धोनी से रिश्तों पर हरभजन ने क्यों कहा- मेरी उनसे शादी तो नहीं हुई… EXCLUSIVE इंटरव्यू में दिए बेबाक जवाब


नई दिल्ली. पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह (Harbhajan Singh) को इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहे करीब एक महीने होने वाले हैं.इसके बाद से ही उनके बारे में कई तरह की चर्चाएं हैं. कभी संकेत मिलते हैं कि वे क्रिकेट के बाद राजनीति के मैदान पर उतर सकते हैं. तो कभी वे बतौर कोच अपना करियर बढ़ाने के संकेत देते हैं. भारत के लिए अनिल कुंबले और रविचंद्रन अश्विन के बाद सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले इस गेंदबाज़ से हमने खास बातचीत की. पेश हैं उस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू (Harbhajan Singh EXCLUSIVE Interview) के कुछ अहम सवाल-जवाब.

  • खबरें हैं कि आप एक नई पारी की शुरुआत नए मैदान पर करते दिखेंगे! कितनी सच्चाई है इसमें?

    नई पारी तो जरूर शुरू होगी क्योंकि क्रिकेट वाला पहलू अब पीछे रह गया है. क्रिकेट वाला पहलू का मतलब है कि खिलाड़ी के तौर पर खेलने वाली पारी ख़त्म हो गई है. लेकिन, इस खेल के साथ अब तक जुड़ा हूं. अब दूसरा पहलू है कि क्रिकेट के सथ जुड़ा रहूं और इसका रास्ता कोचिंग ही हो सकता है. और जो आप सुनना चाहते हैं (हंसते हुए) यानी राजनीति के बारे में. बता दूं कि मैंने इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया है. क्या करना है. क्यों करना है. तय नहीं किया है लेकिन जब फैसला लूंगा तो आपको जरूर बताऊंगा.

  • आपने कोचिंग के बारे में बात की. क्या आपके लिए दो महीने का आईपीएल प्लेटफार्म होगा या फिर इंटरनेशनल टीम? आप फुल-टाइम कोचिंग करेंगे या फिर मेंटोरशिप जैसा रोल लेंगे?

    देखिये, मैं अभी ही रिटायर हुआ हूं. मैं बहुत लंबे समय तक घर से बाहर रहा हूं. एक क्रिकेटर की ज़िदंगी फौजियो की ही तरह होती है. हमेशा उनका सामान बंधा ही रहता है. जब भी घर पर आता था तो हफ्ते-दस दिन बाद निकलना पड़ता था. अब मैं अपना (ज़्यादा) समय परिवार को देना चाहता हूं. पूराने लोगों से मिलना चाहता हूं. पिछले 20-22 सालों में मैनें बहुत चीजें मिस (कमी) की हैं. लेकिन क्रिकेट मेरी ज़िंदगी है और हमेशा रहेगी. बिना क्रिकेट के मेरा वजूद कुछ भी नहीं है. कोचिंग से कितना जुड़ा रहूंगा अभी पता नहीं. लेकिन फिलहाल किसी इंटरनेशनल टीम के साथ उतना वक्त नहीं दे पाऊंगा. इटंरनेशनल टीम के साथ आपको फिर से 12 महीने व्यस्त रहना पड़ता है जबकि आईपीएल में 2-3 महीने किसी भी टीम के काम आ सकता हूं.

  • आपने बतौर कप्तान मुंबई इंडियंस को चैंपियंस लीग जिताया. इसके बावजूद आपकी कप्तानी की बात नहीं होती है? आपको ये अजीब लगता है कि आपकी कप्तानी को लेकर चर्चा नहीं होती है?

    बेहतर है आप इस बात को ना छेड़ें कि मैं कप्तान क्यों नहीं बना… मैंने खेलते हुए देश की सेवा की. कप्तान बनता तो भी कोई बड़ी बात नहीं होती और नहीं भी बना तो कोई अफसोस नहीं है.

  • आपका सबसे बेहतरीन प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ है. कैसा आपको महसूस होता है जब रिकी पोंटिंग ने कहा कि आप उनके लिए सबसे मुश्किल चुनौती रहे?

    रिकी पोंटिंग बहुत बड़े खिलाड़ी हैं और आप जब उनसे या मैथ्यू हेडेन जैसे खिलाड़ियों से जब ये बातें सुनते हैं तो अच्छा लगता है. ऐसे तो कोई किसी की तारीफ नहीं करता है. जरूर मैदान में छाप छोड़ी होगी. मैदान में खुद को टेस्ट करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम से बेहतर कोई और नहीं होता था क्योंकि वो उस दौर के बॉस होते थे. मैं उनके ख़िलाफ़ यही सोचकर उतरता और अच्छा खेलकर बताता था कि मैं भी क्रिकेट में सस्टेन(कामयाब) कर सकता हूं.

  • धोनी के साथ आपके रिश्ते कैसे हैं?

    बहुत अच्छा है. मेरी उनसे शादी तो नहीं हुई.

  • हाल ही में कुछ ऐसी हेडलाइन आई थी कि आप धोनी से नाराज़ हैं?

    हर बंदे के सोचने का तरीका अलग होता है. मैं सिर्फ यह कह रहा हूं कि 2012 के बाद कुछ चीजें बेहतर हो सकती थी. वीरू (सहवाग), गौतम (गंभीर), युवी (युवराज सिंह) का करियर 35-36 साल तक आईपीएल खेलते हुए चला. वो सब खेलते हुए रिटायर हो सकते थे. क्या मैं 2011 के बाद अचानक ही ख़राब हो गया और ये सारे खिलाड़ी एक साथ कभी नहीं खेले. मैं सिर्फ 31 साल का था. युवी छोटा है. गौतम तो और छोटा है. 2015 के लिए ये सभी उपलब्ध थे लेकिन इनमें से कोई नहीं आया.एक बड़ा सवाल है. उस समय बीसीसीआई (BCCI) में कौन से लोग थे. वो कैसे इस बात को जस्टीफाइ (सही साबित) करेंगे. क्यों ऐसा रवैया अपनाया गया. क्यों हम लोगों भविष्य में का चयन नहीं हो पाया? ऐसा तो नहीं था हम 2011 में क्वार्टर फाइनल में हार गए थे. हम तो वर्ल्ड कप जीते थे. ये बात हजम नहीं होती है. समझ से परे है.

  • इसका मतलब तो यही हुआ कि आपको धोनी से शिकायत है?

    बिलकुल नहीं. धोनी (MS Dhoni) से ज़रा भी शिकायत नहीं है. वो अच्छा दोस्त भी रहा है. बढ़िया कप्तान रहा है. मेरी शिकायत बीसीसीआई से है. जो सरकार थी. मैं बीसीसीआई को सरकार कहता हूं. जो सरकार थी उन दिनों, जो चयनकर्ता थे उन दिनों, उन्होंने ठीक से काम नहीं किया. टीम की यूनिटी (एकता) को तोड़ दिया. नए लड़कों को लेकर आना… जब पुराने औजार ही तीखे थे तो नए की जरूरत नहीं. हम फुंके तो नहीं थे. 38 साल के भी नहीं हुए थे. 32 साल के ही थे और आज भी खेलेंगे तो दम लगा देंगे. ये अलग बात है कि अब खेलेंगे नहीं! चयनकर्ताओं से जब हमने ये पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे बस की बात नहीं थी तो फिर आप चयनकर्ता क्यों थे भाई?

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