भारत के आईटी सेक्टर पर क्या अमेरिका की मंदी का दिखेगा असर, क्या कहते हैं जानकार?


हाइलाइट्स

अमेरिका भारत की आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है.
यूएस में मंदी की आहट के बावजूद भारत की आईटी कंपनियों का ग्रोथ प्रोजेक्शन काफी आशावादी है.
कंपनियों की आय और मुनाफा कुछ और कहानी कह रहे हैं.

नई दिल्ली. इन्फोसिस ने कहा है कि उसे वार्षिक आय में 14-16 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है. यह तीन महीने पहले कंपनी द्वारा की गई भविष्यवाणी से थोड़ा बेहतर है. इन आंकड़ों से साफ है भारत की आईटी इंडस्ट्री अमेरिका में मंदी की आहट से विचलित नहीं है. अगर इन्फोसिस का यह मानना है तो जरूर कंपनी के पास इतने ऑडर्स होंगे जिनके आधार पर वह ये बात कह रही है.

मिंट में छपी एक खबर के अनुसार, अमेरिका व यूरोपीय देश अभी भी ऑटोमेशन में काफी निवेश कर रहे है ताकि प्रोडक्ट की लागत को घटाया जा सके. नई टेक्नोलॉजी की डिमांड लगभग हर इंडस्ट्री में है चाहे वह फिर मैन्युफैक्चरिंग हो या रिटेल. आईटी सेक्टर की स्थिति बेहतर प्रतीत होने का एक कारण भारत में आईटी हब बेंगलुरु में ऑफिस रेंट में 12 फीसदी की वार्षिक वृद्धि है. अगर कंपनियां ऑफिस के लिए अधिक खर्च कर रही हैं तो जाहिर है कि उनके पास इसकी भरपाई के लिए आय भी होगी.

आय व मुनाफा कह रहा कुछ और कहानी
इन्फोसिस ने अप्रैल-जून तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. कंपनी को वार्षिक आधार पर 3 फीसदी का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है जबकि कंपनी की आय करीब 24 फीसदी बढ़ी है. कंपनी का इबिटडा मार्जिन 20 फीसदी पर रहा जो कि पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 3.6 फीसदी कम है. दूसरी और इन्फोसिस की प्रतिद्वंदी विप्रो का इबिटडा मार्जिन सितंबर 2018 के बाद अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि, इसका एक कारण बड़े स्तर पर नए कर्मचारियों की भर्ती को भी माना जा रहा है. विप्रो ने जहां तीन महीने में 15,000 नए कर्मचारी जोड़ें हैं तो वहीं इन्फोसिस ने कर्मचारियों की संख्या 20,000 तक बढ़ा दी है. लेकिन एचसीएल टेक्नोलॉजी द्वारा हायरिंग पर ब्रेक लगाने के बावजूद उसका इबिटडा मार्जिन अनुमान से काफी कम रहा. यहां टीसीएस ने 23.1 फीसदी इबिटडा मार्जिन के साथ बेहतर प्रदर्शन किया लेकिन यह पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही से 2.4 फीसदी कम था.

यूएस में मंदी का भारत की आईटी इंडस्ट्री पर असर
भारत की आईटी इंडस्ट्री के लिए सबसे बेहतर तो यही होगा कि अमेरिका में मंदी न आए और उसे ऑडर्र मिलते रहें. अमेरिका भारत की आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है. ब्रोकरेज हाउस निर्मल बांग सिक्योरिटीज के अनुसार, ग्राहकों की तकनीक पर खर्च की इच्छा का मुकाबला खर्च करने की क्षमता से है. ब्रोकरेज के अनुसार, “कमोडिटी और सैलरी में वृद्धि के कारण कंपनियों की आय दबाव में हैं. सप्लाई चेन में चुनौतियां आ रही हैं. ग्राहक कम खर्च करना चाह रहे हैं. ब्याज दरें ऊंची हैं और विकसित देशों में वृद्धि दर काफी कम है.” वहीं, मेटा, अल्फाबेट जैसी कंपनियां अपनी वैल्युएशन में गिरावट देख रही हैं. भारत का निफ्टी आईटी इंडेक्स 2022 में 27 फीसदी नीचे आ चुका है. देर-सवेर यूएस की मंदी भारत के आईटी सेक्टर को प्रभावित करेगी.

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