जम्मू-कश्मीर: घाटी में आतंक फैलाने के लिए पीओके से मिल रहे आदेश! आतंकी के काम-तमाम के लिए सुरक्षा एजेंसियां भी तैयार


सार

खुफिया एजेंसी और रक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद तो कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक कोई भी बड़ा चेहरा अब जीवित नहीं बचा है। बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के जेल में होने से इन दोनों आतंकियों के समर्थक भी पूरी तरीके से या तो खत्म हो चुके हैं या टूट चुके हैं…

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कश्मीर में तेजी से सुधर रहे हालात और हाल ही में रिलीज फिल्म द कश्मीर फ़ाइल्स के बाद से पाकिस्तान समेत पीओके के मुजफ्फराबाद में जबरदस्त हलचल मचनी शुरू हो गई है। बीते कुछ दिनों में कश्मीर घाटी में जिस तरीके से आतंकी वारदातें हो रही हैं उसके पीछे यही सबसे बड़ी वजह है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घाटी में इस वक्त जितने भी बड़ी वारदातें हो रही हैं उसमें सबसे बड़ा हाथ पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे भारतीय नेटवर्क वाले आतंकी का है। फिलहाल पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे एक आतंकी की हरकतों पर भारत की खुफिया एजेंसियों ने निगाहें चौकस कर दी हैं। सूत्रों का कहना है कश्मीर घाटी में हो रही वारदातों के पीछे मुजफ्फराबाद में बैठे इसी शख्स का हाथ है। जल्द ही इस पर बहुत बड़ी कार्रवाई होने वाली है।

घाटी में नहीं बचा आतंकियों का कोई रहनुमा

बीते एक दशक में मार्च ऐसा महीना रहा जहां कश्मीर में सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे। पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि तकरीबन 40 हजार से ज्यादा पर्यटक कश्मीर घाटी में बेखौफ हो चुके माहौल में घूमने आ चुके हैं। इसके अलावा भारत सरकार की सकारात्मक मुहिम के चलते कश्मीर घाटी में अपने देश में ही विस्थापित हो चुके कश्मीरी पंडितों को बसाने की प्रक्रिया बहुत तेजी से चल रही है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से पाकिस्तान अपनी ओर से घाटी में एक बार फिर से माहौल बिगाड़ने की कोशिश करना चाह रहा है। सूत्रों का कहना है कि लेकिन ऐसा अब संभव नहीं हो पाएगा। घाटी में लंबे समय तक काम कर चुके खुफिया विभाग से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि अब कश्मीर घाटी में पाकिस्तान की आईएसआई की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई भी बड़ा आतंकियों का रहनुमा मौजूद नहीं है। पिछले साल सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद तो पूरी तरीके से घाटी में आतंकवाद को पनाह देने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं बचा।

यही वजह है कि आईएसआई ने अब अपने आतंकवाद फैलाने वाले केंद्र बिंदु को घाटी से शिफ्ट कर पीओके के मुजफ्फराबाद में शिफ्ट कर दिया है। मुजफ्फराबाद में इस वक्त आईएसआई ने घाटी में आतंक को फैलाने की कमान ऐसे शख्स को दी है जिसका नेटवर्क भारत में पहले से बना हुआ है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस व्यक्ति का नाता संसद हमले में शामिल एक व्यक्ति से भी रहा है। संसद हमले में शामिल रहे आतंकी से करीबी रिश्तेदारी के चलते ही आईएसआई ने इस शख्स पर घाटी में आतंकवाद फैलाने का दांव लगाया था। लेकिन सैयद अली शाह गिलानी के चलते या व्यक्ति स्लीपर सेल की तरह काम करता रहा। अब उनकी मौत के बाद यह श्रीनगर के बाहरी इलाकों से निकलकर पीओके के मुजफ्फराबाद में पहुंच चुका है। सूत्र बताते हैं कि जो भी घाटी में आतंकी घटनाएं हो रही हैं, उसके पीछे पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे इसी मास्टरमाइंड का हाथ होता है।

