लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के दौरान एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की जमकर चर्चा रही. चुनाव से पहले वह ओम प्रकाश राजभर और यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा के भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा भी बने और 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. हालांकि कुछ समय बाद राजभर ने अपने रास्त अलग कर लिए और वह सपा के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में उतर गए. इसके बाद ओवैसी सपा के साथ भी तालमेल करना चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी और इस बात का खुलासा उन्होंने खुद किया था. वहीं, यूपी चुनाव को लेकर अपने कैंडिडेट्स की एक दो लिस्ट जारी करने के बाद बाबू सिंह कुशवाहा और कुछ अन्य दलों के साथ परिवर्तन संकल्प मोर्चा बना डाला. इस बार उन्होंने 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन बस एक कैडिडेट अपनी जमानत बचा सका. AIMIM को यह कामयाबी आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट पर मिली.
यही नहीं, प्रचार के दौरान भी असदुद्दीन ओवैसी जमकर चर्चा में रहे. इस दौरान मेरठ में उनके ऊपर फायरिंग भी हुई तो प्रचार के दौरान भाजपा पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव का आरोप भी लगाया. इसके अलावा उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर अपनी हर रैली में मुसलमानों को डर दिखाकर वोट लेने के साथ धोखा देने का आरोप भी लगाया. यही नहीं, सभी को उम्मीद थी कि बिहार की तरह यूपी में असदुद्दीन ओवैसी का जलवा दिखेगा और इस बार वह कुछ सीटों पर कब्जा कर लेंगे. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को जनता ने पूरी तरह नकार दिया.
2012 और 2017 में शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली बसपा से विधायक बने थे.
बस एक कैंडिडेट ही बचा सका अपनी जमानत
यूपी में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आलम ये रहा कि उसको एक फीसदी से भी कम वोट मिला. यही नहीं, उसके 100 से ज्यादा प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन सिर्फ ही अपनी जमानत बचाने सफल हो सका. इस दौरान AIMIM की आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट ‘लाज’ बच सकी. मुबारकपुर सीट से शाह आलम (गुड्डू जमाली) ने 36419 वोट हासिल किए और वह चौथे नंबर पर रहे. इस सीट से समाजवादी पार्टी के अखिलेश ने परचम लहराया,तो बसपा दूसरे और बीजेपी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. वैसे आजमगढ़ की सभी 10 सीटों पर सपा ने कब्जा किया है.
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कौन हैं शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली
शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली यूपी के आजमगढ़ के जमालपुर गांव के रहने वाले हैं. इनके पिता अधिवक्ता हैं. गुड्डू जमाली की प्रारंभिक शिक्षा आजमगढ़ से तो जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से बीकॉम और एमबीए किया है. 2012 में बसपा के टिकट पर मुबारकपुर से विधायक चुने गए थे. इसके बाद 2017 में फिर बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लखनऊ पहुंचे, लेकिन उन्होंने 25 नवंबर 2021 को बसपा से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद शाह आलम के सपा में जाने की चर्चा थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला तो ओवैसी का दामन थाम लिया.
बिहार का फॉर्मूला यूपी में फेल!
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बादओवैसी उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे. बिहार में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर सभी को हैरान कर दिया था और इस दौरान सीमांचल में उनका दबदबा दिखा था, लेकिन यूपी में पार्टी को सिर्फ 0.49 फीसदी वोट मिले हैं.
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