यूक्रेन के पास जैविक हथियार?: रूस का वह दावा जिससे फैला डर, क्या मिले सबूत? बाइडन प्रशासन की सफाई और सच्चाई


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, कीव
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Sun, 13 Mar 2022 08:42 PM IST

सार

पिछले हफ्ते रविवार को रूस के विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट कर अमेरिकी और यूक्रेनी सरकार पर साथ मिलकर सैन्य-जैविक हथियार कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया था। इसे लेकर अब तक बाइडन प्रशासन से लेकर स्वतंत्र वैश्विक संस्थानों के बयान भी सामने आए हैं। 

रूस ने अमेरिका पर लगाए यूक्रेन में जैविक हथियार बनाने में मदद के आरोप।

रूस ने अमेरिका पर लगाए यूक्रेन में जैविक हथियार बनाने में मदद के आरोप।
– फोटो : अमर उजाला।

epaper

पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।

ख़बर सुनें

विस्तार

रूस ने यूक्रेन पर आरोप लगाए हैं कि उसने अमेरिका की मदद से जैविक हथियार तैयार किए हैं। इसे लेकर रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक बैठक तक बुला ली। हालांकि, अमेरिका ने साफ किया है कि रूस यूएनएससी के मंच का इस्तेमाल अपने झूठे प्रोपेगंडा को दुनियाभर में फैलाने के लिए कर रहा है। इस पूरे विवाद के बीच अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि आखिर रूस के आरोप क्या हैं और उसने इन आरोपों को लेकर क्या सबूत पेश किए हैं? यह जानना भी अहम है कि आखिर ये जैविक हथियार कितने खतरनाक होते हैं और यूक्रेन-अमेरिका ने इन्हें लेकर क्या बयान जारी किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि जहां बाइडन प्रशासन की तरफ से एक बयान जारी हुआ है, तो वहीं अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने इसके बिल्कुल उलट दावे किए हैं। 

पहले जानें- क्या हैं जैविक हथियार?

जैविक हथियार पारंपरिक हथियार से बिल्कुल अलग होते हैं। इनमें किसी भी तरह के विस्फोटक पदार्थ नहीं होते, बल्कि इनमें ऐसे जीवाणु, विषाणु और जहरीले पदार्थ होते हैं, जो विस्फोटकों से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं। कहीं भी जैविक हमले से लोग गंभीर रूप से बीमार होते हैं और अगर इस हमले की तीव्रता अधिक है तो लोगों की मौत तक हो जाती है। इसके अलावा शरीर पर इस हमले के बहुत भयानक असर होते हैं। यहां तक कि लोग विकलांगता और मानसिक बीमारियों के शिकार भी हो जाते हैं। जैविक हथियार कम समय में बहुत बड़े क्षेत्र में तबाही मचा सकते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन हथियारों को सीधे तौर पर दुश्मन पर चलाना भी नहीं होता, बल्कि ये  किसी माध्यम से एक से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं। यानी इन्हें हवा, जमीन और पानी के जरिए भी बड़ी आबादी में फैलाया जा सकता है।

बीते कुछ वर्षों में दुनिया में ‘जैविक हथियार’ शब्द का चलन बढ़ा है। कुछ रिपोर्ट्स में यह अंदाजा लगाया जा चुका है कि चीन के वुहान में कोरोनावायरस सबसे पहले इसी लिए फैला, क्योंकि वहां कोरोना के बेअसर स्वरूप को खतरनाक बनाकर जैविक हथियार के तौर पर तैयार किया जा रहा था। हालांकि, इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले। ऐसा माना जाता है कि चीन के अलावा जर्मनी, अमेरिका, रूस समेत दुनिया के 17 देश जैविक हथियार बना चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी ने इसकी मौजूदगी की बात को नहीं माना है।

रूस का क्या बयान, क्या सबूत मिलने की बात कही?

