UP Violence: योगी आदित्यनाथ के लिए नई चुनौती, कड़ी कार्रवाई से कितनी होगी भरपाई और अब सुरक्षा का मुद्दा कैसे भुनाएगी भाजपा?  


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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने ‘सुरक्षा’ को बड़ा मुद्दा बनाया था। पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ सरकार 1.0 में अपराधियों पर हुई कठोर कार्रवाई के कारण प्रदेश में अपराध समाप्त हो गया है। इससे प्रदेश में निवेश बढ़ा है और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। चुनाव के पहले और बाद में हुए सर्वेक्षणों में भी यह बात सही प्रमाणित हुई कि जनता ने सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा को वोट दिया था। 

योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में सुरक्षा का यह दावा कमजोर होता हुआ दिखाई पड़ रहा है। नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी के बाद जिस तरह यूपी के कानपुर, प्रयागराज, सहारनपुर सहित अनेक शहरों में दंगे हुए हैं, उससे योगी आदित्यनाथ की कठोर प्रशासक की छवि के सामने नई चुनौती खड़ी हुई है। हालांकि, हिंसक प्रदर्शनों के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, कानपुर और प्रयागराज में बुलडोजर भी चलने शुरू हो गए हैं, लेकिन इसके बाद भी, क्या भाजपा अब चुनावों में  सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बना पाएगी?

क्या हैं आरोप?
आरोप लगाये जा रहे हैं कि कानपुर, प्रयागराज और सहारनपुर सहित देश के अलग-अलग शहरों में सांप्रदायिक दंगे पीएफआई की साजिश के तहत अंजाम दिए गए। कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी और प्रयागराज हिंसा के प्रमुख आरोपी जावेद पंप सीधे पीएफआई के संपर्क में थे। उनके व्हाट्सएप की छानबीन के बाद यह बात सामने आई है कि दोनों ने पीएफआई के निर्देश पर एक साजिश के तहत सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने के लिए भीड़ जुटाई। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इस मामले के लिए धन कहां से जुटाया गया और इसका स्रोत क्या था?

जिम्मेदारी से बच नहीं सकती सरकार: विपक्ष
इस साजिश के तार का खुलासा होने के बाद भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं जिसने योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि पर बट्टा लगाने का काम किया है। विपक्ष का आरोप है कि तीन जून को कानपुर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री उपस्थित थे। ऐसे महत्त्वपूर्ण हस्तियों की उपस्थिति के समय शहर की सुरक्षा सर्वश्रेष्ठ स्तर की होनी चाहिए थी। किसी भी साजिश का पता सरकार, पुलिस और गुप्तचर एजेंसियों को होनी चाहिए थी। 

यदि इतनी बड़ी हिंसा की साजिश रची गई और इसका पता लगाने में पुलिस नाकाम रही, तो यह जिम्मेदारी सीधे तौर पर पुलिस और सरकार के ऊपर आती है। सरकार केवल एक साजिश बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। योगी आदित्यनाथ सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।    

कड़ी कार्रवाई हो रही
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप इन दंगों के आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि आरोपियों पर ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए कि यह एक नजीर बन जाए। अब तक 250 से ज्यादा आरोपियों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई है तो लगभग पांच हजार अनाम लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और गैंग्स्टर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है।

कानपुर हिंसा के आरोपी जफर हयात हाशमी के करीबी के मकान पर बुलडोजर चल चुका है तो प्रयागराज हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपी जावेद अहमद पंप के घर पर भी बुलडोजर चल चुका है। अधिकारियों ने कहा है कि अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है और आने वाले दिनों में बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहेगी। इन मकानों को अवैध निर्माण बताया गया है।

