भारतीय समाज के एक बहुत बड़े हिस्से में अभी भी अलग-अलग जाति/ धर्म के बीच शादी मान्य नहीं है। बहुत से इलाके ऐसी शादियों के बाद तालिबानी फरमानों और ऑनर किलिंग तक के लिए कुख्यात रहे हैं। फिल्म ” में एक ऐसी ही कहानी दिखाई गई है जिसमें दो अलग धर्मों के प्यार करने वाले प्रेमी जोड़े को अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ता है।
कहानी: फिल्म की कहानी हरियाणा की जहां ज्योति () पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और एक बहुत बड़ी पॉलिटिशन फैमिली से ताल्लुक रखती है। ज्योति को अहमद उर्फ आशु (विक्रांत मैसी) से प्यार हो जाता है। आशु एक कसाईखाना चलाता है और वह पुलिस के लिए मुखबिर का काम भी करता है। आशु के पिता जेल में सजा काट रहा है। ज्योति और आशु के परिवारों में बहुत अंतर है। फिर भी दोनों भागकर कोर्ट मैरिज कर लेते हैं। ज्योति की दादी इस शादी के बिल्कुल खिलाफ है और वह ज्योति और आशु को मारने के लिए डागर () को हायर करती है जो पेशेवर हत्यारा है। अब यह कपल डागर से बच पाता है या नहीं यही फिल्म की कहानी है।
रिव्यू: फिल्म के कुछ मिनटों में ही आपको अहसास हो जाता है कि इसमें क्या दिखाया जाने वाला है। इस टॉपिक पर कई फिल्में बन चुकी हैं और यह भी उनसे कुछ अलग नहीं हैं। फिल्म कुछ भी नया नहीं दिखाती है। समय के साथ लव स्टोरी पर पकड़ कमजोर होने लगती है। फिल्म धीरे-धीरे स्लो होने लगती है। डायरेक्टर ने फिल्म को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की है लेकिन फिल्म को लचर तरीके से लिखा गया है। यह तारीफ की बात है कि इस फिल्म में कोई भी नाच-गाना नहीं डाला गया है जिससे इसकी कहानी में हल्कापन नहीं आता है। हालांकि पता नहीं क्यों इसी में अंतरधार्मिक शादी के मुद्दे के साथ सेम सेक्स रिलेशनशिप को क्यों साथ लेने की कोशिश की गई है, यह समझ से परे है।
ऐक्टिंग: इस फिल्म की सबसे अच्छी यूएसपी इसकी कास्ट की ऐक्टिंग ही कही जाएगी। सान्या, विक्रांत और बॉबी देओल ने अपने किरदारों को भरपूर जिया है और इनमें जान डाल दी है। खास तौर पर बॉबी की तारीफ करनी होगी जो निगेटिव किरदार में बिल्कुल खतरनाक नजर आ रहे हैं। सान्या और विक्रांत एक कपल के तौर पर बेहद क्यूट नजर आ रहे हैं। फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट ने भी बढ़िया काम किया है।
क्यों देखें: इस फिल्म को सान्या, विक्रांत और बॉबी की ऐक्टिंग के लिए देख सकते हैं।