मुर्मू पर आदिवासी सियासत: जनजातीय वेशभूषा में कमलनाथ से वोट मांगने पहुंचे BJP नेता, जानिए द्रौपदी अहम क्यों?


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भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। कहा जा रहा है कि पहली बार कोई आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति बनने जा रही है। इसके जरिए भाजपा की कोशिश देशभर में आदिवासियों के लिए रिजर्व सीटों पर दावा मजबूर करने की है। मध्य प्रदेश के लिए मुर्मू की उम्मीदवारी अहम है क्योंकि यह उन राज्यों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में ट्राइबर वोटर हैं। इसी वजह से सांसद गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में आदिवासी समाज के भाजपा नेता जनजातीय वेशभूषा पहनकर कमलनाथ के पास जाएंगे और उनसे मुर्मू को वोट डालकर जिताने की अपील करेंगे। 

भाजपा को 2018 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में हार मिली थी। बड़ी वजह थी आदिवासियों की रिजर्व सीटों पर पार्टी की पराजय। ऐसे में अगर पार्टी को 2023 में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना है तो उसे आदिवासियों की रिजर्व सीटों पर स्थिति मजबूत करनी होगी। भाजपा ने इस मिशन को पिछले साल ही शुरू कर दिया था। जब बिरसा मुंडा की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाया। फिर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति कर दिया। इतना ही नहीं, इंदौर और आसपास की कई जगहों को टंट्या भील का नाम दिया गया। भाजपा ने मुर्मू के भोपाल में स्वागत में भी आदिवासी थीम रखी। एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री निवास तक जनजातीय परंपराओं के प्रतीकों से रास्ते को पाट दिया गया। मुर्मू के जीतने पर सभी आदिवासी गांवों में भाजपा जश्न मनाने वाली है। भाजपा सांसद गजेंद्र सिंह पटेल ने जनजातीय वेशभूषा में कमलनाथ से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कांग्रेस के विधायक द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट करेंगे।  
 
2018 में वोट अधिक मिलने पर भी सत्ता से दूरी
मध्य प्रदेश में 2018 में 41.5 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद सत्ता से बीजेपी दूर हो गई थी। वह 2023 में बहुमत हासिल करने में कोई भी कमी नहीं रहने देना चाहती। इस वजह से सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को साधना शुरू कर दिया।  बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति के लिए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जमकर जश्न मनाया।

84 सीटों पर सीधा प्रभाव है आदिवासियों का
प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 84 सीटों पर उनका सीधे प्रभाव है। 2013 में इनमें से बीजेपी को 59 सीटों पर जीत मिली थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 84 में से 34 सीट पर जीत मिली थी। उसकी 25 सीटें कम हो गई। इस वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी। वहीं, कांग्रेस के खाते में 15 सीट आईं। 2018 के चुनाव में आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा सिर्फ 16 पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस ने 30 सीटें जीत ली थी। एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।

ट्रम्प कार्ड से कम नहीं है भाजपा का दांव
ऐसे राज्यों में जहां आदिवासी बड़ी संख्या में रहते हैं, भाजपा का द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए आगे लाना, ट्रम्प कार्ड से कम नहीं है। बीजेपी लगातार यह दावा कर रही है कि भारत के इतिहास में पहली बार आदिवासी वर्ग को सर्वोच्च पद मिलने वाला है। भाजपा नेता कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि कांग्रेस ने सिर्फ आदिवासी वर्ग का शोषण किया। वोट बैंक का साधन माना है।  कांग्रेस मुर्मू के पक्ष में वोट नहीं करेगी। ऐसे में बीजेपी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के बीच जाकर उसके आदिवासी विरोधी होने का प्रचार करेगी। 
 
मध्य प्रदेश में 43 समूहों वाले आदिवासी 2 करोड़ से ज्यादा
मध्य प्रदेश में 43 समूहों वाले आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है। इसको साधने की बीजेपी पहले से तैयारी कर रही है। सितंबर 2021 में अमित शाह जबलपुर में राजा शंकरशाह-कुवर रघुनाथ शाह के 164वें बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आए। उन्होंने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर गौंड रानी कमलापति के नाम पर किया। 4 दिसंबर 2021 को जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर हर साल मेला आयोजित करने के ऐलान के साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने अष्टधातु से निर्मित उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद फिर अमित शाह भोपाल में तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में शामिल हुए।

 
 
 
 

