जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में छपी एक स्टडी के अनुसार, यह खोज ‘अद्वितीय और महत्वपूर्ण’ है। आज तक किसी सरीसृप में अंडे के अंदर अंडे की खोज नहीं की गई। यह इस बात पर भी रोशनी डाल सकता है कि क्या डायनासोर की रिप्रोडक्टिव बायलॉजी कछुओं, छिपकलियों, मगरमच्छों या पक्षियों आदि के समान थी। गौरतलब है कि डायनासोर के जीवाश्म अपर क्रेटेशियस लैमेटा फॉर्मेशन में पाए गए हैं, जो पश्चिम और मध्य भारत में 5,000 किलोमीटर तक फैला है।
कहा जा रहा है कि जो अंडा मिला है, वह टाइटनोसॉरिड डायनासोर का है। इनका आकार करीब 50 फीट तक होता था। ये क्रेटेशियस पीरियड के दौरान दक्षिणी गोलार्ध में रहते थे। वैज्ञानिक इन डायनासोरों के बारे में अबतक ज्यादा खोज नहीं कर पाए हैं। कहा जाता है कि इस ग्रुप के डायनासोर धरती पर रहने वाले अबतक के सबसे बड़े जीव थे।
साइंटिस्टों को उनकी रिसर्च में कुल 10 अंडे मिले। इन्हीं में से एक अंडे के अंदर अंडा मिला है। इनमें से बड़े अंडे का डायामीटर 16.6 सेंटीमीटर है, जबकि छोटे अंडे का डायमीटर 14.7 सेंटीमीटर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अंडे से डायनासोर के प्रजनन को समझने में मदद मिलेगी।
भारत में इस तरह के अंडे की खोज पहले कभी नहीं हुई। इसका मतलब है कि मध्य और पश्चिमी भारत में डायनासोर के जीवाश्मों से काफी जानकारी मिल सकती है। खासतौर पर उनके प्रजनन के बारे में। वैज्ञानिक अबतक मानते हैं कि डायनासोर का प्रजनन रेप्टाइल्स जैसा था, पर उनमें अंडे के अंदर अंडा नहीं होता। यह भी संभावना है कि वक्त के साथ डायनासोर के प्रजनन में बदलाव आया हो। बहरहाल यह लंबे शोध का विषय है, जिसमें आने वाले वक्त में और जानकारी मिलने की उम्मीद है।
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