Varanasi Serial Blast Case: फांसी की सजा पाने वाला आतंकवादी वलीउल्लाह कौन है, आखिरी समय जज के सामने कैसे गिड़गिड़ाया?


वाराणसी सीरियल ब्लास्ट मामले में गाजियाबाद की अदालत ने सोमवार को फैसला सुना दिया। इस मामले के दोषी वलीउल्लाह को फांसी की सजा सुनाई गई है। सात मार्च 2006 को वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। इसमें 18 लोगों की मौत हो गई थी। 50 लोग घायल हुए थे।  

गाजियाबाद की अदालत ने एक दिन पहले ही वलीउल्लाह को दोषी करार दिया था।  कोर्ट ने उस पर 60 हजार का अर्थदंड भी लगाया है। वलीउल्लाह 16 साल से डासना जेल में बंद है। ब्लास्ट में वलीउल्लाह की क्या भूमिका थी और कोर्ट ने जब सजा सुनाई तो वलीउल्लाह ने क्या कहा? आइये जानते हैं…

 

2006 में क्या हुआ था? 

सात मार्च 2006 को वाराणसी में सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे। पहला धमाका शाम 6.15 बजे वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में संकटमोचन मंदिर में हुआ था। इसमें सात लोग मारे गए थे जबकि 26 घायल हुए थे। 15 मिनट बाद 6.30 बजे दशाश्वमेध घाट थाना क्षेत्र में जम्मू रेलवे फाटक की रेलिंग के पास कुकर बम मिला था। पुलिस की मुस्तैदी के चलते यहां विस्फोट होने से बचा गया था।

 

फिर तीसरा धमाका

संकटमोचन के बाद जीआरपी वाराणसी थाना क्षेत्र में वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन पर प्रथम श्रेणी के विश्राम कक्ष के सामने धमाका हुआ था, जिसमें 11 लोग मारे गए थे और 50 लोग घायल हुए थे। 

वलीउल्लाह को संकटमोचन मंदिर और दशाश्वमेध घाट के पास आतंकी हमले में शामिल होने का दोषी पाया गया है। इन दोनों मामलों में हत्या, हत्या का प्रयास, चोटिल व अंग भंग करने, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम व आतंकी गतिविधि के आरोप में अदालत ने आतंकी वलीउल्लाह को दोषी करार दिया है, जबकि तीसरे मामले में उसे बरी कर दिया गया। 

कौन है वलीउल्लाह? 

इस हमले के बाद पांच अप्रैल 2006 को पुलिस ने प्रयागराज के फूलपुर के रहने वाले वलीउल्लाह को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने वलीउल्लाह के कब्जे से एक 32 बोर का पिस्टल, बाइक और आरडीएक्स डिटोनेटर भी बरामद किया था। तब से वह जेल में ही था। बताया जाता है कि वलीउल्लाह एक मदरसे में पढ़ाता था। 

 

वलीउल्लाह ने लिए थे तीन आरोपियों के नाम

वलीउल्लाह ने उस दौरान पुलिस की पूछताछ में तीन और लोगों के नाम लिए थे। ये मुस्तकीम, जकारिया और शमीम हैं। हालांकि, ये तीनों आरोपी अब तक नहीं पकड़े जा सके हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। कहा जाता है कि ये तीनों बांग्लादेश से होते हुए पाकिस्तान भाग गए। 

 



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