आज का शब्द: नीलकंठ और द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- मथता रहा सिंधु, उसमें से निकला विष


                
                                                             
                            अमर उजाला 'हिंदी हैं हम' शब्द श्रृंखला में आज का शब्द है- नीलकंठ, जिसका अर्थ है- शिव और नीले कंठ और डैनों वाली एक छोटी चिड़िया। प्रस्तुत है द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी की कविता- मथता रहा सिंधु, उसमें से निकला विष
                                                                     
                            

जब तक जिया, बिछाए तुमने
मेरे मारग में काँटे ही
लेकिन जब न रहूँगा, तब तो
माला-फूल चढ़ाओगे ही।

इतनी ही प्रेरणा बहुत है
साँसों को चलते रहने की;
स्नेह बिना भी धरती के इस
दीपक को जलते रहने की।
जबकि लगेगी बुझने बाती
तब तो हाथ बढ़ाओगे ही।1।

बादल बन कर रहा खींचता
सागर का खारा पानी मैं,
पर धरती को रहा सींचता
बरसा कर मीठा पानी मैं।
बरस चुकूँगा, शरद चाँदनी
का तब कफन उढ़ाओगे ही।2।
 

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1 hour ago



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