Kidney disease: किडनी की बीमारी को क्‍यों कहा जाता है ‘साइलेंट किलर’, क्‍या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव?


Sehat Ki Baat: किडनी की बीमारी की चपेट में आने के सालों साल बाद भी लोगों को इसकी भनक नहीं लगती है, इसीलिए किडनी की बीमारी को ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है. जब तक इस बीमारी के बारे में पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. यही कारण है कि ग्लोबल बर्डन डिजीज (GBD) ने अपनी एक स्‍टडी में क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) को भारत में बीमारी से होने वाली मौतों का आठवां सबसे बड़ा कारण माना है. नेशनल हेल्‍थ पोर्टल के अनुसार, वैश्विक स्तर पर क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) मौत का छठवां सबसे बड़ा कारण है और एक्यूट किडनी इंजरी (AKI) के कारण सालाना लगभग 1.7 मिलियन लोगों की मौत होती है.

क्या है हमारे शरीर में किडनी का काम?
इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर नेफ्रोलॉजिस्‍ट डॉ. गौरव सागर (Senior Nephrologist Dr. Gaurav Sagar) के अनुसार, मेटाबॉलिज्‍म के प्रॉसेस से निकलने वाले वेस्‍ट (अपशिष्ट पदार्थ) को शरीर से बाहर निकालना और सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम व फास्‍फोरस जैसे इलेक्‍ट्रोलाइट्स को संतुलन बनाए रखना किडनी का सबसे महत्‍वपूर्ण काम है. मसलन, शरीर में पानी, एसिड और सॉल्‍ट का नियमन करते हुए हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी का है. भोजन के पाचन के बाद किडनी हमारे शरीर से यूरिया, क्रिएटिनिन जैसे हानिकारक नाइट्रोजन युक्‍त अपशिष्ट पदार्थों को खून से फिल्‍टर कर यूरिन के जरिए बाहर निकालने का भी काम करती है.

हमारे शरीर में किडनी के काम

खून का शुद्धीकरण किडनी खून में मौजूद क्रिएटिनिन और यूरिया जैसे हानिकारक पदार्थों को यूरिन (पेशाब) के रास्‍ते शरीर से बाहर निकालना और शरीर को शुद्ध खून मुहैया कराने का काम करती है.
मिनिरल्स का संतुलन किडनी शरीर से अतिरिक्‍त पानी को यूरिन के रास्‍ते बाहर निकाल सोडियम, पोटेशियम, क्लोराइड, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम जैसे इलेक्‍ट्रोलाइट्स का आवश्‍यकता अनरूप संतुलन करती है.
हीमोग्लोबिन बनाने में सहायक किडनी रेड सेल्‍स के जरिए खून में हीमोग्‍लोबिन बनाने का काम करती है. दरअसल, किडनी एरिथ्रोपोएटिन नामक एक हार्मोन बनाती है. यह हार्मोन बोनमैरो के साथ मिलकर हीमोग्‍लोबिन बनाता है. हीमोग्‍लोबिन की कमी की वजह से लोग एनीमिया के शिकार हो जाते हैं.
हड्डियां को मजबूत करना हड्डियों की मजबूत रखने में किडनी की महत्‍वपूर्ण भूमिका हैं. दरअसल, किडनी कैल्सियम और फास्‍फोरस जैसे महत्‍वपूर्ण मिलिरल्‍स के जरिए शरीर में एक ऐसा वातावरण तैयार करती हैं, जिससे हमारी हड्डियां स्‍वस्‍थ्‍य और मजबूत रहें.
हार्मोन के जरिए संतुलन किडनी एंजियोटेंसिन, एल्डोस्टेरोन, प्रोस्टाग्लैंडिन जैसे हार्मोन बनाकर शरीर में पानी की मात्रा, एसिड और सॉल्‍ट का संतुलन बनाती है. ये हार्मोन शरीर के ब्‍लड प्रेशर को सामान्‍य रखने में मदद करते हैं.

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क्या हैं किडनी की बीमारी के लक्षण
डॉ. गौरव सागर के अनुसार, किडनी की बीमारी अब किसी आयु वर्ग तक सीमित नहीं रही है. यह बीमारी अब बुजुर्गो के साथ-साथ नौजवानों को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है. इस बीमारी की चपेट में खासकर ऐसे लोग होते हैं, जो ब्‍लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, कोरोनरी आर्टरी डिजीज ंऔर मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित हैं. उन्‍होंने बताया कि किडनी फंक्शन खराब होने पर शरीर में पानी एकत्रित होना शुरू हो जाता है. शरीर में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फास्‍फोरस जैसे इलेक्‍ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से हाई ब्‍लड प्रेशर बढ़ने लगता है. पोटेशियम बढ़ने का सीधा असर हार्ट में देखने को मिल सकता है.  इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि निश्चित समयावधि में अपनी किडनी का टेस्‍ट जरूर करवाएं.