खोखला था सुरक्षा का दावा: सपा
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने अमर उजाला से कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सुरक्षा का दावा खोखला था। योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में जगह-जगह पर अपराध की घटनाएं हुई थीं। योगी के पहले शासनकाल में कानपुर, सहारनपुर, आगरा, गोरखपुर और फाफामऊ में बड़ी आपराधिक घटनाएं घटी थीं। गोरखपुर और कानपुर के मामलों में साफ देखा गया था कि पुलिस स्वयं अपराध में लिप्त थी। इसके बाद भी यदि भाजपा अपने शासन को अपराध से मुक्त बताए तो यह दावा हास्यास्पद है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सहित पूरे देश में सांप्रदायिकता का यह खेल 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर खेला जा रहा है। केंद्र सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ नहीं है। वह बेरोजगारी, महंगाई, तेल के मूल्य, रूपये के नीचे गिरने के अनेक मुद्दों पर घिरी हुई है। कश्मीर से पंडितों के पलायन और चीन के देश पर लगातार बढ़ते अतिक्रमण से उसका राष्ट्रवाद का दावा भी खोखला साबित हुआ है। ऐसे में सत्ता में वापसी के लिए उसके पास केवल सांप्रदायिकता का कार्ड बचता है और वह उसी का जमकर इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि, लेकिन जनता अब भाजपा का यह खेल समझने लगी है और यही कारण है कि 2024 में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ेगा।

जनता के पास है हमारे कामकाज का ट्रैक रिकॉर्ड: भाजपा
उत्तर प्रदेश भाजपा के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि हमारी सरकारों के कामकाज का रिकॉर्ड जनता की अदालत में पेश किया जा चुका है। जनता उस ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए 2014, 2017, 2019 और 2022 में लगातार भाजपा के पक्ष में फैसले सुना रही है। वर्तमान मामले में भी जनता यह देख रही है कि किस तरह एक साजिश के तहत पूरे देश के अलग-अलग शहरों में सांप्रदायिक दंगे कराए गए हैं। यह देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने की सोची-समझी साजिश है।

उन्होंने कहा कि जनता यह भी देख रही है कि योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधियों पर कठोर कार्रवाई कर रही है। अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिससे भविष्य में इस तरह की कोशिशें न की जा सकें। यही कारण है कि जनता का विश्वास आज भी उनकी पार्टी और नेताओं के साथ बना हुआ है। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि विपक्ष बार-बार देशहित के मामलों को दलगत राजनीति का शिकार बनाता है, जिससे जनता के बीच उसकी विश्वसनीयता लगातार कमजोर हुई है।

विस्तार

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा ने ‘सुरक्षा’ को बड़ा मुद्दा बनाया था। पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं दावा किया था कि योगी आदित्यनाथ सरकार 1.0 में अपराधियों पर हुई कठोर कार्रवाई के कारण प्रदेश में अपराध समाप्त हो गया है। इससे प्रदेश में निवेश बढ़ा है और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। चुनाव के पहले और बाद में हुए सर्वेक्षणों में भी यह बात सही प्रमाणित हुई कि जनता ने सुरक्षा के मुद्दे पर भाजपा को वोट दिया था। 

योगी आदित्यनाथ सरकार 2.0 में सुरक्षा का यह दावा कमजोर होता हुआ दिखाई पड़ रहा है। नूपुर शर्मा की पैगंबर पर टिप्पणी के बाद जिस तरह यूपी के कानपुर, प्रयागराज, सहारनपुर सहित अनेक शहरों में दंगे हुए हैं, उससे योगी आदित्यनाथ की कठोर प्रशासक की छवि के सामने नई चुनौती खड़ी हुई है। हालांकि, हिंसक प्रदर्शनों के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं, कानपुर और प्रयागराज में बुलडोजर भी चलने शुरू हो गए हैं, लेकिन इसके बाद भी, क्या भाजपा अब चुनावों में  सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बना पाएगी?

क्या हैं आरोप?

आरोप लगाये जा रहे हैं कि कानपुर, प्रयागराज और सहारनपुर सहित देश के अलग-अलग शहरों में सांप्रदायिक दंगे पीएफआई की साजिश के तहत अंजाम दिए गए। कानपुर में तीन जून को हुई हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी और प्रयागराज हिंसा के प्रमुख आरोपी जावेद पंप सीधे पीएफआई के संपर्क में थे। उनके व्हाट्सएप की छानबीन के बाद यह बात सामने आई है कि दोनों ने पीएफआई के निर्देश पर एक साजिश के तहत सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम देने के लिए भीड़ जुटाई। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इस मामले के लिए धन कहां से जुटाया गया और इसका स्रोत क्या था?

