अशोक गहलोत vs शशि थरूर: कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कौन ज्यादा मजबूत, सफर-अनुभव-प्रभाव में कौन भारी, जानें


कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 17 अक्तूबर को होने वाले अध्यक्ष पद के चुनाव में राहुल गांधी के नामांकन भरने की संभावनाएं काफी कम हैं। हालांकि, कुछ और नेताओं की उम्मीदवारी को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। कांग्रेस के दो नेताओं को लेकर तो पूरी संभावना है कि वे अध्यक्ष पद की रेस में खड़े हो सकते हैं। इनमें एक नाम है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का, दूसरा नाम है शशि थरूर का, जो केरल के तिरुवनंतपुरम से पार्टी के सांसद हैं। 

ऐसे में एक सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत और थरूर की क्या राय है? दोनों के नामों में कितना दम है? दोनों के अध्यक्ष बनने की संभावनाएं क्या हैं? गहलोत और थरूर के पीछे किस-किस नेता का समर्थन है? इसके अलावा  कौन से नेता हैं, जिनकी ओर से कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी पेश की जा सकती है? आइये  जानते हैं…

थरूर vs गहलोत: कैसे शुरू हुई नामों पर चर्चा?

1. शशि थरूर

कांग्रेस में गांधी परिवार से इतर सबसे पहले शशि थरूर ने अपनी दावेदारी पेश की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, थरूर ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से सोमवार को मुलाकात की और अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़े होने की मंशा जाहिर की। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सोनिया गांधी ने थरूर से कहा था कि वे इन चुनावों में पूरी तरह निष्पक्ष रहेंगी। 

अब बात करते हैं शशि थरूर की उम्मीदवारी की। कांग्रेस के जी-23 ग्रुप में शामिल रहे शशि थरूर पहले राजनयिक भी रह चुके हैं और संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनकी उम्मीदवारी को लेकर अटकलों को तब बल मिला जब थरूर ने एक ट्वीट के जरिए कांग्रेस के युवा सदस्यों की तरफ से पार्टी में सुधार की मांग वाली चिट्ठी का समर्थन कर दिया। जिस याचिका का थरूर ने समर्थन किया, उसमें अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने वालों से अपील की गई है कि वे कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में कांग्रेस की ब्लॉक समितियों के सदस्यों को भी शामिल करेंगे। 

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए शशि थरूर के नाम की चर्चा हो रही है। सितंबर की शुरुआत में ही जब उनसे अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने पर सवाल किया गया तो थरूर ने कहा था कि वे पार्टी में चुनाव के एलान से काफी खुश हैं और इसका स्वागत करते हैं। थरूर ने कहा था कि यह पार्टी के लिए काफी अच्छा होगा। 

2. अशोक गहलोत

अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने की अटकलें भी लंबे समय से लग रही हैं। हालांकि, उनके कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी पेश करने की बात हालिया दिनों में हुई कुछ घटनाओं से साफ हो गईं। सबसे पहले अगस्त में रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि सोनिया गांधी ने गहलोत से मुलाकात कर 71 वर्षीय नेता से पार्टी का नेतृत्व करने के लिए कहा था। हालांकि, तब गहलोत ने ऐसी खबरों का खंडन किया था और कहा था कि पार्टी आलाकमान ने उन्हें पहले से ही जिम्मेदारियां दी हैं और वे राजस्थान में रहते हुए उन जिम्मेदारियों से समझौता नहीं करेंगे। 

बताया जाता है कि शुरुआत में गहलोत अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवारी पेश करने से बचते रहे और राहुल गांधी को खड़ा करने के पक्ष में ही बयान देते रहे। हालांकि, इस हफ्ते राजस्थान में उन्होंने एक के बाद एक विधायकों के साथ बैठक की, जिससे लगभग तय हो गया कि गहलोत राजस्थान में अपने उत्तराधिकारी की तलाश को लेकर चर्चाओं में जुटे हैं। 

सफर, अनुभव और प्रभाव में कितने अलग दोनों नेता?

अशोक गहलोत

1. शशि थरूर से लंबा राजनीतिक सफर

अशोक गहलोत और शशि थरूर दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि, दोनों का ही पार्टी में सफर, अनुभव और प्रभाव काफी अलग रहा है। जहां अशोक गहलोत कांग्रेस में पांच दशकों तक एक के बाद एक सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर आए हैं। वहीं, थरूर शुरुआती समय में राजनयिक, लेखक रहे और संयुक्त राष्ट्र के साथ तीन दशकों तक काम कर चुके हैं। इसी दौर में उनकी कांग्रेस में भी एंट्री हुई थी। हालांकि, थरूर का भी पार्टी में अनुभव करीब एक दशक से ज्यादा का है। 

2. शशि थरूर से ज्यादा अनुभवी हैं गहलोत

शशि थरूर के मुकाबले अशोक गहलोत के पास संगठन में काम करने का अनुभव जाहिर तौर पर ज्यादा है। वे राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी रहे हैं, जिसे कांग्रेस के काम करने के ढंग की करीब से जानकारी है। गहलोत की शुरुआत ही कांग्रेस के स्टूडेंट विंग- एनएसयूआई से हुई। इसके बाद वे केंद्र में कांग्रेस की सरकार रहने के दौरान पार्टी महासचिव के पद पर भी रहे। गहलोत ने राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला है और कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं। केसी वेणुगोपाल से पहले वे ही संगठन के महासचिव पद पर थे। इसके अलावा गहलोत अपने साथ तीन बार मुख्यमंत्री रहने का अनुभव भी लेकर आते हैं। इतना ही नहीं वे पांच बार के लोकसभा सांसद भी हैं। 



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