मुजफ्फराबाद में बैठा है शख्स

कश्मीर में बीते कुछ सालों में आतंकवाद की घटनाएं ना सिर्फ कम हुई हैं, बल्कि आतंकियों का सफाया भी बड़ी तेजी से हुआ है। खुफिया एजेंसी और रक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद तो कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक कोई भी बड़ा चेहरा अब जीवित नहीं बचा है। बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के जेल में होने से इन दोनों आतंकियों के समर्थक भी पूरी तरीके से या तो खत्म हो चुके हैं या टूट चुके हैं। अधिकांश आतंकी जेलों में हैं। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद पाकिस्तान ने एक बार तो उसके करीबी रिश्तेदार पर दांव लगाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों की सक्रियता और खुफिया एजेंसियों की वजह से वह सफल नहीं रहा।

हालांकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों ने पीओके के मुजफ्फराबाद से कश्मीर में कुछ छोटे-मोटे आतंकी संगठन जरूर तैयार किए। जिसमें द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), द पीपल एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी) और कश्मीर जांबाज़ फोर्स (केजेबी) जैसे कुछ और छोटे-मोटे स्थानीय लड़कों के आतंकी संगठन तैयार किए गए हैं। खुफिया और रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह सभी संगठन पाकिस्तान के आईएसआई के इशारे पर ही काम कर रहे हैं। ये सभी संगठन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों का ही एक अलग आतंकी संगठन है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे जिस शख्स के इशारे पर इस वक्त घाटी में थोड़ी बहुत हलचल हो रही है वह उसके निशाने पर है। उनका कहना है मुजफ्फराबाद से घाटी में हो रही घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकियों की एक-एक मूवमेंट की पूरी जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसी के पास पहुंच रही। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि सही समय आने पर ऐसे आतंकियों का हिसाब-किताब बराबर ही कर दिया जाएगा।

विस्तार

कश्मीर में तेजी से सुधर रहे हालात और हाल ही में रिलीज फिल्म द कश्मीर फ़ाइल्स के बाद से पाकिस्तान समेत पीओके के मुजफ्फराबाद में जबरदस्त हलचल मचनी शुरू हो गई है। बीते कुछ दिनों में कश्मीर घाटी में जिस तरीके से आतंकी वारदातें हो रही हैं उसके पीछे यही सबसे बड़ी वजह है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घाटी में इस वक्त जितने भी बड़ी वारदातें हो रही हैं उसमें सबसे बड़ा हाथ पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे भारतीय नेटवर्क वाले आतंकी का है। फिलहाल पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे एक आतंकी की हरकतों पर भारत की खुफिया एजेंसियों ने निगाहें चौकस कर दी हैं। सूत्रों का कहना है कश्मीर घाटी में हो रही वारदातों के पीछे मुजफ्फराबाद में बैठे इसी शख्स का हाथ है। जल्द ही इस पर बहुत बड़ी कार्रवाई होने वाली है।

घाटी में नहीं बचा आतंकियों का कोई रहनुमा

बीते एक दशक में मार्च ऐसा महीना रहा जहां कश्मीर में सबसे ज्यादा पर्यटक पहुंचे। पर्यटन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि तकरीबन 40 हजार से ज्यादा पर्यटक कश्मीर घाटी में बेखौफ हो चुके माहौल में घूमने आ चुके हैं। इसके अलावा भारत सरकार की सकारात्मक मुहिम के चलते कश्मीर घाटी में अपने देश में ही विस्थापित हो चुके कश्मीरी पंडितों को बसाने की प्रक्रिया बहुत तेजी से चल रही है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से पाकिस्तान अपनी ओर से घाटी में एक बार फिर से माहौल बिगाड़ने की कोशिश करना चाह रहा है। सूत्रों का कहना है कि लेकिन ऐसा अब संभव नहीं हो पाएगा। घाटी में लंबे समय तक काम कर चुके खुफिया विभाग से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं कि अब कश्मीर घाटी में पाकिस्तान की आईएसआई की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई भी बड़ा आतंकियों का रहनुमा मौजूद नहीं है। पिछले साल सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद तो पूरी तरीके से घाटी में आतंकवाद को पनाह देने वाला कोई भी व्यक्ति नहीं बचा।