पिछले हफ्ते रविवार को रूस के विदेश मंत्रालय ने एक ट्वीट कर अमेरिकी और यूक्रेनी सरकार पर साथ मिलकर सैन्य-जैविक हथियार कार्यक्रम चलाने का आरोप लगाया था। मॉस्को की तरफ से दावा किया गया था कि यूक्रेन पर हमला करने वाले सैन्यबल को जंग के दौरान ही कार्यक्रम को आपात स्थिति में छिपाने के सबूत मिले हैं। रूस ने दावा किया था कि उसे अमेरिका की तरफ से यूक्रेनी शहरों- खारकीव और पोल्तावा में चलाए जा रही खुफिया लैबोरेट्री से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं। 

यूएनएससी में रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कहा कि हमने कीव शासन द्वारा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के समर्थन से सैन्य जैविक कार्यक्रम के संचालन का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास ऐसे दस्तावेज हैं जिनसे सामने आता है कि यूक्रेन में 30 जैविक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क था, जहां प्लेग, एंथ्रैक्स, हैजा, और अन्य घातक बीमारियों के रोगजनक गुणों को मजबूत करने के मकसद से बेहद खतरनाक जैविक प्रयोग किए जा रहे हैं। 

रूस के दावों को अब तक किसका समर्थन?

यूएनएससी की शुक्रवार को हुई बैठक में इस मुद्दे को एक बार फिर जोर तब मिला, जब चीन ने रूस के दावों का समर्थन किया। इसके बाद ट्विटर पर हैशटैग यूएस बायोलैब्स काफी ट्रेंड करने लगा। यहां तक कि अमेरिकी दक्षिणपंथी संगठनों और क्यूएनॉन जैसे धड़ों ने भी क्रेमलिन के आरोपों के समर्थन में ट्वीट किए और अमेरिका की बाइडन सरकार से सवाल पूछे। यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पूर्व सलाहकार स्टीव बैनन के पॉडकास्ट और फॉक्स न्यूज के प्राइमटाइम शो होस्ट टकर कार्लसन ने भी इन दावों का समर्थन किया और अपनी सरकार पर सवाल उठाए।

अमेरिका और यूक्रेन का क्या दावा?

इस मसले पर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि लिंडा ग्रीनफील्ड ने कहा, “अमेरिका में रासायनिक और जैविक हथियरों के इस्तेमाल की रूसी योजना पर पर्दा डालने के लिए सुरक्षा परिषद के मंच का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। लिंडा ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर अपने हमले को सही ठहराने के लिए कोई भी बहाना ढूंढ सकते हैं। इस बारे में हमारी सरकार पहले ही चेतावनी दे चुकी है।” लिंडा ने कहा कि रूस जैविक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाकर पर्दे के पीछे किए जा रहे नरसंहार को सही ठहराना चाहता है। उधर यूक्रेन के राजूदत सर्गेई किस्लित्सिया ने रूस के इन आरोपों पर कहा कि रूस की तरफ से लगाए जा रहे ये आरोप किसी पागलपन से भरे झूठों का पुलिंदा है। 

यूक्रेन के जैविक हथियारों को लेकर स्वतंत्र संस्थानों का क्या बयान?

रूस के इन आरोपों को लेकर अब तक कोई स्वतंत्र जांच तो नहीं बिठाई गई है, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि उसे यूक्रेन में ऐसी किसी गतिविधि की जानकारी नहीं है, जिससे किसी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन हो रहा हो। यहां तक कि जैविक हथियारों पर लगे प्रतिबंधों के उल्लंघन से जुड़ी कोई बात भी सामने नहीं आई है। 

उधर संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण मामलों के उच्चायुक्त इजुमी नाकामित्सु ने भी डब्ल्यूएचओ के वक्तव्य को दोहराया है। उन्होंने कहा कि जैविक हथियारों के कन्वेंशन के मुताबिक, 1975 से ही ऐसे हथियारों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया था। इस कन्वेंशन को तब अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का भी समर्थन था, जिन्होंने 1969 में जैविक हथियार बनाने के किसी भी कार्यक्रम पर हमेशा के लिए रोक लगा दी थी। 

तो क्या यूक्रेन में बायो लैब्स हैं, क्या उन्हें अमेरिका से फंडिंग मिली है?

