July Jackpot: क्या 2022 में भी निवेशकों को मालामाल करेगा ‘जुलाई जैकपॉट’ या बदल जाएगा 15 साल का इतिहास?  


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शेयर बाजार के आंकड़े बताते हैं कि दो-चार मौकों को छोड़ दिया जाए तो जुलाई के महीने में निवेशकों को जैकपॉट लगता रहा है। बीते 15 साल में जुलाई महीने ने निवेशकों को सिर्फ एक महीने में ही 5 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। वहीं कम से कम 9 बार ऐसा हुआ है जब जुलाई का महीना एक प्रतिशत से अधिक प्रॉफिट देने में सफल रहा है। पिछले 15 सालों में जुलाई महीने ने 11 बार हरे निशान में रहकर निवेशकों को कमाई कराई है। 

15 वर्षों से जुलाई महीने ने नहीं किया है निराश 

अगर गिरावट की बात करें तो जुलाई के महीने ने पिछले 15 साल में कभी भी निराश नहीं किया है। ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जुलाई महीने में सेंसेक्स 5 फीसदी से अधिक गिरा हो। बीते 15 सालों में जुलाई महीने में सबसे बड़ी गिरावट साल 2019 में देखने को मिली थी, उस समय सेंसेक्स में अधिकतम 4.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं, साल 2009 में सेंसेक्स ने शानदार तरीके अपने निवेशकों को पैसा बनाकर दिया था। 2009 में जुलाई महीने में 8.12 फीसद का रिटर्न देखने को मिला था। 

जून तिमाही के आंकड़ों में मजबूती से जुलाई में आती है तेजी 

कुल मिलाकर देखा जाय तो पिछले 15 साल में जुलाई का महीना शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों के लिए जैकपॉट का महीना साबित हुआ है। शेयर बाजार के जानकार भी मानते हैं कि जुलाई के जैकपॉट की उम्मीद में इस महीने निवेशकों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। इक्विटी मार्केट के विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई के महीने में बाजार की तेजी का एक बड़ा कारण कंपनियों के जून की तिमाही के नतीजों का जारी होना होता है। चूंकि जून का महीना जाते-जाते मौनसून का भी आगाज होने लगता है, इस कारण अच्छे फसल की उम्मीद में बाजार कर सेंटीमेंट भी बढ़िया होता है। वहीं, दूसरी ओर जुलाई ही वह महीना होता है जब महंगाई अपने चरम पर होती है। इसका असर भी कंपनियों के आंकड़ों पर पड़ता है और इससे बाजार में बुलिश मोमेंटम बनाने में मदद मिलती है। जुलाई के महीने में अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की पॉलिसी का रिव्यू करता है। इसका असर भी बाजार के सेंटीमेंट पर पड़ता है और कुल मिलाकर बाजार पॉजिटिव नोट पर चलता रहता है। 

इस वर्ष जुलाई में कैसा है बाजार का मूड?

इक्विटी मार्केट के लिहाज से साल 2022 कुछ खास उत्साहजनक नहीं रहा है। 2022 के फरवरी महीने से ही रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। ना जंग का फैसला हो पा रहा है ना ही वैश्विक बाजार में कोई उत्साह नजर आ रहा है। दुनियाभर के बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार रूस और यूक्रेन की लड़ाई के कारण पूरी दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है और ना चाहते हुए भी इस लड़ाई से दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। अमेरिका जैसा देश को खुद को पूरी दुनिया का लीडर समझता है इस लड़ाई के कारण पिछले 40 सालों में महंगाई के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। 

महंगाई के कारण हाथ से फिसल सकता है जुलाई जैकपॉट 

जानकार मानते हैं कि इस साल जुलाई के महीने में अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू करने की मशक्कत में लगा रहेगा। वर्तमान परिस्थितियों में अमेरिका में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट को सपोर्ट देने की बजाय अमेरिका की केन्द्रीय बैंक के लिए महंगाई पर लगाम लगाना अधिक जरूरी है। इसलिए अमेरिका से दुनियाभर के दूसरे शेयर बाजारों को कोई फायदा मिलेगा, इस साल ऐसा नहीं लगता है। दुनियाभर के बाजारों से अमेरिकी निवेशक बिकवाली करते दिख रहे हैं। ऐसे में बाजार कमजोर हो रहा है। इन कमजोर हो रहे बाजारों में भारतीय शेयर बाजार भी शामिल है। भारतीय बाजारों से एफआईआई (Foreign Institutional Investor) लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

