पहले चुनाव और सीटों के बारे में जान लीजिए
23 जून को देश की तीन लोकसभा और सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होंगे। जिन तीन लोकसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर, जबकि पंजाब की संगरूर सीट है। आजमगढ़ सीट से 2019 में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनाव जीता था। रामपुर से सपा के दिग्गज मुस्लिम नेता आजम खां विजेता हुए थे। इसी तरह पंजाब की संगरूर सीट से आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान सिंह सांसद चुने गए थे। मान सिंह अब पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, वहीं अखिलेश यादव और आजम खां ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इसके चलते तीनों सीटें खाली हुईं।
जिन सात विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें त्रिपुरा की अगरतला, टाउन बोरडोवाली, सुरमा और जुबराजनगर सीट शामिल है। इसके अलावा दिल्ली की राजेंद्र नगर, झारखंड की मंदारी और आंध्र प्रदेश की आत्मकुर विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होने हैं। इसके लिए 30 मई को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था और सात जून तक नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है।
आजमगढ़ और रामपुर से कौन-कौन लड़ रहा चुनाव?
पूर्वांचल की आजमगढ़ सीट से भारतीय जनता पार्टी ने फिर से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। बसपा से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली उम्मीदवार हैं।
रामपुर से भाजपा ने घनश्याम लोधी को टिकट दिया है। लोधी कभी आजम खां के करीबी थे। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने सपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। वहीं, सपा ने आजम के ही करीबी आसिम रजा का मैदान में उतारा है। बसपा ने रामपुर उपचुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। वहीं, कांग्रेस ने आजमगढ़ और रामपुर दोनों जगहों से ही अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। ऐसे में रामपुर सीट के लिए सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच है।
आजमगढ़ सीट पर किसकी दावेदारी कितनी मजबूत?
ये जानने के लिए पहले हम हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डाल लेते हैं। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर सपा उम्मीदवारों को जीत मिली थी।
पांचों विधानसभा सीटों पर सपा को करीब चार लाख 36 हजार वोट मिले थे। वहीं, भाजपा उम्मीदवारों को करीब तीन लाख 30 हजार वोट मिले थे। यानी, सपा को भाजपा के मुकाबले एक लाख से भी ज्यादा वोट मिले। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले सपा और भाजपा दोनों के वोटों में कमी आई है। सपा के वोट करीब दो लाख वोट कम मिले वहीं, भाजपा को 2019 के मुकाबले करीब 30 हजार वोट का नुकसान होगा।
अगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो इस सीट पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जीत मिली थी। उन्होंने भाजपा के दिनेश लाल यादव निरहुआ को ढाई लाख से अधिक वोट से हराया था। अखिलेश को छह लाख 21 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। वहीं, निहरुआ तीन लाख 61 हजार से ज्यादा वोट पाने में सफल रहे थे।
आजमगढ़ का जातिगत समीकरण क्या कहता है?
आजमगढ़ लोकसभा सीट के तहत मेंहनगर, आजमगढ़ सदर, मुबारकपुर, सगड़ी और गोपालपुर विधानसभा सीटें आतीं हैं। मेंहनगर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां एक लाख से ज्यादा दलित वोटर हैं। इसके अलावा 70 हजार से ज्यादा यादव वोटर भी हैं। राजभर और चौहान मतदाताओं की संख्या भी 35 हजार से अधिक है। इस सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या भी 20 हजार से ज्यादा है।
आजमगढ़ सदर सीट पर सबसे ज्यादा 75 हजार से अधिक यादव वोटर हैं। दलित और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 60 हजार के करीब है।
मुबारकपुर मुस्लिम बहुल सीट है। यहां मुस्लिम मतदाता एक लाख 10 हजार से ज्यादा हैं। वहीं, दलित वोटरों की संख्या 78 हजार तो यादव वोटरों की संख्या 61 हजार के करीब है। बसपा उम्मीदवार गुड्डू जमाली इस सीट से 2017 में विधानसभा चुनाव जीते थे।
सगड़ी सीट 82 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतादाता हैं। वहीं, यादव मतदाताओं की संख्या भी 55 हजार से ज्यादा है। कुर्मी वोटरों की संख्या 40 हजार से ज्यादा है तो मुस्लिम मतदाता भी 30 हजार से अधिक हैं। आजमगढ़ लोकसभा के तहत आने वाली पांचवीं सीट गोपालपुर यादव बहुल है। यहां 68 हजार से ज्यादा यादव वोटर हैं। दलित मतदाताओं की संख्या भी 53 हजार से ज्यादा है। वहीं, मुस्लिम मतदाता भी 42 हजार से अधिक हैं।