Union Budget 2022: भारत में Crypto पर देना होगा 30% टैक्स, RBI लाएगा खुद की डिजिटल करेंसी


Union Budget 2022: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट भाषण पढ़ते हुए डिजिटल करेंसी को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने बताया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) इस साल डिजिटल करेंसी लॉन्च की जाएगी। ब्लॉकचेन और कुछ अन्य टेक्नोलॉजी पर आधारित सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या तो 2022 के अंत तक या 2023 की शुरूआत में जारी कर दी जाएगी। उनका कहना है कि भारतीय डिजिटल करेंसी (Indian Digital Currency) से अर्थव्यवस्था को बड़ी मजबूती मिलेगी।

इसके अलावा, अपने बजट भाषण के दौरान सीतारमण ने जानकारी दी है कि किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांस्फर पर 30 प्रतिशत के रेट से टैक्स वसूला जाएगा। सीतारमण का कहना है कि “वर्चुअल डिजिटल एसेट में लेनदेन में बड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इनके चलते वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लिए एक खास टैक्स सिस्टम जारी करना अनिवार्य हो गया है। मैं यह प्रदान करने का प्रस्ताव करती हूं कि किसी भी वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांस्फर के जरिए होने वाली आय पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाएगा। ऐसी आय की गणना करते समय किसी भी व्यय या तत्वों के संबंध में कोई कटौती की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय वर्चुअल डिजिटल एसेट के ट्रांस्फर से होने वाले नुकसान के लिए अधिग्रहण की लागत को किसी के खिलाफ सेट ऑफ नहीं किया जा सकता है।”

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि इस बजट से भारत को अगले 25 साल की बुनियाद मिलेगी। अगले वित्त वर्ष में आर्थिक ग्रोथ 9.2% रहने की उम्मीद भी जताई गई है। इतना ही नहीं, मौजूदा साल में भी भारत की आर्थिक ग्रोथ 9.2% रहने का अनुमान लगाया गया है।

क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, डिज़िटल करेंसी अधिक स्थिर है और अधिकारियों द्वारा समर्थित है। क्रिप्टोकरेंसी और स्टेबलकॉइन विकेंद्रीकृत (डिसेंट्रलाइज्ड) हैं, जो कि देश द्वारा जारी डिजिटल करेंसी में नहीं हो सकता है।

मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद संबंधित फाइनेंसिंग से निपटने के लिए स्थापित किए गए एक अंतरसरकारी संगठन Financial Action Task Force (FATF) की अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि एक वर्चुअल क्रिप्टोकरेंसी मेनस्ट्रीम डिज़िटल पेमेंट विधियों की तुलना में बेहतर प्राइवेसी प्रदान करती है, जिसका उपयोग आतंकवादी संगठनों और अपराधियों द्वारा गलत एक्टिविटी के लिए किया जा सकता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती है, इसलिए सेंट्रल बैंकों के पास अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई को कंट्रोल करने उनकी सबसे जरूरी कार्यक्षमताओं नहीं होगी।

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