Train Ticket Concessions: वरिष्ठ नागरिकों को फिर से मिलेगी किराए में छूट! उम्र की सीमा में बदलाव की तैयारी


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वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट में मिलने वाली रियायतों (senior citizen concessions) को लेकर कई तिमाहियों से आलोचनाओं का सामना कर रहा रेलवे (Railways) इन रियायतों की बहाली पर विचार कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रेलवे जल्दी ही वरिष्ठ नागरिकों को फिर से किराए में रियायत (Train Ticket Concessions) दे सकता है। हालांकि रेलवे छूट की शर्तों में कुछ बदलाव भी करने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने बताया कि अब रेलवे  केवल सामान्य और शयनयान वर्ग के लिए ही किराए में रियायत देगा। 

रेलवे ने कहा कि हम समझते हैं कि ये रियायतें बुजुर्गों की मदद करती हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं। हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे।” रेलवे बोर्ड (Railway board) वरिष्ठ नागरिक रियायत के लिए आयु मानदंड में बदलाव करने और इसे केवल 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है। 

गौरतलब है कि 2020 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान वापस लिए जाने से पहले, वरिष्ठ नागरिक रियायत 58 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों के लिए बढ़ा दी गई थी। उस समय महिलाएं 50 प्रतिशत छूट के लिए पात्र थीं। वहीं पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी वर्गों में 40 प्रतिशत छूट का लाभ उठा सकते थे।

आयु सीमा बढ़ाने के साथ ही रेलवे एक और प्रावधान में परिवर्तन करना चाह रहा है। रेलवे रियायतों को केवल गैर-एसी यात्रा तक सीमित करने की योजना बना रहा है। इसको लेकर रेलवे का तर्क है कि अगर हम इसे स्लीपर और सामान्य श्रेणी तक सीमित रखते हैं, तो हम 70 प्रतिशत यात्रियों को कवर करते हैं। रेलवे ने कहा कि वह कुछ ऐसे विकल्पों पर विचार कर रहा है।  साथ ही रेलवे विचार कर रहा है कि सभी ट्रेनों में ‘प्रीमियम तत्काल’ योजना शुरू की जाए। इससे ज्यादा राजस्व कमाने में मदद मिलेगी, जो रियायतों के बोझ को दूर कर सकता है। यह योजना फिलहाल करीब 80 ट्रेनों में लागू है।

गौरतलब है कि पिछले दो दशकों में रेलवे रियायतें एक बहुचर्चित विषय रहा है। इस बारे में कई समितियों ने रियायतों को वापस लेने की सिफारिश की है। इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया। विभिन्न प्रकार के यात्रियों को दी जाने वाली 50 से अधिक प्रकार की रियायतों के कारण रेलवे पर हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का भारी बोझ पड़ता है। वरिष्ठ नागरिक रियायत इसके द्वारा दी गई कुल छूट का लगभग 80 प्रतिशत है।

इससे पहले, रेलवे ने लोगों को अपनी वरिष्ठ नागरिक रियायत को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की थी, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। पिछले हफ्ते, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है। इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए रियायतों का दायरा बढ़ाना वांछनीय नहीं है। 

विस्तार

वरिष्ठ नागरिकों को रेल टिकट में मिलने वाली रियायतों (senior citizen concessions) को लेकर कई तिमाहियों से आलोचनाओं का सामना कर रहा रेलवे (Railways) इन रियायतों की बहाली पर विचार कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रेलवे जल्दी ही वरिष्ठ नागरिकों को फिर से किराए में रियायत (Train Ticket Concessions) दे सकता है। हालांकि रेलवे छूट की शर्तों में कुछ बदलाव भी करने की योजना बना रहा है। सूत्रों ने बताया कि अब रेलवे  केवल सामान्य और शयनयान वर्ग के लिए ही किराए में रियायत देगा। 

रेलवे ने कहा कि हम समझते हैं कि ये रियायतें बुजुर्गों की मदद करती हैं और हमने कभी नहीं कहा कि हम इसे पूरी तरह से खत्म करने जा रहे हैं। हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं और इस पर फैसला लेंगे।” रेलवे बोर्ड (Railway board) वरिष्ठ नागरिक रियायत के लिए आयु मानदंड में बदलाव करने और इसे केवल 70 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए बढ़ाने पर विचार कर रहा है। 

गौरतलब है कि 2020 में कोरोनावायरस महामारी के दौरान वापस लिए जाने से पहले, वरिष्ठ नागरिक रियायत 58 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों के लिए बढ़ा दी गई थी। उस समय महिलाएं 50 प्रतिशत छूट के लिए पात्र थीं। वहीं पुरुष और ट्रांसजेंडर सभी वर्गों में 40 प्रतिशत छूट का लाभ उठा सकते थे।

आयु सीमा बढ़ाने के साथ ही रेलवे एक और प्रावधान में परिवर्तन करना चाह रहा है। रेलवे रियायतों को केवल गैर-एसी यात्रा तक सीमित करने की योजना बना रहा है। इसको लेकर रेलवे का तर्क है कि अगर हम इसे स्लीपर और सामान्य श्रेणी तक सीमित रखते हैं, तो हम 70 प्रतिशत यात्रियों को कवर करते हैं। रेलवे ने कहा कि वह कुछ ऐसे विकल्पों पर विचार कर रहा है।  साथ ही रेलवे विचार कर रहा है कि सभी ट्रेनों में ‘प्रीमियम तत्काल’ योजना शुरू की जाए। इससे ज्यादा राजस्व कमाने में मदद मिलेगी, जो रियायतों के बोझ को दूर कर सकता है। यह योजना फिलहाल करीब 80 ट्रेनों में लागू है।

गौरतलब है कि पिछले दो दशकों में रेलवे रियायतें एक बहुचर्चित विषय रहा है। इस बारे में कई समितियों ने रियायतों को वापस लेने की सिफारिश की है। इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई 2016 में रेलवे ने बुजुर्गों के लिए रियायत को वैकल्पिक बना दिया। विभिन्न प्रकार के यात्रियों को दी जाने वाली 50 से अधिक प्रकार की रियायतों के कारण रेलवे पर हर साल लगभग 2,000 करोड़ रुपये का भारी बोझ पड़ता है। वरिष्ठ नागरिक रियायत इसके द्वारा दी गई कुल छूट का लगभग 80 प्रतिशत है।

इससे पहले, रेलवे ने लोगों को अपनी वरिष्ठ नागरिक रियायत को छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश की थी, लेकिन यह सफल नहीं हुआ। पिछले हफ्ते, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा था कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है। इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों सहित सभी श्रेणियों के यात्रियों के लिए रियायतों का दायरा बढ़ाना वांछनीय नहीं है। 



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