गोरखपुर के खोराबार के रायगंज में तिहरे हत्याकांड के बाद मंगलवार की सुबह रोज जैसी नहीं थी। चारों ओर सन्नाटा और खामोशी में छिपा दर्द हर किसी की आंख में देखा जा सकता था। मां-बाप व बहन को खो चुका बारह वर्ष का अक्षय सुबक-सुबक कर रो रहा था तो ढांढस बंधाने वालों की आंखें भी डबडबा गईं। दूसरी तरफ, राप्ती नदी के तट राजघाट पर जब एक साथ तीन चिताएं जलीं तो सबकी आंखें नम हो गईं। जिसने भी तीन चिताओं को देखा, वह रो पड़ा। राजघाट पर 12 साल के अक्षय ने माता-पिता और बहन जब मुखाग्नि दी तो फफक पड़ा। बोला, माई आ जा…अब हम कइसे रहब। इसके बाद वह बेसुध सा हो गया। इस पर मौजूद लोगों ने उसे संभाला और फिर अंतिम संस्कार को पूरा कराया। अक्षय बार-बार यही कह रहा था कि बड़ा भाई सुग्रीव कमाने गया है। उसे अभी तक मां-बाप और बहन के हत्या की जानकारी नहीं दी गई है। सिर्फ बीमारी की बात बताई गई है।
दुर्भाग्य है कि वह अपनी मां, बहन व पिता का अंतिम दर्शन नहीं कर सका। कोई भाई को जल्दी बुला दे। आग धधक रही है, फिर भाई किसी को नहीं देख पाएगा। दरअसल, सोमवार की रात रायगंज गांव में गामा निषाद, उनकी पत्नी संजू और बेटी प्रीति की आलोक पासवान ने एक तरफा प्यार में हत्या कर दी थी।
बहन की रात में हुई हल्दी, सीधे घाट ले गए शव
गामा के भतीजी की शादी तय है। बुधवार को बरात आनी है और मंगलवार सुबह हल्दी की रस्म होनी थी। लेकिन, मौत की वजह से देर शाम हल्दी की रस्म पूरी कराई गई। वहीं, घर में शादी होने की वजह से शव को घर पर नहीं लाया गया। सीधे राजघाट पर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
आरोपी मां-बाप का इकलौता बेटा
आरोपी आलोक पासवान संतकबीरनगर के रमैना गांव का मूल निवासी है। वह अपने मां-बाप का इकलौता बेटा है। उसकी चार बहनें है, जिसमें से तीन की शादी हो चुकी है। पिता जवाहर लाल पासवान ने बताया कि उसका घर से कोई वास्ता नहीं है। अपने ननिहाल में ही रहता है। हाईस्कूल में फेल होने के बाद वह कुछ दिन अपने रिश्तेदार के घर पुणे में रहकर कमाई किया है। पिता ने बताया कि घटना के बारे में उसे रिश्तेदारों से जानकारी मिली है।