकिन घाटी की असली तस्वीर बदली है वहां शिक्षा और रोजगार के नए अवसरों के पैदा होने से क्योंकि इसके बाद जम्मू और घाटी के युवाओं को अब शिक्षा या रोजगार के लिए दिल्ली या बेंगलुरु जाने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

यह एक संयोग की ही बात है कि आतंकियों की चेतावनी के बीच लगभग 30 साल पहले आज के प्रधानमंत्री मोदी ने कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। आज वे देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और उन्हीं की सरकार में कश्मीर पर लागू होने वाले अनुच्छेद 370 और 35A की विवादित धाराएं समाप्त की जा चुकी हैं। सरकार का प्रयास है कि कश्मीर में निवेश हो, युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें और वह देश की विकास की मुख्य धारा में शामिल हो। इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और अब शायद उसका रंग दिखाई पड़ने लगा है। कश्मीरी युवाओं के हाथों में पत्थर की जगह तिरंगा आना इसी बदलाव का संकेत है।

टारगेट किलिंग से कैसा असर

कश्मीर की जिला अदालत में प्रैक्टिस करने वाले वकील अनुज जसरोटिया ने बताया कि टारगेट किलिंग से पाकिस्तान समर्थित आतंकी लोगों को डराने का काम करते थे। इसकी आड़ में वे कश्मीरी युवाओं को देश के खिलाफ भड़काने का काम करते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में घाटी में जिस तरह की हिंसक घटनाएं हुईं थीं, उसे देखकर लोगों को यह डर सताने लगा कि घाटी में 90 के आतंक का दौर दोबारा लौट सकता है। शायद यही कारण रहा कि लोग खुलकर सामने आए और इसका पुरजोर विरोध किया। चूंकि टारगेट किलिंग में कश्मीरी पंडितों और राष्ट्रवाद की आवाज उठा रहे मुसलमानों को भी मारा गया, लिहाजा मुसलमान भी इसके विरोध में आ गए। इससे आतंकियों के पांव उखड़ रहे हैं।

अनुज जसरोटिया ने बताया कि जमीनी समर्थन न पाने के कारण ऐसे संगठनों की आवाज लगातार कमजोर पड़ रही है, जो युवाओं को भारत के विरूद्ध तैयार करने का काम करते थे। इनमें वे मुसलमान परिवार और युवा भी शामिल हैं जो बाहर की दुनिया के सामने स्वयं को पिछड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि यही अवसर है जब घाटी को दुबारा धरती का स्वर्ग बनाया जा सकता है। लेकिन यह सब तभी हो सकता है जब यहां पर्यटक लौटें और उन्हें रोजगार मिले।  

युवाओं के सपनों पर खरा उतरेंगे- तेजस्वी सूर्या

भाजपा युवा मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने इन्हीं युवाओं के सपनों को पंख दिया। उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीरी युवाओं को वह पूरा अवसर उपलब्ध कराने के लिए कमर कस चुकी है, जो दिल्ली या मुंबई में रहने वाले युवाओं को मिलता है। उन्होंने कहा कि घाटी में तिरंगे की यह लहर देखना एतिहासिक पल है और इसके लिए कश्मीर के युवाओं को ही श्रेय दिया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि कश्मीर को विद्या अद्ययन की नगरी होने का गौरव हासिल था, और उसे दोबारा वही गौरव दिलाना केंद्र सरकार का लक्ष्य है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए अनुच्छेद 370 हटाने के बाद यहां अनेक सेंट्रल यूनिवर्सिटीज, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, टेक्निकल इंस्टिट्यूट, स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट शुरू किये जा रहे हैं। ये नए कश्मीर की विकासगाथा लिखेंगे।



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