शरीर में किडनी की बीमारी की दस्‍तक…

पैरों में सूजन घुटनों, पैरों एवं एडी में सूजन किडनी की बीमारी के विभिन्‍न लक्षणों में एक लक्षण है. दरअसल, बीमारी की चपेट में आने के साथ किडनी का एसिड एण्‍ड सॉल्‍ट बैलेंस खराब हो जाता है, जिसके चलते पैर के पंजों सहित एडी, घुटनों और पैरों में सूझन आना शुरू हो जाती है.
चेहरे में सूजन किडनी का एक काम शरीर में पानी की मात्रा के संतुलन को बनाए रखना है. जैसे-जैसे किडनी बीमार होती है, पानी की मात्रा का यह संतुलन बिगड़ने लगता है और आखों की करीब की कोशिकाओं और ऊतकों में तरल पदार्थ एकत्रित होने लगता है. नतीजतन, आंखें के आसपास सूजन दिखने लगती है. आंख की इर्द गिर्द की इस सूजन को पेरिऑरबिटल एडिमा भी कहा जाता है.

बार-बार झाग के साथ यूरिन आना

यदि किसी शख्‍स को रात में यूरिन करने के लिए दो से तीन बार उठना पड़ रहा है और यूरिन के साथ झाग आ रहा है तो यह किडनी की बीमारी की प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. दरअसल, किडनी का फिल्‍टर प्रॉसेस खराब होने की वजह से प्रोटीन यूरिन में झाग पैदा करने लगता है.
हाई ब्लड प्रेशर हाई ब्‍लड प्रेशर किडनी की बीमारी के शुरूआती लक्षणों में एक है. दरअसल, शरीर में सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और फास्‍फोरस जैसे इलेक्‍ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से हाई ब्‍लड प्रेशर बढ़ने लगता है. ऐसे में, हाई ब्‍लड प्रेशर के मरीजों को अपने किडनी की जांच जरूर करानी चाहिए.
एनीमिया और भूख में कमी खून में रेड सेल्‍स की कमी के चलते हीमोग्लोबिन का स्तर गिरने लगता है. इसके अलावा, यूरिया, क्रिएटिनिन, एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों के जमा होने की वजह से भूख कम हो जाती है. अचानक हीमोग्लोबिन का स्‍तर गिरने और भूख कम होने पर किडनी की जांच जरूर करानी चाहिए.

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ये हैं किडनी की बीमारी की असल वजह…
डॉ. गौरव सागर के अनुसार, किडनी की अपनी बहुत कम बीमारियां हैं. वह तो हमेशा से शरीर की दूसरी बीमारियों की वजह से परेशानी में रही है. खराब लाइफस्‍टाइल और अनहेल्‍दी फूड भी लोगों में किडनी की बीमारी की बड़ी वजहों में से एक है. देखने को मिलता है कि लोगों की फिजिकल एक्टिविटी बहुत कम हो गए है. नौजवान और बच्‍चों में सैर करने जैसी आदतें नहीं रही है. लोगों की इन आदतों की वजह से उन्‍हें लाइफ स्‍टाइट से जुड़ी बीमारियां होती है, जिसका सीधा और नकारात्‍मक असर किडनी पर पडता है. इसी तरह, प्रिजर्वेटिव फूड खाने की वजह से होने वाली मेटाबॉलिक डिजीज किडनी को भी नुकसान पहुंचानी है.

