महिला दिवस 2022: बरेली की हिबा बनी हीरोइन, बेटियों के पैरेंट्स से की भावुक अपील, एशा, दृष्टि व शेफाली ने भी जताए जज्बात


फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के निर्माता जयंतीलाल गडा कहते हैं कि कोरोना महामारी ने डिजिटल की जो तरक्की बीते दो साल में कर दी है, वह सामान्य स्थिति में आने वाले 10 साल में भी होनी मुश्किल थी। ओटीटी पर तो इन दिनों महिला किरदारों की बयार है ही, छोटा परदा भी शुरू से महिला दर्शकों के हिसाब से ही अपनी कहानियां बुनता रहा है। महिला दिवस पर इन महिला किरदारों में दमकती रहीं कुछ नायाब अभिनेत्रियों से हमने बात की और जाना कि क्या कहना है उनका इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की धारणा को लेकर।

स्टार भारत के आने वाले शो ‘वो तो है अलबेला’ में लीड किरदार निभा रहीं हिबा नवाब ने भी महिलाओं को इस महिला दिवस अपील की कि माता पिता को अपने बच्चों पर भरोसा दिखाना चाहिए और उन्हें अपने हिसाब से समाज में आगे बढ़ने की सहूलियत देनी चाहिए। वह कहती हैं, ‘भले ही हम एक पुरुष प्रधान समाज में रह रहे हों लेकिन एक लड़की अगर कुछ ठान ले तो उसे जरूर हासिल कर सकती है। मैंने बहुत कम उम्र से अपना सफर शुरू किया था। मैं उत्तर प्रदेश के एक छोटे शहर बरेली से आती हूं और एक मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखती हूं। ऐसे में एक लड़की के तौर पर मेरे लिए यह यात्रा बहुत कठिन थी लेकिन यहां पैरेंट्स का रोल बहुत बड़ा होता है। मैं उन मम्मी-पापा को धन्यवाद कहना चाहूंगी जो हमेशा अपने बच्चों को सुरक्षित महसूस कराते हैं और उन सभी से कहना चाहूंगी कि वे अपनी बेटी पर भरोसा करके देखें। ऐसा करने पर आपको विश्वास नहीं होगा कि वे जादू कर सकती हैं। मैं खुद को बहुत लकी मानती हूं कि मेरे माता पिता ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया, जिसके चलते आज मैं आपके सामने हूं।’    

वहीं वेब सीरीज ‘रुद्र-द एज ऑफ डार्कनेस’ से हाल ही में कैमरे के सामने वापसी करने वाली अभिनेत्री एशा देओल कहती हैं कि मजबूत महिला नेतृत्व ने ही उन्हें मनोरंजन जगत में वापसी के लिए प्रेरित किया। वह कहती हैं, ‘‘जब मैंने सिनेमा में कदम रखा था, यह उस समय से काफी बदल चुका है। अब कहानियों में महिलाओं की भूमिकाओं को बल मिल रहा है। इससे सामाजिक एवं सांस्कृतिक धारणाएं बदल रही हैं और महिलाओं किरदारों को मिल रही आकर्षक संभावनाओं ने मुझे पर्दे पर वापसी करने के लिए प्रेरित किया। मैं अपने करियर के इस नए चरण के लिए बहुत उत्साहित हूं और भविष्य में ऐसी ही सशक्त भूमिकाएं निभाने के लिए आशान्वित हूं।’’

वहीं अभिनेत्री दृष्टि धामी कहती हैं कि वेब सीरीज ‘द एंपायर’ में उनके किरदार ने उन्हें लैंगिक पक्षपात को तोड़ने के लिए प्रेरित किया। वह कहती हैं, ‘मैं जब भी खानजादा बेगम के किरदार में आती थी, तो गर्व से भर जाती थी, क्योंकि मुझे महसूस होता था कि इससे वे रूढ़िवादी परंपराएं टूट रही हैं, जो मैंने बचपन में अपने आस-पास देखी हैं। एक योद्धा का किरदार निभाना मेरे लिए अभिनव था। ऐसे शो और मूवीज़ में काम करके गर्व होता है, जो महिलाओं को सशक्त भूमिकाओं में दिखाते हैं और आज व कल की महिलाओं को प्रेरित करते हैं।’  

शेफाली शाह को भी लगता है कि ओटीटी के आने से अभिनेत्रियां रूढ़ियों को तोड़कर विभिन्न शैलियों में चुनौतीपूर्ण किरदार निभाएं रही हैं। वह कहती हैं, ‘भारतीय मनोरंजन के परिदृश्य में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अत्यधिक विकसित हो चुका है। इस शैली की जटिलता देखते हुए हाल ही में रिलीज़ किए गए हॉटस्टार स्पेशल्स मेडिकल ड्रामा, ह्यूमन में काम करना आसान नहीं था। हालांकि मेरे पूरे जीवन और करियर में मेरा उद्देश्य हमेशा आधुनिक सोच वाली फिल्में व सीरीज में काम करना रहा है, जिनसे समाज में वार्ताएं जन्म लें और दुनिया को पूर्वाग्रहों को समाप्त करने की प्रेरणा मिले।’



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