जहांगीरपुरी में बुलडोजर : ओवैसी ने क्यों इसकी तुलना तुर्कमान गेट से की, जानिए 46 साल पहले क्या हुआ था?


सार

ओवैसी ने ट्वीट किया। लिखा, ‘तुर्कमान गेट 2022, इतिहास बताता है कि 1976 में सत्ता में बैठे लोग वर्तमान समय में अपनी ताकत गंवा बैठे हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी को भी याद रखना चाहिए। सत्ता शाश्वत नहीं है।’ 

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दिल्ली में 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दिन जहांगीरपुरी में जहां हिंसा हुई, वहां बुधवार को दिल्ली नगर निगम ने जमकर बुलडोजर चलाया। मस्जिद की गेट से लेकर आसपास के सभी अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर के जरिए धवस्त कर दिया गया।  

इस बीच, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का ट्वीट आया। उन्होंने इस कार्रवाई की तुलना 46 साल पहले हुए तुर्कमान गेट कांड से की। विपक्ष के कई नेताओं ने भी केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम को घेरा। आइए जानते हैं कि आखिर 46 साल पहले तुर्कमान गेट पर ऐसा क्या हुआ था, जिसे आज ओवैसी याद कर रहे हैं…?  
 
ओवैसी ने ट्वीट किया। लिखा, ‘तुर्कमान गेट 2022, इतिहास बताता है कि 1976 में सत्ता में बैठे लोग वर्तमान समय में अपनी ताकत गंवा बैठे हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी को भी याद रखना चाहिए। सत्ता शाश्वत नहीं है।’ 
 
मामला 13 अप्रैल 1976 का है। देश में आपातकाल लागू था। इस बीच, दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी डीडीए के कई अफसर भारी पुलिस फोर्स और बुलडोजर के साथ तुर्कमान गेट पहुंचे। ये मुस्लिम बाहुल इलाके था। अफसरों के पास इस इलाके को पूरी तरह से खाली कराने का आदेश था। दो बार पहले ही कोशिश हो चुकी थी, लेकिन इलाके के लोगों ने पथराव कर दिया था। कई पुलिसकर्मियों को चोट भी आई थी। ये तीसरी कोशिश थी। इस बार अफसरों ने चालाकी से काम किया। जैसे ही बुलडोजर लेकर वह इलाके में पहुंचे, लोगों ने उन्हें घेर लिया। किसी तरह अफसरों ने समझाया। कहा कि वह केवल ट्रांजिट कैंप की दीवारें तोड़ने आए हैं। फिर लोग पीछे हो गए। दो दिन तक यही हुआ। 

तीसने दिन यानी 15 अप्रैल को फिर डीडीए की टीम बुलडोजर के साथ पहुंची। फिर लोगों ने उन्हें घेर लिया। डीडीए के तहसीलदार कश्मीरी लाल ने कहा, ‘वह केवल फुटपाथ तोड़ने आए हैं। फुटपाथ पर जिन लोगों का सामान रखा हुआ है, वो हटा लें।’

लोगों को अफसर पर विश्वास नहीं हुआ। करीब 1000 की संख्या में लोग महानगर पार्षद अर्जन दास के पास पहुंचे। अर्जन दास खुद भी हैरान हो गए। वह सभी को लेकर सीधे सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल के पास पहुंच गए। शुक्ल ने सबकी बातें सुनने के बाद डीडीए के उपाध्यक्ष जगमोहन को फोन किया और कहा कि बुलडोजर वापस बुला लें। लोगों को लगा कि अब कोई कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन जब तक वह वापस तुर्कमान गेट पहुंचे, तब तक वहां सबकुछ मिट्टी में मिल चुका था। बुलडोजर अपना काम कर चुका था।   

फिर 16 और 17 अप्रैल को यही हुआ। बुलडोजर ने तुर्कमान गेट की गलियों को साफ करना शुरू कर दिया था। हर रोज अफसर उन्हें नया आश्वासन देते थे। एक बार आश्वासन दिया गया कि इस कार्रवाई को रोक दिया जाएगा, लेकिन इसके लिए सभी को नसबंदी करानी होगी। इस बीच, जिन लोगों के घर नहीं टूटे थे, उन्हें पर्ची दी जाने लगी। ये पर्ची त्रिलोकपुरी और नंद नगरी में प्लॉट्स के एलॉटमेंट को लेकर थी। मतलब साफ था कि सभी के घर टूटने थे। 

18 अप्रैल को रविवार था, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई। 19 अप्रैल को जैसे ही डीडीए की टीम पहुंची, लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने भी पहले लाठीचार्ज किया और फिर अफसरों ने गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस बवाल में छह लोगों की मौत हुई। हालांकि, अलग-अलग पत्रकार और घटना के वक्त जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों ने 20 से 150 मौतों का दावा किया। 
 
सियासी गलियारे में चर्चा ये भी रही कि तुर्कमान गेट पर संजय गांधी के कहने पर कार्रवाई हुई थी। कहा जाता है कि अप्रैल, 1976 की शुरुआत में डीडीए के उपाध्यक्ष जगमोहन और संजय गांधी तुर्कमान गेट के दौरे पर गए थे। उसी समय संजय ने इच्छा प्रकट की थी कि वो चाहते हैं कि उन्हें तुर्कमान गेट से जामा मस्जिद साफ-साफ दिखाई दे। जगमोहन ने संजय के इन शब्दों को आदेश की तरह लिया और फिर तुर्कमान गेट को साफ कर दिया।
 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहांगीरपुरी में अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘यह संवैधानिक मूल्यों का विध्वंस है। गरीबों और अल्पसंख्यकों को सरकार की तरफ से टारगेट किया जा रहा है। भाजपा को इसके बजाय उनके दिलों से नफरत को दूर करना चाहिए।’

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सरकार पर हमला बोला। थरूर ने ट्वीट में लिखा, ‘बेबस और लाचार हर एक बंदा हो गया अब राजनीतिक खेल बहुत गंदा हो गया।’

राहुल गांधी को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने जवाब दिया। उन्होंने लिखा, ‘आपकी दादी मां ने संवैधानिक मूल्यों को आपातकाल के दौरान ध्वस्त किया। हम सभी को 1984 में सिखों के खिलाफ सरकार द्वारा प्रायोजित हमले याद हैं। हर रोज आपका इकोसिस्टम हिंदू विरोधी को बढ़ावा देता है। पहले जाइए अपने इस पाखंड पर बुलडोजर चलाइए और करौली के मुख्य आरोपी मतलूब पर कुछ एक्शन लीजिए।’

विस्तार

दिल्ली में 16 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव के दिन जहांगीरपुरी में जहां हिंसा हुई, वहां बुधवार को दिल्ली नगर निगम ने जमकर बुलडोजर चलाया। मस्जिद की गेट से लेकर आसपास के सभी अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर के जरिए धवस्त कर दिया गया।  

इस बीच, एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी का ट्वीट आया। उन्होंने इस कार्रवाई की तुलना 46 साल पहले हुए तुर्कमान गेट कांड से की। विपक्ष के कई नेताओं ने भी केंद्र सरकार और दिल्ली नगर निगम को घेरा। आइए जानते हैं कि आखिर 46 साल पहले तुर्कमान गेट पर ऐसा क्या हुआ था, जिसे आज ओवैसी याद कर रहे हैं…?  

 



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