अच्छी खबर है, कुपोषित भारतीयों की संख्या 15 साल में 24.78 करोड़ से घटकर 22.43 करोड़ रह गई है। 5 साल से कम उम्र के स्टंटेड (अवरुद्ध शारीरिक विकास वाले) बच्चों की संख्या आठ साल में 5.23 करोड़ से घटकर 3.61 करोड़ पर आ गई है। इसी तरह मोटे बच्चों की संख्या भी 30 लाख से घटकर 22 लाख हो गई है। यह खुलासे संयुक्त राष्ट्र संघ की ताजा रिपोर्ट में किए गए हैं। रिपोर्ट में कई खामियां भी सामने आई हैं। साल 2019 में 15 से 49 साल की करीब 53 प्रतिशत युवतियां एनीमिक बताई गई हैं, उन्हें खून की कमी है।
इन्होंने तैयार की रिपोर्ट
यूएन एजेंसियों, खाद्य-कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने। यह 2004-06 में 24.78 करोड़ के मुकाबले 2019-21 में 22.43 करोड़ भारतीयों में कुपोषण की गिरावट तो दर्शाता है, लेकिन यह संख्या अब भी काफी बड़ी है। कुल आबादी में कुपोषण 21.6 प्रतिशत से गिरकर 16.3 प्रतिशत पर आ गया है।
- 30.9% बच्चे कमजोर
- 2012 में संख्या 41.7 प्रतिशत थी
- 1.9% बच्चों में मोटापा मिला, 8 साल पहले यह आंकड़ा 2.4 प्रतिशत था
- 1.40 करोड़ नवजात बच्चों ने 2020 में 5 माह की उम्र तक सिर्फ स्तनपान किया, 2012 में संख्या 1.12 करोड़ थी।
पौष्टिक भोजन : 70% को नहीं मिल रहा
- 97.33 करोड़ लोगों को नहीं मिल पा रहा पौष्टिक भोजन। यह कुल आबादी का 70 प्रतिशत।
- 2019 में यह संख्या 94.6 करोड़, 2017 में 100 करोड़ और 2018 में 96.6 करोड़ थी।
वयस्क : बढ़ रहा मोटापा
- 3.43 करोड़ लोग 2016 तक मोटे पाए गए
- 2.52 करोड़ थी 2012 में यह संख्या
- कुल आबादी में 3.9% लोग मोटे
9.8% वैश्विक आबादी को भोजन नहीं
रिपोर्ट के अनुसार 2021 में विश्व के 9.8% लोगों को भोजन नहीं मिल पा रहा। यह संख्या 2020 में 9.3 और 2019 में 8 ही थी। कुल 230 करोड़ लोग भी गंभीर से मध्यम प्रकार के भोजन संकट की जद में हैं।
- 92.40 करोड़ लोग गंभीर खाद्य संकट में, दो साल पहले 71.70 करोड़ थे।
- 310 करोड़ लोग पौष्टिक भोजन नहीं ले पा रहे हैं।
- 4.50 करोड़ बच्चे खतरनाक कुपोषण ‘वेस्टिंग’ (वजन न बढ़ना) से पीड़ित हैं
कारण
रूस व यूक्रेन विश्व का एक-तिहाई गेहूं व जौ और 50% सूरजमुखी का तेल पैदा करते हैं। रूस, बेलारूस खेती उर्वरकों के लिए जरूरी पोटाश उत्पादन में शीर्ष पर हैं। यानी युद्ध जारी रहने और आपूर्ति शृंखला बिगड़ने से संकट और बढ़ सकता है।
विस्तार
अच्छी खबर है, कुपोषित भारतीयों की संख्या 15 साल में 24.78 करोड़ से घटकर 22.43 करोड़ रह गई है। 5 साल से कम उम्र के स्टंटेड (अवरुद्ध शारीरिक विकास वाले) बच्चों की संख्या आठ साल में 5.23 करोड़ से घटकर 3.61 करोड़ पर आ गई है। इसी तरह मोटे बच्चों की संख्या भी 30 लाख से घटकर 22 लाख हो गई है। यह खुलासे संयुक्त राष्ट्र संघ की ताजा रिपोर्ट में किए गए हैं। रिपोर्ट में कई खामियां भी सामने आई हैं। साल 2019 में 15 से 49 साल की करीब 53 प्रतिशत युवतियां एनीमिक बताई गई हैं, उन्हें खून की कमी है।
इन्होंने तैयार की रिपोर्ट
यूएन एजेंसियों, खाद्य-कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम व विश्व स्वास्थ्य संगठन ने। यह 2004-06 में 24.78 करोड़ के मुकाबले 2019-21 में 22.43 करोड़ भारतीयों में कुपोषण की गिरावट तो दर्शाता है, लेकिन यह संख्या अब भी काफी बड़ी है। कुल आबादी में कुपोषण 21.6 प्रतिशत से गिरकर 16.3 प्रतिशत पर आ गया है।
- 30.9% बच्चे कमजोर
- 2012 में संख्या 41.7 प्रतिशत थी
- 1.9% बच्चों में मोटापा मिला, 8 साल पहले यह आंकड़ा 2.4 प्रतिशत था
- 1.40 करोड़ नवजात बच्चों ने 2020 में 5 माह की उम्र तक सिर्फ स्तनपान किया, 2012 में संख्या 1.12 करोड़ थी।
पौष्टिक भोजन : 70% को नहीं मिल रहा
- 97.33 करोड़ लोगों को नहीं मिल पा रहा पौष्टिक भोजन। यह कुल आबादी का 70 प्रतिशत।
- 2019 में यह संख्या 94.6 करोड़, 2017 में 100 करोड़ और 2018 में 96.6 करोड़ थी।
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