जिम्मेदारी से बच नहीं सकती सरकार: विपक्ष

इस साजिश के तार का खुलासा होने के बाद भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं जिसने योगी आदित्यनाथ सरकार की छवि पर बट्टा लगाने का काम किया है। विपक्ष का आरोप है कि तीन जून को कानपुर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री उपस्थित थे। ऐसे महत्त्वपूर्ण हस्तियों की उपस्थिति के समय शहर की सुरक्षा सर्वश्रेष्ठ स्तर की होनी चाहिए थी। किसी भी साजिश का पता सरकार, पुलिस और गुप्तचर एजेंसियों को होनी चाहिए थी। 

यदि इतनी बड़ी हिंसा की साजिश रची गई और इसका पता लगाने में पुलिस नाकाम रही, तो यह जिम्मेदारी सीधे तौर पर पुलिस और सरकार के ऊपर आती है। सरकार केवल एक साजिश बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। योगी आदित्यनाथ सरकार को अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।    

कड़ी कार्रवाई हो रही

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कार्यशैली के अनुरूप इन दंगों के आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि आरोपियों पर ऐसी कार्रवाई की जानी चाहिए कि यह एक नजीर बन जाए। अब तक 250 से ज्यादा आरोपियों पर नामजद एफआईआर दर्ज की गई है तो लगभग पांच हजार अनाम लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और गैंग्स्टर एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है।

कानपुर हिंसा के आरोपी जफर हयात हाशमी के करीबी के मकान पर बुलडोजर चल चुका है तो प्रयागराज हिंसा भड़काने के मुख्य आरोपी जावेद अहमद पंप के घर पर भी बुलडोजर चल चुका है। अधिकारियों ने कहा है कि अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है और आने वाले दिनों में बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहेगी। इन मकानों को अवैध निर्माण बताया गया है।

खोखला था सुरक्षा का दावा: सपा

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आईपी सिंह ने अमर उजाला से कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सुरक्षा का दावा खोखला था। योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में जगह-जगह पर अपराध की घटनाएं हुई थीं। योगी के पहले शासनकाल में कानपुर, सहारनपुर, आगरा, गोरखपुर और फाफामऊ में बड़ी आपराधिक घटनाएं घटी थीं। गोरखपुर और कानपुर के मामलों में साफ देखा गया था कि पुलिस स्वयं अपराध में लिप्त थी। इसके बाद भी यदि भाजपा अपने शासन को अपराध से मुक्त बताए तो यह दावा हास्यास्पद है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी सहित पूरे देश में सांप्रदायिकता का यह खेल 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर खेला जा रहा है। केंद्र सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ नहीं है। वह बेरोजगारी, महंगाई, तेल के मूल्य, रूपये के नीचे गिरने के अनेक मुद्दों पर घिरी हुई है। कश्मीर से पंडितों के पलायन और चीन के देश पर लगातार बढ़ते अतिक्रमण से उसका राष्ट्रवाद का दावा भी खोखला साबित हुआ है। ऐसे में सत्ता में वापसी के लिए उसके पास केवल सांप्रदायिकता का कार्ड बचता है और वह उसी का जमकर इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने कहा कि, लेकिन जनता अब भाजपा का यह खेल समझने लगी है और यही कारण है कि 2024 में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ेगा।

जनता के पास है हमारे कामकाज का ट्रैक रिकॉर्ड: भाजपा

उत्तर प्रदेश भाजपा के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि हमारी सरकारों के कामकाज का रिकॉर्ड जनता की अदालत में पेश किया जा चुका है। जनता उस ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए 2014, 2017, 2019 और 2022 में लगातार भाजपा के पक्ष में फैसले सुना रही है। वर्तमान मामले में भी जनता यह देख रही है कि किस तरह एक साजिश के तहत पूरे देश के अलग-अलग शहरों में सांप्रदायिक दंगे कराए गए हैं। यह देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब करने की सोची-समझी साजिश है।

उन्होंने कहा कि जनता यह भी देख रही है कि योगी आदित्यनाथ सरकार अपराधियों पर कठोर कार्रवाई कर रही है। अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिससे भविष्य में इस तरह की कोशिशें न की जा सकें। यही कारण है कि जनता का विश्वास आज भी उनकी पार्टी और नेताओं के साथ बना हुआ है। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि विपक्ष बार-बार देशहित के मामलों को दलगत राजनीति का शिकार बनाता है, जिससे जनता के बीच उसकी विश्वसनीयता लगातार कमजोर हुई है।



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