भारतीय बाजार फिलहाल हैं मंदी की चपेट में

जुलाई के महीने में मॉनसून पर भी कारोबार जगत और बाजार की निगाहें लगी रहेंगी। साल 2021 में बीएसई सेंसेक्स में जुलाई महीने में 0.21% की वृद्धि देखी गई थी। वहीं, 2020 में भारतीय बाजार में 7.71 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। वर्ष 2018 में जुलाइ्र महीने में शेयर बाजार 6.16% ऊपर गया था। ऐसे में आम तौर भारतीय बाजार में जुलाई का जैकपॉट नजर आया है। इस महीने लोगों को खूब पैसा भी बनाकर दिया है। पर, इस बार हालात उलट हैं। बाजार में हरा निशान हाल के  दिनों में बहुत कम दिखा है। बाजार अगर हरे निशान में कारोबार भी करता नजर आता है तो उसमें वोलैटिलिटी इतनी ज्यादा होती है कि वह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा नहीं बन पाता है। जिस सेंसेक्स के बारे में कुछ महीनों कहा जाता था कि 60,000 पर करेगा वह फिलहाल दस प्रतिशत से अधिक गिरकर 52,000 से 53,000 के बीच कारोबार कर रहा है।  18,000 के पार जाने वाला निफ्टी भी लुढ़ककर 15,000 से 16,000 के बीच कारोबार कर रहा है। 

इस बार जुलाई का जैकपॉट हाथ लगेगा या नहीं?

हाल ही में आईआईएलएल सिक्योरिटीज की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि भारतीय बाजार बीते कुछ महीनों से डायरेक्शन पाने के लिए जूझ रहा है। कैश मार्केट में वॉल्यूम घटने की वजह से यह समस्या पैदा हुई है। जून महीने में बीएसई और निफ्टी में कैश का टर्नओवर 23 प्रतिशत तक कम रहा है। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार मंदी के मूड से बाहर नहीं निकल पा रहा है। कुल मिलाकर वर्तमान में हालात हैं वे यही कह रहे हैं कि इस बार बाजार में निवेशकों को जुलाई का जैकपॉट हाथ लगेगा इसकी संभावना बहुत कम नजर आ रही है। हां एक बात जरूर है कि है कि शेयर बाजार का अपना गणित है ऐसे में यह जुलाई का जैकपॉट लाता है या नहीं इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, यह तो बाजार खुद ही तय करेगा।

विस्तार

शेयर बाजार के आंकड़े बताते हैं कि दो-चार मौकों को छोड़ दिया जाए तो जुलाई के महीने में निवेशकों को जैकपॉट लगता रहा है। बीते 15 साल में जुलाई महीने ने निवेशकों को सिर्फ एक महीने में ही 5 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया है। वहीं कम से कम 9 बार ऐसा हुआ है जब जुलाई का महीना एक प्रतिशत से अधिक प्रॉफिट देने में सफल रहा है। पिछले 15 सालों में जुलाई महीने ने 11 बार हरे निशान में रहकर निवेशकों को कमाई कराई है। 

15 वर्षों से जुलाई महीने ने नहीं किया है निराश 

अगर गिरावट की बात करें तो जुलाई के महीने ने पिछले 15 साल में कभी भी निराश नहीं किया है। ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जुलाई महीने में सेंसेक्स 5 फीसदी से अधिक गिरा हो। बीते 15 सालों में जुलाई महीने में सबसे बड़ी गिरावट साल 2019 में देखने को मिली थी, उस समय सेंसेक्स में अधिकतम 4.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं, साल 2009 में सेंसेक्स ने शानदार तरीके अपने निवेशकों को पैसा बनाकर दिया था। 2009 में जुलाई महीने में 8.12 फीसद का रिटर्न देखने को मिला था। 

जून तिमाही के आंकड़ों में मजबूती से जुलाई में आती है तेजी 

कुल मिलाकर देखा जाय तो पिछले 15 साल में जुलाई का महीना शेयर बाजार में पैसे लगाने वालों के लिए जैकपॉट का महीना साबित हुआ है। शेयर बाजार के जानकार भी मानते हैं कि जुलाई के जैकपॉट की उम्मीद में इस महीने निवेशकों के दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। इक्विटी मार्केट के विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई के महीने में बाजार की तेजी का एक बड़ा कारण कंपनियों के जून की तिमाही के नतीजों का जारी होना होता है। चूंकि जून का महीना जाते-जाते मौनसून का भी आगाज होने लगता है, इस कारण अच्छे फसल की उम्मीद में बाजार कर सेंटीमेंट भी बढ़िया होता है। वहीं, दूसरी ओर जुलाई ही वह महीना होता है जब महंगाई अपने चरम पर होती है। इसका असर भी कंपनियों के आंकड़ों पर पड़ता है और इससे बाजार में बुलिश मोमेंटम बनाने में मदद मिलती है। जुलाई के महीने में अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की पॉलिसी का रिव्यू करता है। इसका असर भी बाजार के सेंटीमेंट पर पड़ता है और कुल मिलाकर बाजार पॉजिटिव नोट पर चलता रहता है। 

इस वर्ष जुलाई में कैसा है बाजार का मूड?