यूक्रेन में बायो लैब्स हैं, ये बात जगजाहिर है और इन्हें अमेरिका से फंडिंग भी मिलती हैं। अमेरिका की उपविदेश मंत्री विक्टोरिया न्यूलैंड ने इसी हफ्ते अमेरिकी विदेश मामलों की समिति में इससे जुड़ा बयान दिया था। तब अमेरिकी विपक्षी रिपब्लिकन पार्टी के सांसद मार्को रुबियो ने उनसे सीधे पूछा था कि क्या यूक्रेन बायोलॉजिकल हथियार बना रहा है। 

न्यूलैंड ने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। लेकिन उन्होंने कहा था कि यूक्रेन में जैव अनुसंधान संस्थान हैं। उन्होंने चिंता जताई थी कि रूसी सैन्यबल इन लैब्स के नियंत्रण की कोशिश में हैं। अमेरिका फिलहाल यूक्रेन के साथ मिलकर इन लैब्स से जुड़े रिसर्च मैटेरियल को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा है। 

बाइडन प्रशासन के बयान से गहराया विपक्ष का संदेह?

न्यूलैंड के इस बयान से अमेरिका के दक्षिणपंथी संगठन सक्रिय हो गए। ज्यादातर ट्रम्प समर्थकों का मानना है कि बाइडन प्रशासन का यह बयान जैव हथियार बनाने में अमेरिका-यूक्रेन की जुगलबंदी का सबूत है। 

क्या है यूक्रेन में अमेरिकी सहयोग से चलने वाली बायो लैब्स का इतिहास?

हालांकि, अगर यूक्रेन की बायो लैब्स को मिलने वाली फंडिंग के इतिहास को देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका सोवियत संघ के टूटने के बाद से ही यूक्रेन और सोवियत का हिस्सा रहे कुछ देशों को पैसे भेजता रहा है। अमेरिकी सरकारों का दावा रहा है कि इस फंडिंग के जरिए ही वह देशों के वैज्ञानिक कौशल हासिल करता है और उनके हथियारों के कार्यक्रमों को सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में बदलने में भूमिका निभाता है। इस कार्यक्रम को पहले कोऑपरेटिव थ्रेट रिडक्शन (सीटीआर) के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब इसे बायोलॉजिकल एंगेजमेंट प्रोग्राम कहा जाता है। 

क्या यूक्रेन की लैबों में खतरनाक जीवाश्म भी मौजूद?

यूक्रेन की लैबों में खतरनाक जीवाश्मों की मौजूदगी से इनकार नहीं किया जा सकता। अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विद्वान डॉक्टर गिगी ग्रोनवाल के मुताबिक, यूक्रेन की ज्यादातर लैब्स में जानवरों को होने वाली बीमारियों और अधिकतर खतरनाक बीमारियों (जैसे अफ्रीकी स्वाइन फीवर) की निगरानी की जाती है। ऐसे में इन बायो लैब्स में खतरनाक पैथोजेन यानी रोगाणुओं का मौजूद होना तय है। इसी के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन भी यूक्रेन से अपील कर रहा है कि वह लैबों में मौजूद खतरनाक रोगाणुओं को खत्म कर दे, क्योंकि रूसी हमले की चपेट में आकर कोई न कोई रोगाणु खतरनाक रूप से फैल कर बीमारियां फैला सकता है। डब्ल्यूएचओ खुद भी यूक्रेन में लंबे समय तक इन बायो लैब्स के संचालन से लेकर इनकी सुरक्षा तक में मदद कर चुका है।      

अगर रूस का दावा गलत तो इससे यूक्रेन-अमेरिका को डर क्यों?

पश्चिमी विशेषज्ञों का मानना है कि रूस की तरफ से लगाए गए आरोप किसी जैविक हथियार की खोज या इनके निर्माण का खुलासा करने के लिए नहीं हैं, बल्कि रूस इन आरोपों के बहाने यूक्रेन पर जैविक हथियार से हमला करने का रास्ता तलाश रहा है। रूस पर पहले ही अपने दुश्मनों के खिलाफ रसायनिक हथियार इस्तेमाल करने के आरोप हैं। पुतिन सरकार पर पहले ब्रिटेन में अपने एक पूर्व जासूस और इसके बाद रूस सरकार के मुखर विरोधी एलेक्सई नवाल्नी को केमिकल देकर उनकी जान से मारने की कोशिश का आरोप है। इसके अलावा सीरिया की असद सरकार द्वारा केमिकल हथियारों के प्रयोग का भी रूस समर्थन कर चुका है। 



Source link

Enable Notifications OK No thanks