ज्ञानवापी मामला : सर्वे होगा या नहीं? आज आएगा फैसला, दोनों पक्षों ने तीन दिन हुई बहस में रखी दलीलें


सार

प्रकरण में वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से अदालत में दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिए गए हैं। वादी पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लेखित स्थलों के निरीक्षण का स्पष्ट आदेश देने की मांग की गई है।

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काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सर्वे के मामले में तीन दिनों से चल रही सभी पक्षों की बहस बुधवार को पूरी हो गई। अदालत ने दो घंटे तक चली बहस को सुनने के बाद आदेश के लिए 12 मई की तिथि तय कर दी। 

प्रकरण में वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से अदालत में दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिए गए हैं। वादी पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लेखित स्थलों के निरीक्षण का स्पष्ट आदेश देने की मांग की गई है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एडवोकेट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) पर निष्पक्ष न होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग अदालत से की गई है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान ताला तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जाकर वीडियोग्राफी और सर्वे की मांग का अंजुमन इंतजामिया की तरफ से विरोध किया गया। अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद बनाम सेक्रेटरी ऑफ स्टेट में यह घोषित किया जा चुका है कि मस्जिद, कोर्ट यार्ड और उसके नीचे की भूमि वक्फ बोर्ड की है।

उन्होंने कहा कि यहां मुस्लिम समुदाय के लोग धर्म के अनुसार नमाज, प्रार्थना, उर्स आदि करने के अधिकारी हैं, जो अनादिकाल से बिना किसी अवरोध के होता चला आ रहा है। ऐसे में ज्ञानवापी तहखाने के अंदर ताला तोड़कर सर्वे किए जाने का आवेदन खारिज होने योग्य है। आराजी नंबर की चौहद्दी, एरिया स्पष्ट होने के बाद ही सर्वे की बात कही गई।

सिविल जज सीनियर डिवीजन ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने फैसले के लिए गुरुवार 12 मई को दोपहर 12 बजे का समय दिया है।

एसीपी सुरक्षा ने बताया था सुरक्षा का खतरा

अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने अदालत में जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल के उस आवेदन का भी जिक्र किया, जिसमें एसीपी सुरक्षा के हवाले से कहा गया था कि मस्जिद परिसर में जाने से सुरक्षा का खतरा पैदा हो सकता है। कहा गया कि आवेदन में जिक्र है कि ज्ञानवापी वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानी गई है।

उन्होंने कहा कि श्रृंगार गौरी बैरिकेडिंग के बाहर होने की बात कही गई है। ऐसे में ज्ञानवापी के अंदर वक्फ बोर्ड की संपत्ति होने के कारण सर्वे कराने व ताला तोड़ने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट की ओर से बैरिकेडिंग व मस्जिद में प्रवेश कर कमीशन की कार्यवाही वीडियोग्राफी करने के लिए आदेशित नहीं किया गया है। अभयनाथ ने इस आरोप का खंडन किया कि मस्जिद में पहले से ही लोग छिपे थे। कहा कि हर धर्म में आस्था रखने वाले अन्य समय भी धार्मिक स्थल परिसर में रहते हैं।

आपत्ति का किया जोरदार विरोध

जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा कि सरकार व जिला प्रशासन अदालत के आदेश का अनुपालन कराने को तैयार हैं। कमीशन कार्यवाही शुरू होने के बाद सर्वे कमिश्नर को बदलने की मांग का विरोध किया। वादी पक्ष की तरफ से सुधीर त्रिपाठी, सुभाषनंदन चतुर्वेदी, शिवम गौड़, अनुपम द्विवेदी, मदनमोहन ने अंजुमन इंतजामिया की आपत्ति का जोरदार विरोध किया।

उन्होंने कहा कि यह कमीशन की कार्यवाही रोकने का प्रयास है। पहले कमीशन की रिपोर्ट कोर्ट में आए फिर उस पर आपत्ति की जा सकती है या दूसरे सर्वे कमीशन की मांग की जा सकती है। सुनवाई के दौरान नियुक्त सर्वे कमिश्नर अजय मिश्र, वादिनीगण, जितेंद्र सिंह बिशेन के अलावा सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे।

विस्तार

काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों के सर्वे के मामले में तीन दिनों से चल रही सभी पक्षों की बहस बुधवार को पूरी हो गई। अदालत ने दो घंटे तक चली बहस को सुनने के बाद आदेश के लिए 12 मई की तिथि तय कर दी। 

प्रकरण में वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से अदालत में दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिए गए हैं। वादी पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लेखित स्थलों के निरीक्षण का स्पष्ट आदेश देने की मांग की गई है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एडवोकेट कमिश्नर (अधिवक्ता आयुक्त) पर निष्पक्ष न होने का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग अदालत से की गई है।

बुधवार को सुनवाई के दौरान ताला तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर जाकर वीडियोग्राफी और सर्वे की मांग का अंजुमन इंतजामिया की तरफ से विरोध किया गया। अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने कहा कि वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद बनाम सेक्रेटरी ऑफ स्टेट में यह घोषित किया जा चुका है कि मस्जिद, कोर्ट यार्ड और उसके नीचे की भूमि वक्फ बोर्ड की है।

प्रकरण में वादी व प्रतिवादी पक्ष की ओर से अदालत में दो अलग-अलग प्रार्थना पत्र दिए गए हैं। वादी पक्ष की ओर से बैरिकेडिंग के अंदर तहखाने समेत अन्य उल्लेखित स्थलों के निरीक्षण का स्पष्ट आदेश देने की की मांग की गई है



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