विस्तार

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने राष्ट्रपति चुनावों के लिए द्रोपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया है। कहा जा रहा है कि पहली बार कोई आदिवासी महिला देश की राष्ट्रपति बनने जा रही है। इसके जरिए भाजपा की कोशिश देशभर में आदिवासियों के लिए रिजर्व सीटों पर दावा मजबूर करने की है। मध्य प्रदेश के लिए मुर्मू की उम्मीदवारी अहम है क्योंकि यह उन राज्यों में से एक है, जहां बड़ी संख्या में ट्राइबर वोटर हैं। इसी वजह से सांसद गजेंद्र सिंह के नेतृत्व में आदिवासी समाज के भाजपा नेता जनजातीय वेशभूषा पहनकर कमलनाथ के पास जाएंगे और उनसे मुर्मू को वोट डालकर जिताने की अपील करेंगे। 

भाजपा को 2018 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनावों में हार मिली थी। बड़ी वजह थी आदिवासियों की रिजर्व सीटों पर पार्टी की पराजय। ऐसे में अगर पार्टी को 2023 में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना है तो उसे आदिवासियों की रिजर्व सीटों पर स्थिति मजबूत करनी होगी। भाजपा ने इस मिशन को पिछले साल ही शुरू कर दिया था। जब बिरसा मुंडा की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाया। फिर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति कर दिया। इतना ही नहीं, इंदौर और आसपास की कई जगहों को टंट्या भील का नाम दिया गया। भाजपा ने मुर्मू के भोपाल में स्वागत में भी आदिवासी थीम रखी। एयरपोर्ट से मुख्यमंत्री निवास तक जनजातीय परंपराओं के प्रतीकों से रास्ते को पाट दिया गया। मुर्मू के जीतने पर सभी आदिवासी गांवों में भाजपा जश्न मनाने वाली है। भाजपा सांसद गजेंद्र सिंह पटेल ने जनजातीय वेशभूषा में कमलनाथ से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि कांग्रेस के विधायक द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट करेंगे।  

 

2018 में वोट अधिक मिलने पर भी सत्ता से दूरी

मध्य प्रदेश में 2018 में 41.5 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद सत्ता से बीजेपी दूर हो गई थी। वह 2023 में बहुमत हासिल करने में कोई भी कमी नहीं रहने देना चाहती। इस वजह से सत्ता में आने के बाद से ही बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को साधना शुरू कर दिया।  बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति के लिए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने जमकर जश्न मनाया।

84 सीटों पर सीधा प्रभाव है आदिवासियों का

प्रदेश में आदिवासियों की बड़ी आबादी होने से 230 विधानसभा में से 84 सीटों पर उनका सीधे प्रभाव है। 2013 में इनमें से बीजेपी को 59 सीटों पर जीत मिली थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 84 में से 34 सीट पर जीत मिली थी। उसकी 25 सीटें कम हो गई। इस वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश में 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा ने 31 सीटें जीती थी। वहीं, कांग्रेस के खाते में 15 सीट आईं। 2018 के चुनाव में आरक्षित 47 सीटों में से भाजपा सिर्फ 16 पर ही जीत दर्ज कर सकी। कांग्रेस ने 30 सीटें जीत ली थी। एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी।

ट्रम्प कार्ड से कम नहीं है भाजपा का दांव

ऐसे राज्यों में जहां आदिवासी बड़ी संख्या में रहते हैं, भाजपा का द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए आगे लाना, ट्रम्प कार्ड से कम नहीं है। बीजेपी लगातार यह दावा कर रही है कि भारत के इतिहास में पहली बार आदिवासी वर्ग को सर्वोच्च पद मिलने वाला है। भाजपा नेता कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि कांग्रेस ने सिर्फ आदिवासी वर्ग का शोषण किया। वोट बैंक का साधन माना है।  कांग्रेस मुर्मू के पक्ष में वोट नहीं करेगी। ऐसे में बीजेपी आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आदिवासियों के बीच जाकर उसके आदिवासी विरोधी होने का प्रचार करेगी। 

 

मध्य प्रदेश में 43 समूहों वाले आदिवासी 2 करोड़ से ज्यादा

मध्य प्रदेश में 43 समूहों वाले आदिवासियों की आबादी 2 करोड़ से ज्यादा है। इसको साधने की बीजेपी पहले से तैयारी कर रही है। सितंबर 2021 में अमित शाह जबलपुर में राजा शंकरशाह-कुवर रघुनाथ शाह के 164वें बलिदान दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आए। उन्होंने हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर गौंड रानी कमलापति के नाम पर किया। 4 दिसंबर 2021 को जननायक टंट्या मामा के बलिदान दिवस पर हर साल मेला आयोजित करने के ऐलान के साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने अष्टधातु से निर्मित उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। इसके बाद फिर अमित शाह भोपाल में तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में शामिल हुए।

 

 

 

 



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