हिंदी हैं हम शब्द-श्रृंखला में आज का शब्द है विद्युत जिसका अर्थ है बिजली; वज्र; अत्यंत चमकीला। कवि गोपाल सिंह नेपाली ने अपनी कविता में इस शब्द को प्रयोग किया है।मैं विद्युत में तुम्हें निहारूँ
नील गगन में पंख पसारूँ
दुःख है, तुमसे बिछड़ गया हूँ
किन्तु तुम्हारी सुधि न बिसारूँउलझन में दुःख में वियोग में
अब तुम याद बहुत आती हो
घनी घटा में तुमको खोजूँ
मैं विद्युत में तुम्हें निहारूँजब से बिछुड़े हैं हम दोनों
मति-गति मेरी बदल गई है;
पावस में हिम में बसंत में
हँसते-रोते तुम्हें पुकारूँतब तक मन मंदिर में मेरे
होती रहे तुम्हारी पग-ध्वनि
तब तक उत्साहित हूँ, बाजी
इस जीवन की कभी न हारूँतुम हो दूर दूर हूँ मैं भी
जीने की यह रीती निकालें
तुम प्रेमी हो-प्रेम पसारो
मैं प्रेमी हूँ-जीवन वारूँ
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