क्यों नहीं चल रहा बॉलिवुड का जादू! फिल्ममेकर्स ने बताई वजह- लोगों को थिएटर में बस एंटरटेनमेंट चाहिए


झुंड, अनेक और चंडीगढ़ करे आशिकी जैसी कॉन्टेंट फिल्में हों या अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणवीर सिंह जैसे बड़े स्टार्स की सम्राट पृथ्वीराज, रनवे 34 और जयेशभाई जोरदार जैसी बड़ी फिल्में, सिनेमाघरों में इन दिनों किसी का जादू नहीं चल पा रहा है। साल 2022 में अब तक महज तीन फिल्मों गंगूबाई काठियावाड़ी, द कश्मीर फाइल्स और भूल भुलैया 2 को छोड़कर बाकी सभी हिंदी फिल्में एक के बाद एक बॉक्स ऑफिस पर धराशायी हो गईं। इसके चलते बॉलिवुड फिल्म मेकर्स के बीच खासी हलचल मची हुई है। सभी ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर पब्लिक को चाहिए क्या। ज्यादातर मेकर्स का मानना है कि कोविड के बाद दर्शकों का सिनेमा देखने का नजरिया बदल चुका है। अब वे केवल खास किस्म की मसाला एंटरटेनमेंट वाली फिल्मों के लिए ही टिकट खरीद रहे हैं। हालांकि, अभी दर्शकों के मूड को समझने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा।

कोविड के बाद बदला ऑडियंस का मूड
फिल्म भूल भुलैया 2 से बॉक्स ऑफिस को थोड़ी राहत पहुंचाने वाली कंपनी टी-सीरीज के हेड भूषण कुमार कहते हैं, ‘कोविड से पहले और कोविड के बाद के समय में बहुत सी चीजें बदल गई हैं। अभी तक ये जजमेंट नहीं हो पा रही है कि किस तरह की फिल्में लोग थिएटर में देखेंगे, किस तरह की ओटीटी पर देखेंगे। ये हम सब प्रड्यूसर्स को अभी देखना होगा कि किस तरह की फिल्में थिएटर में लानी चाहिए, किसे ओटीटी पर रिलीज करना चाहिए।’ इम्तियाज अली कहते हैं, ‘पिछले दो साल में ऑडियंस का फिल्में देखने का पैटर्न बदल चुका है। उस चीज को हमें समझना होगा कि ऑडियंस अब मेंटली कहां है? क्या देखना चाहती है? केजीएफ 2, आरआरआर या भूल भुलैया 2 के हिट होने से ये तो साफ है कि लोग थिएटर में आना चाह रहे हैं, लेकिन उन्हें थिएटर में बुलाने के लिए किस तरह की फिल्म होनी चाहिए, ये हम मेकर्स को समझना होगा।’

थिएटर में चलेगा सिर्फ एंटरटेनमेंट
साउथ की फिल्मों के थिएटर में अच्छे बिजनेस पर भूषण कुमार कहते हैं, ‘ऐसा नहीं है कि साउथ की सारी फिल्में चल रही हैं। ये बस गलतफहमी है। साउथ की कई फिल्में वलीमई, मास्टर, बीस्ट नहीं चलीं। साउथ की जो फिल्में चली हैं, वे ब्रांड हैं। आरआरआर राजामौली का ब्रांड है। केजीएफ बहुत बड़ा ब्रांड है। पुष्पा ब्रांड बन गई, क्योंकि उस वक्त कोविड के चलते कोई फिल्म थी नहीं। 83 आई थी, पर वह मसाला एंटरटेनर नहीं थी, जबकि पुष्पा मसाला एंटरटेनर थी, तो धीरे धीरे 115 करोड़ का बिजनेस कर गई। जैसे हमारी भूल भुलैया 2 मास एंटरटेनर थी, तो बच्चे-बूढ़े सभी ने उसे देखा। साबिर के मुताबिक, ‘अभी थिएटर में वे ही फिल्में चल रही हैं, जो एंटरटेनिंग हैं। ऑडियंस उन्हीं फिल्म को प्यार दे रही है, जिनमें उन्हें एंटरटनेटमेंट मिल रहा है, जैसे भूल भुलैया 2। मुझे ऐसा लगता है कि कोविड के इन दो सालों के बाद ऑडियंस को हंसी खुशी वाली अच्छी फिल्में, जिसमें खूब सारा एंटरटेनमेंट हो, वही देखना चाहती है।’

ओटीटी ने भी बिगाड़ा बड़े पर्दे का खेल
फिल्मों को लेकर दर्शकों के नजरिए में आए बदलाव की एक वजह ओटीटी को भी माना जा रहा है। प्रड्यूसर-ऐक्टर सोहम शाह कहते हैं, ‘लॉकडाउन के दौरान लोगों ने ओटीटी पर इतना सारा और अच्छा कॉन्टेंट देख लिया है कि उनकी उम्मीदें बढ़ गई हैं। उनका सिनेमा को लेकर स्टैंडर्ड बढ़ चुका है। हमारे लिए अच्छी बात ये है कि लोग थिएटर जा रहे हैं। इसलिए, आप अच्छा कॉन्टेंट दोगे, तो लोग थिएटर जाएंगे, लेकिन अब आपको अपना स्टैंडर्ड बढ़ाना पड़ेगा, क्योंकि दर्शकों का स्टैंडर्ड बढ़ गया है।’

दो-तीन फिल्में हिट हुईं, सब ठीक हो जाएगा
इधर, बॉलिवुड के हिट मशीन रोहित शेट्टी बॉक्स ऑफिस के इस सूखे दौर को इतनी भी बड़ी बात नहीं मानते। रोहित कहते हैं, ‘मैं पर्सनली अपनी बात करूं तो जो लोग बोल रहे हैं कि बड़ी, मासी फिल्में बनानी पड़ेगी, हम पहले से वही कर रहे हैं। हमने 50 फीसदी दर्शक संख्या के बीच सूर्यवंशी रिलीज की थी, महामारी के बाद हम पहली फिल्म लेकर आए थे, जब लोग कह रहे थे कि अब ओटीटी आ गया। थिएटर में कोई नहीं आएगा। उस माहौल में हमारी फिल्म ने इतना बड़ा बिजनेस किया, तो पर्सनली मुझे कोई इतना फर्क नहीं पड़ रहा है।’

एंटरटेनिंग फिल्में चलेंगी
साबिर खान कहते हैं, ‘कोविड के दो साल बाद ऑडियंस हंसी-खुशी वाली अच्छी फिल्में, जिसमें खूब सारा एंटरटेनमेंट हो, उन्हें ही प्यार दे रही है। लोगों का स्टैंडर्ड बढ़ गया।’ सोहम शाह का कहना है, ‘लॉकडाउन में ओटीटी पर लोगों ने इतना सारा और अच्छा कॉन्टेंट देख लिया है कि उनका फिल्मों के लेकर स्टैंडर्ड बढ़ गया है। अब उन्हें सिर्फ अच्छा कॉन्टेंट ही थिएटर में खींच सकता है।’

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