यही वजह है कि आईएसआई ने अब अपने आतंकवाद फैलाने वाले केंद्र बिंदु को घाटी से शिफ्ट कर पीओके के मुजफ्फराबाद में शिफ्ट कर दिया है। मुजफ्फराबाद में इस वक्त आईएसआई ने घाटी में आतंक को फैलाने की कमान ऐसे शख्स को दी है जिसका नेटवर्क भारत में पहले से बना हुआ है। खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस व्यक्ति का नाता संसद हमले में शामिल एक व्यक्ति से भी रहा है। संसद हमले में शामिल रहे आतंकी से करीबी रिश्तेदारी के चलते ही आईएसआई ने इस शख्स पर घाटी में आतंकवाद फैलाने का दांव लगाया था। लेकिन सैयद अली शाह गिलानी के चलते या व्यक्ति स्लीपर सेल की तरह काम करता रहा। अब उनकी मौत के बाद यह श्रीनगर के बाहरी इलाकों से निकलकर पीओके के मुजफ्फराबाद में पहुंच चुका है। सूत्र बताते हैं कि जो भी घाटी में आतंकी घटनाएं हो रही हैं, उसके पीछे पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे इसी मास्टरमाइंड का हाथ होता है।

मुजफ्फराबाद में बैठा है शख्स

कश्मीर में बीते कुछ सालों में आतंकवाद की घटनाएं ना सिर्फ कम हुई हैं, बल्कि आतंकियों का सफाया भी बड़ी तेजी से हुआ है। खुफिया एजेंसी और रक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद तो कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक कोई भी बड़ा चेहरा अब जीवित नहीं बचा है। बिट्टा कराटे और यासीन मलिक के जेल में होने से इन दोनों आतंकियों के समर्थक भी पूरी तरीके से या तो खत्म हो चुके हैं या टूट चुके हैं। अधिकांश आतंकी जेलों में हैं। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक सैयद अली शाह गिलानी की मौत के बाद पाकिस्तान ने एक बार तो उसके करीबी रिश्तेदार पर दांव लगाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों और खुफिया एजेंसियों की सक्रियता और खुफिया एजेंसियों की वजह से वह सफल नहीं रहा।

हालांकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों ने पीओके के मुजफ्फराबाद से कश्मीर में कुछ छोटे-मोटे आतंकी संगठन जरूर तैयार किए। जिसमें द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ), द पीपल एंटी फासिस्ट फोर्स (पीएएएफ), कश्मीर टाइगर्स (केटी) और कश्मीर जांबाज़ फोर्स (केजेबी) जैसे कुछ और छोटे-मोटे स्थानीय लड़कों के आतंकी संगठन तैयार किए गए हैं। खुफिया और रक्षा सूत्रों के मुताबिक यह सभी संगठन पाकिस्तान के आईएसआई के इशारे पर ही काम कर रहे हैं। ये सभी संगठन पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद के अलावा हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों का ही एक अलग आतंकी संगठन है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि पीओके के मुजफ्फराबाद में बैठे जिस शख्स के इशारे पर इस वक्त घाटी में थोड़ी बहुत हलचल हो रही है वह उसके निशाने पर है। उनका कहना है मुजफ्फराबाद से घाटी में हो रही घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकियों की एक-एक मूवमेंट की पूरी जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसी के पास पहुंच रही। सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि सही समय आने पर ऐसे आतंकियों का हिसाब-किताब बराबर ही कर दिया जाएगा।



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