Budget 2022: देश के विकास को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत खर्चे बढ़ा सकती है सरकार


Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) कल मंगलवार को संसद के पटल पर वर्ष 2022-23 के लिए देश का आम बजट (Union Budget) पेश करेंगी. बजट से पहले आज आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey 2021-22) प्रस्तुत किया जाएगा. जानकार बताते हैं कि बजट में सरकार का फोकस अर्थव्यवस्था पर कोविड के प्रभाव को दूर करने पर ही होगा. इसके लिए बुनियादी ढांचे (infrastructure) और अन्य विकास क्षेत्रों पर सरकारी खर्च में वृद्धि का प्रस्ताव हो सकता है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूंजीगत खर्चो में (capital expenditure) वर्ष 2021 में 4.39 ट्रिलियन के अनुमानों की तुलना में 2022 में 26 फीसदी से बढ़ाकर 5.54 ट्रिलियन कर दिया था.

वित्त वर्ष 2022 में पूंजीगत व्यय (capex) में 20 फीसदी की वृद्धि से यह आंकड़ा 6.6 ट्रिलियन से अधिक हो जाएगा, जो वित्त वर्ष 2020 में 3.4 ट्रिलियन के पूंजीगत व्यय से लगभग दोगुना है. वित्त वर्ष 2019 में बजट से कुल पूंजीगत व्यय 3.16 ट्रिलियन रुपये था.

सरकारी खर्चे भी पूंजीगत व्यय में शामिल
पिछले कुछ वर्षों में सरकारी खर्चों को पूंजीगत व्यय में ट्रांसफर कर दिया था क्योंकि इस तरह के खर्च से विकास और नौकरियों को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है, और अर्थव्यवस्था पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ता है. बजट में पूंजीगत व्यय में वृद्धि के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र के खर्च को भी प्राथमिकता देने की उम्मीद है.

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पीएम-किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN), ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम, मनरेगा (MGNREGA) जैसी योजनाओं को अधिक आवंटन मिलने की उम्मीद है. मनरेगा का फोकस उत्पादक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना भी होगा जो समग्र विकास में मदद करता है.

कुछ जानकार कहते हैं कि इस बजट में भी कैपेक्स 2021-22 के स्तर पर बना रहेगा. सरकार का पूंजीगत व्यय मुख्य रूप से नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) द्वारा संचालित किया जा रहा है. ऊर्जा, सड़क और रेलवे के पूंजीगत व्यय का लगभग 50 फीसदी हिस्सा जारी रहने की संभावना है.

पूंजीगत व्यय
सरकार अपने खर्चों को दो हिस्सों में बांटती है- पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) और राजस्व व्यय (Revenue Expenditure). सरकार की परिसंपत्तियों में वृद्धि करने वाले खर्चों को पूंजीगत व्यय माना जाता है, जैसे पुल, सड़क निर्माण. राजस्व व्यय ऐसे खर्चे होते हैं जिनसे न सरकार की उत्पादन क्षमता बढ़ती है और न ही आय, जैसे वेतन और पेंशन आदि.

पूंजीगत व्यय वे फंड होते हैं जो एक कंपनी इमारतों, संपत्ति, प्रौद्योगिकी, औद्योगिक संयंत्रों, उपकरणों, और अधिक जैसी अपनी भौतिक संपत्तियों को इकट्ठा करने, अपग्रेड करने और बनाए रखने के लिए उपयोग करती है.

पूंजीगत प्राप्ति और खर्च
पूंजीगत प्राप्ति (Capital Receipts) और पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) दोनों अलग-अलग हैं. पूंजीगत प्राप्ति में पब्लिक से लिया कर्ज, RBI से जुटाया कर्ज, विदेशी सरकार से मदद और लोन रिकवरी होती है. जबकि पूंजीगत खर्च में संपत्ति खरीदने पर खर्च या निवेश और राज्‍य सरकारों को दिया गया लोन शामिल होता है.

Tags: Budget, FM Nirmala Sitharaman

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