किडनी की बीमारी के अन्य कारण

डायबिटीज डायबिटीज से पीड़ित लोगों में किडनी की बीमारी खतरा सबसे अधिक रहता है. जिस शख्‍स को जितनी लंबी डायबिटीज की बीमारी है, उसको उतना ही अधिक किडनी की बीमारी का खतरा है. लिहाजा, डायबिटीज से पीड़ित लोंगों को निश्चित समयावधि में अपनी किडनी की जांच जरूर कराते रहना चाहिए.
ब्लड प्रेशर किडनी की बीमारी की तरह हाई ब्‍लड प्रेशर भी एक साइलेंट किलर है. हाई ब्‍लड प्रेशर का सीधा और नकारात्‍मक असर किडनी पर पड़ता है. किडनी की बीमारी से बचने के लिए ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करना बहुत आवश्‍यक है. चाहे इसके लिए हमें कितनी भी दवाइयां खानी पड़े. ब्‍लड प्रेशर पर कंट्रोल नहीं हुआ तो इसका नुकसान किडनी को भी उठाना पड़ेगा.
पनेन किलर्स पेन किलर्स यानी दर्द निवारक दवाएं भी किडनी को बीमार बनाने में अहम भूमिका अदा करती हैं. पेन किलर्स हमेशा डॉक्‍टर्स की सलाह पर ही लेनी चाहिए. लगातार पेनकिलर्स खाने से किनडी के बीमार होने का खतरा बना रहता है. वहीं, ऐसे लोग जिनका क्रिएटिनिन वैल्‍यू 1.5 या 2 है, उनके लिए पेनकिलर्स जहर के समान हैं.
वजन अधिक वजन भी किडनी की बीमारी की बड़ी वजह है. यदि वजन निर्धारित बीएमआई से अधिक होगा, तो उसका दबाव किडनी पर पड़ेगा ही पड़ेगा. लिहाजा किडनी की बीमारी से बचने के लिए अपने वजन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.
पारांपरिक दवाएं लोग बहुत सारी पारंपर‍िक दवाओं का सेवन बिना किसी चिकित्‍सीय परामर्श के करते हैं. वहीं, इंटरनेट की सलाह पर बहुत से लोग वजन घटाने के लिए चाइनीज हर्ब्‍स का सेवन करते हैं. जिसका सीधा नकारात्‍मक असर किडनी पर पड़ता है. किडनी की बीमारी से बचने के लिए चिकित्‍सीय सलाह के बिना किसी तरह की दवाओं को लेने से परहेज करना चाहिए.

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कैसे रखें किडनी को बीमारियों से दूर
डॉ. गौरव सागर के अनुसार, किडनी की बीमारी से बचाव के लिए डायबिटीज और ब्‍लड प्रेशर पर अच्‍छे से कंट्रोल करना चाहिए. छोटी-छोटी समस्‍याओं के लिए अनावश्‍यक रूप से पेन किलर्स या एंटीबाइटिक दवाओं का सेवन करने से बचना चाहिए. यदि कोई डायबिटिक और ओवर वेट है तो किडनी की बीमारी से बचने के लिए उसे रेड मीट खाने से परहेज करना चाहिए. इसके अलावा, अपने लाइफस्‍टाइल में सुधार कर जॉगिंग, वॉकिंग, साइकलिंग, सहित खेलों को अपने जीवन का हिस्‍सा बनाना चाहिए.

ऐसे फिट रहेगी आपकी किडनी

डायबिटीज की जांच डायबिटीज से पीड़ित लोग निश्चित समयांतराल में डायबिटीज की जांच जरूर करानी चाहिए. क्रिएटिनिन टेस्‍ट से पहले यूरिन में प्रोटीन प्रजेंस का टेस्‍ट करा समय रहते किडनी की बीमारी का पता लगा सकते हैं.
ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण किडनी की बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि अपने ब्‍लड प्रेशर पर नियंत्रण बनाए रहें. सर्दियों के मौसम में ब्‍लड प्रेशर में थोड़ा भी बदलाव दिखता है तो अपने डॉक्‍टर से मिलकर उसकी डोज जरूर संसोधित करा लें.
पानी का सेवन किडनी की बेहतर सेहत के लिए हमें दिन में दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए, जिससे हमारा शरीर अच्‍छी तरह से हाइड्रेड रहे. पानी सोडियम, यूरिया और विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है.
धूम्रपान और शराब से परहेज धूम्रपान सीधे तौर पर किडनी फंक्‍शन को प्रभावित करता है. किडनी की बीमारी से बचने के लिए धूम्रपान से पूरी तरह परहेज करें. इसी तरह, अधिक शराब पीने से लिवर के साथ साथ किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है.
नमक का हो कम इस्तेमाल खाने में हमें नमक पर नियंत्रण रखना चाहिए. अधिक नमक खाने से हाई ब्‍लड प्रेशर का खतरा बना रहता है. जिसका सीधा असर किडनी की बीमारी पर पड़ता है.

 

Tags: Kidney disease, Sehat ki baat

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