ज्ञानवापी सर्वे का आज दूसरा दिन: मस्जिद कमेटी पक्ष के विरोध के बीच कार्रवाई जारी, हंगामे की आशंका में भारी फोर्स तैनात


सार

ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी का आज दूसरा दिन है। मस्जिद कमेटी पक्ष इसके खिलाफ कोर्ट तक पहुंच चुका है। 

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वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी का काम आज लगातार दूसरे दिन शुरू हो चुका है। दोनों पक्ष की मौजूदगी में सर्वे और वीडियोग्राफी का काम हो रहा है। कोर्ट कमिश्नर, वादी और प्रतिवदी पक्ष अंदर जाते ही गेट नंबर चार को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। 

शुक्रवार को हुए हंगामे को देखते हुए चौक क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है। चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जा रही है।  इस कार्रवाई को जहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून का उल्लंघन करने वाला बताया है। तो वहीं मसाजिद कमेटी पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए अदालत से उन्हें बदलने की मांग की है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सर्वे कमिश्नर और वादी पक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करें। इस मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी। 

कल पूरा हो सकता है सर्वे का काम

इधर, सोशल मीडिया पर भी मामले को लेकर तर्क-वितर्क गढ़े जा रहे हैं।  श्रृंगार गौरी में दर्शन पूजन करने के लिए वाद दाखिल करने वाली महिलाओं के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि शुक्रवार को शुरू हुआ सर्वे का काम रविवार तक पूरा होने की संभावना है।

बताया कि खसरा नंबर 9130 के सर्वे के हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं। इस आदेश में पूरे खसरे के सर्वे का आदेश है, जिसमें संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और शृंगार गौरी समाहित हैं।  ऐसे में इतने बड़े क्षेत्र के सर्वे में तीन दिन का समय लग सकता है।

अदालत में मुकदमा दाखिल करने वाली महिलाओं सीता साहू, मंजू व्यास, राखी सिंह के अनुसार वर्ष 1992 तक मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति थी। महिलाओं ने पुलिस के अधिकारियों से सुरक्षा की गुहार लगाई थी। सर्वे को देखते हुए वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के 10 थानों की फोर्स और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट को अतिरिक्त सतर्कता के साथ माहौल पर नजर रखने के लिए कहा है।

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को ट्वीट कर कहा कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर के कुछ इलाकों के सर्वेक्षण पर अदालत का हालिया आदेश रक्तपात और मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोल रहा है।

वाराणसी की अदालत के आदेश की निंदा करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने एक ट्वीट में कहा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का यह आदेश 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुला उल्लंघन है, जो धार्मिक स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाता है। यह सरकार का कर्तव्य है कि वो कोर्ट के बताए कि वह गलत क्यों कर रही है।

एक अन्य ट्वीट में लिखा कि अयोध्या के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अधिनियम भारतीय राजनीति की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है जो संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है। असदुद्दीन ओवैसी का बयान अदालत के एक आयुक्त के वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में अदालत के आदेश के अनुसार परिसर का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने के एक दिन बाद आया है। 

अदालत के आदेश पर शुक्रवार को ज्ञानवापी परिसर में पौने चार घंटे तक सर्वे और वीडियोग्राफी हुई। इस दौरान बाहर सड़क पर दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी हुई। सर्वे के दौरान एहतियातन आसपास की दुकानें लोगों ने बंद रखीं।  कमीशन कार्यवाही के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्र अन्य लोगों के साथ शुक्रवार को सवा तीन बजे सर्वे के लिए परिसर में पहुंचे और शाम 7 बजे बाहर निकले।

कमीशन को 10 मई को अपनी रिपोर्ट जिला अदालत को देनी है। मां शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन को लेकर दायर याचिका पर जिला अदालत ने कमीशन बैठाकर सर्वे व वीडियोग्राफी का आदेश दिया है। पुलिस की कड़ी सुरक्षा में कमीशन की कार्यवाही शुरू हुई। ज्ञानवापी पहुंचे अधिवक्ताओं की भी जांच की गई। इसके बाद अंदर प्रवेश दिया गया।  

शुक्रवार और सर्वे के चलते परिसर के पास अधिक भीड़ रही। सर्वे जिस समय शुरू हुआ, उस दौरान एहतियातन आसपास की दुकानें लोगाें ने बंद कर दीं। पुलिस की ओर से भरोसा दिलाए जाने के बाद आसपास को छोड़कर बाकी दुकानें खुल गईं।

नई दिल्ली की राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की ओर से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। इसमें कहा गया है कि भक्तों को मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन एवं अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए।

वाद में प्रदेश सरकार के अलावा जिलाधिकारी, पुलिस आयुक्त, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को पक्षकार बनाया गया। इस वाद पर मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने पिछले 9 अप्रैल को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त कर कमीशन कार्यवाही का आदेश दिया। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के लिए निर्देशित किया गया था।

विस्तार

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी का काम आज लगातार दूसरे दिन शुरू हो चुका है। दोनों पक्ष की मौजूदगी में सर्वे और वीडियोग्राफी का काम हो रहा है। कोर्ट कमिश्नर, वादी और प्रतिवदी पक्ष अंदर जाते ही गेट नंबर चार को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। 

शुक्रवार को हुए हंगामे को देखते हुए चौक क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है। चप्पे-चप्पे पर पैनी नजर रखी जा रही है।  इस कार्रवाई को जहां एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कानून का उल्लंघन करने वाला बताया है। तो वहीं मसाजिद कमेटी पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए अदालत से उन्हें बदलने की मांग की है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सर्वे कमिश्नर और वादी पक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करें। इस मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी। 

कल पूरा हो सकता है सर्वे का काम

इधर, सोशल मीडिया पर भी मामले को लेकर तर्क-वितर्क गढ़े जा रहे हैं।  श्रृंगार गौरी में दर्शन पूजन करने के लिए वाद दाखिल करने वाली महिलाओं के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने बताया कि शुक्रवार को शुरू हुआ सर्वे का काम रविवार तक पूरा होने की संभावना है।



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