इक्विटी मार्केट के लिहाज से साल 2022 कुछ खास उत्साहजनक नहीं रहा है। 2022 के फरवरी महीने से ही रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। ना जंग का फैसला हो पा रहा है ना ही वैश्विक बाजार में कोई उत्साह नजर आ रहा है। दुनियाभर के बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। विशेषज्ञों के अनुसार रूस और यूक्रेन की लड़ाई के कारण पूरी दुनिया की सप्लाई चेन प्रभावित हुई है और ना चाहते हुए भी इस लड़ाई से दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। अमेरिका जैसा देश को खुद को पूरी दुनिया का लीडर समझता है इस लड़ाई के कारण पिछले 40 सालों में महंगाई के सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। 

महंगाई के कारण हाथ से फिसल सकता है जुलाई जैकपॉट 

जानकार मानते हैं कि इस साल जुलाई के महीने में अमेरिका का केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू करने की मशक्कत में लगा रहेगा। वर्तमान परिस्थितियों में अमेरिका में अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट को सपोर्ट देने की बजाय अमेरिका की केन्द्रीय बैंक के लिए महंगाई पर लगाम लगाना अधिक जरूरी है। इसलिए अमेरिका से दुनियाभर के दूसरे शेयर बाजारों को कोई फायदा मिलेगा, इस साल ऐसा नहीं लगता है। दुनियाभर के बाजारों से अमेरिकी निवेशक बिकवाली करते दिख रहे हैं। ऐसे में बाजार कमजोर हो रहा है। इन कमजोर हो रहे बाजारों में भारतीय शेयर बाजार भी शामिल है। भारतीय बाजारों से एफआईआई (Foreign Institutional Investor) लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

भारतीय बाजार फिलहाल हैं मंदी की चपेट में

जुलाई के महीने में मॉनसून पर भी कारोबार जगत और बाजार की निगाहें लगी रहेंगी। साल 2021 में बीएसई सेंसेक्स में जुलाई महीने में 0.21% की वृद्धि देखी गई थी। वहीं, 2020 में भारतीय बाजार में 7.71 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। वर्ष 2018 में जुलाइ्र महीने में शेयर बाजार 6.16% ऊपर गया था। ऐसे में आम तौर भारतीय बाजार में जुलाई का जैकपॉट नजर आया है। इस महीने लोगों को खूब पैसा भी बनाकर दिया है। पर, इस बार हालात उलट हैं। बाजार में हरा निशान हाल के  दिनों में बहुत कम दिखा है। बाजार अगर हरे निशान में कारोबार भी करता नजर आता है तो उसमें वोलैटिलिटी इतनी ज्यादा होती है कि वह निवेशकों के लिए फायदे का सौदा नहीं बन पाता है। जिस सेंसेक्स के बारे में कुछ महीनों कहा जाता था कि 60,000 पर करेगा वह फिलहाल दस प्रतिशत से अधिक गिरकर 52,000 से 53,000 के बीच कारोबार कर रहा है।  18,000 के पार जाने वाला निफ्टी भी लुढ़ककर 15,000 से 16,000 के बीच कारोबार कर रहा है। 

इस बार जुलाई का जैकपॉट हाथ लगेगा या नहीं?

हाल ही में आईआईएलएल सिक्योरिटीज की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि भारतीय बाजार बीते कुछ महीनों से डायरेक्शन पाने के लिए जूझ रहा है। कैश मार्केट में वॉल्यूम घटने की वजह से यह समस्या पैदा हुई है। जून महीने में बीएसई और निफ्टी में कैश का टर्नओवर 23 प्रतिशत तक कम रहा है। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार मंदी के मूड से बाहर नहीं निकल पा रहा है। कुल मिलाकर वर्तमान में हालात हैं वे यही कह रहे हैं कि इस बार बाजार में निवेशकों को जुलाई का जैकपॉट हाथ लगेगा इसकी संभावना बहुत कम नजर आ रही है। हां एक बात जरूर है कि है कि शेयर बाजार का अपना गणित है ऐसे में यह जुलाई का जैकपॉट लाता है या नहीं इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, यह तो बाजार खुद ही तय करेगा।



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