पश्चिम बंगाल: जगदीप धनखड़ को पद से हटाए जाने वाली याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं हैं राज्यपाल


न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कोलकाता
Published by: प्रांजुल श्रीवास्तव
Updated Fri, 18 Feb 2022 12:49 PM IST

सार

वकील रामप्रसाद सरकार की ओर से दायर याचिका में राज्यपाल धनखड़ को हटाए जाने की मांग की गई थी। दावा किया गया था कि- राज्यपाल सीधे अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं, जो संविधान के खिलाफ है। 

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पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। वकील रामप्रसाद सरकार की ओर से दायर इस याचिका में राज्यपाल धनखड़ को तत्काल पद हटाए जाने की मांग की गई थी।

याचिका में मांग की गई थी कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए उच्च न्यायालय केंद्र सरकार को निर्देशित करे। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि, धनखड़ राज्य के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं और इसके खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करके पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार को भी बदनाम कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी के मुखपत्र के रूप में काम कर रहे हैं। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। 

अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है राज्यपाल 
मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग व प्रदर्शन के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है।

गहराता जा रहा विवाद 
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राजभवन बुलाया था। अब राज्यपाल ने सीएम से कई मुद्दों पर मांगी गई जानकारी जल्द भेजने को कहा है। धनखड़ ने कहा कि उन्होंने सीएम से जो जानकारी मांगी थी, उसका अब तक जवाब नहीं दिया गया है। राज्यपाल द्वारा एक दिन पहले ट्विटर पर इसको लेकर एक पत्र भी सार्वजनिक किया गया था। 

लंबे समय से बना हुआ है टकराव
राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव की स्थिति लंबे समय से है। ममता बनर्जी ने गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के अति सक्रियता के खिलाफ एमके स्टालिन से बात की थी। उन्होंने राज्यपाल की सक्रियता की बात कही थी। उन्होंने स्टालिन से बीजेपी विरोधी गठबंधन को मजबूत करने की बात कही थी। जिसका तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी ट्वीट कर समर्थन किया था। उसके बाद बंगाल के राज्यपाल ने पत्र लिखकर 15 फरवरी को ममता बनर्जी को राजभवन आकर बातचीत करने का न्योता दिया था। जिससे कई मुद्दों पर संवैधानिक गतिरोध को टाला जा सके। 

ममता ने नहीं दिया कोई जवाब 
राज्यपाल ने इस मामले पर कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से उनके पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है। गुरुवार को राज्यपाल ने ट्वीट कर लिखा था कि, माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए उन्हें राजभवन बुलाया गया है। उन्हें अगले सप्ताह जब समय हो राजभवन आकर मिलें। एक संवैधानिक सरकार में बातचीत जरुरी है। जिससे राज्यपाल और सीएम के बीच बन रहे गतिरोध को टाला जा सके।

विस्तार

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। वकील रामप्रसाद सरकार की ओर से दायर इस याचिका में राज्यपाल धनखड़ को तत्काल पद हटाए जाने की मांग की गई थी।

याचिका में मांग की गई थी कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए उच्च न्यायालय केंद्र सरकार को निर्देशित करे। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि, धनखड़ राज्य के कामकाज में हस्तक्षेप कर रहे हैं और इसके खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करके पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार को भी बदनाम कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा था कि राज्यपाल भारतीय जनता पार्टी के मुखपत्र के रूप में काम कर रहे हैं। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस पर सुनवाई से इंकार कर दिया है। 

अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है राज्यपाल 

मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत अपने कार्यालय की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग व प्रदर्शन के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं है।

गहराता जा रहा विवाद 

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर राजभवन बुलाया था। अब राज्यपाल ने सीएम से कई मुद्दों पर मांगी गई जानकारी जल्द भेजने को कहा है। धनखड़ ने कहा कि उन्होंने सीएम से जो जानकारी मांगी थी, उसका अब तक जवाब नहीं दिया गया है। राज्यपाल द्वारा एक दिन पहले ट्विटर पर इसको लेकर एक पत्र भी सार्वजनिक किया गया था। 

लंबे समय से बना हुआ है टकराव

राज्यपाल धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव की स्थिति लंबे समय से है। ममता बनर्जी ने गैर-भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों के अति सक्रियता के खिलाफ एमके स्टालिन से बात की थी। उन्होंने राज्यपाल की सक्रियता की बात कही थी। उन्होंने स्टालिन से बीजेपी विरोधी गठबंधन को मजबूत करने की बात कही थी। जिसका तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी ट्वीट कर समर्थन किया था। उसके बाद बंगाल के राज्यपाल ने पत्र लिखकर 15 फरवरी को ममता बनर्जी को राजभवन आकर बातचीत करने का न्योता दिया था। जिससे कई मुद्दों पर संवैधानिक गतिरोध को टाला जा सके। 

ममता ने नहीं दिया कोई जवाब 

राज्यपाल ने इस मामले पर कहा था कि उन्हें मुख्यमंत्री की ओर से उनके पत्र का कोई जवाब नहीं मिला है। गुरुवार को राज्यपाल ने ट्वीट कर लिखा था कि, माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श के लिए उन्हें राजभवन बुलाया गया है। उन्हें अगले सप्ताह जब समय हो राजभवन आकर मिलें। एक संवैधानिक सरकार में बातचीत जरुरी है। जिससे राज्यपाल और सीएम के बीच बन रहे गतिरोध को टाला जा सके।



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