नई दिल्ली. सरकार ने आगामी बजट के जरिये महामारी से निपटने की पूरी तैयारी कर ली है. खर्च पर जोर देते हुए इस बार का बजट भी बढ़ा दिया गया है. कुछ रिपोट में दावा किया गया है कि इस बार आम बजट 2001 के बजट से करीब 14 फीसदी बड़ा होगा.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तमंत्री का पूरा जोर खर्च बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देने पर रहेगा. राजकोषीय घाटे की चिंता किए बगैर वित्तमंत्री निर्मला सीतरमण (Nirmala Sitharaman) बजट का आकार पिछली बार से 14 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं. इकोनॉमिस्ट के बीच कराए सर्वे में पता चला है कि बजट 2021-22 आकार 39.6 लाख करोड़ रुपये हो सकता है. चालू वित्तवर्ष के लिए सरकार ने 34.83 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था.
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फिर भी खाली रह सकते हैं आम आदमी के हाथ
इकोनॉमिस्ट का कहना है सरकार बढ़े हुए बजट का इस्तेमाल इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने और रोजगार बढ़ाने में करेगी. इसकी उम्मीद बेहद कम है कि वह टैक्स दरों को लेकर कोई राहत देगी. राजकोषीय स्थिति महामारी से पीडि़त परिवारों को भी ज्यादा राहत की इजाजत नहीं दे रही. ऐसे में आम आदमी को बजट से बहुत कुछ उम्मीद नहीं करना चाहिए.
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इस बार और ज्यादा कर्ज ले सकती है सरकार
इन्फ्रा क्षेत्र की बड़ी योजनाओं को धन मुहैया कराने के लिए सरकार इस बार भी काफी हद तक कर्ज पर निर्भर रहेगी. बजट में वित्तमंत्री का जोर एक बार फिर विनिवेश (Disinvestment) के जरिये सरकारी संपत्तियां बेचकर धन जुटाने पर रहेगा. इसके अलावा 13 लाख करोड़ का भारी-भरकम कर्ज भी लिया जा सकता है. बजट 2021 में सरकार ने 12.05 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने की घोषणा की थी.
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