कांग्रेस के चिंतन शिविर पर बिहार BJP का तंज, कहा- ‘परिवार’ के कारण राज्य में RJD हुई मजबूत


पटना. राजस्थान के उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर के बहाने बिहार बीजेपी (Bihar BJP) के अध्यक्ष संजय जयसवाल ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. संजय जयसवाल (Sanjay Jaiswal) ने कहा कि यह चिंतन शिविर (Congress Chintan Shivir) कांग्रेस पार्टी पर ‘परिवार’ की पकड़ को मजबूत रखने के लिए हुई. ‘परिवार’ के कारण ही बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) लगातार मजबूत होती गयी और कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व पूरी तरह से नष्ट, भ्रष्ट और ध्वस्त हो गया.

संजय जयसवाल ने सोमवार को फेसबुक पोस्ट लिख कर कांग्रेस के चिंतन शिविर पर जमकर हमला बोलते हुए कहा, ‘कांग्रेस के तथाकथित ‘चिंतन शिविर’ में जो कुछ भी हुआ, उससे राजनीति में रूचि रखने वाले लोग पूर्व से ही परिचित थे. लोग पहले से ही जान रहे थे कि यह ‘चिंतन’ पार्टी पर ‘परिवार’ की पकड़ मजबूत बनाए रखने और ‘परिवार’ के प्रति वफ़ादारी के ‘संकल्प’ को बनाए रखने तक ही सीमित रहने वाला है. लेकिन बिहार कांग्रेस के नेताओं का रवैया आश्चर्यजनक रहा है. खबरों के मुताबिक ‘परिवार’ के समक्ष पहली बार हिम्मत दिखाते हुए बिहार कांग्रेस के नेताओं ने आरजेडी का साथ हर हाल में छोड़ने की सिफारिश की है.

हालांकि बिहार कांग्रेस के नेता भी जानते हैं कि जब तक गांधी परिवार की मुहर न लगे वो चाह कर भी पार्टी को उठाने के लिए कुछ नहीं कर सकते. दरअसल कांग्रेस की यही विवशता कांग्रेस के पतन का कारण है.

जिस प्रकार प्राचीन काल में दो राज परिवारों के बीच होने वाली संधियों में परिवार के ख़ास सलाहकारों के अतिरिक्त किसी अन्य की राय का कोई महत्व नहीं हुआ करता था. आरजेडी-कांग्रेस के रिश्ते में भी कुछ वैसा ही है. लेकिन अपने नेताओं के मुखर होने के कारण जहां आरजेडी लगातार मजबूत होती गयी वहीं ‘परिवार’ के हवा-हवाई  फैसलों के कारण कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व पूरी तरह से नष्ट, भ्रष्ट और ध्वस्त हो गया. स्थिति यह हो गयी कि कांग्रेस पूरी तरह से आरजेडी पर निर्भर हो गयी. लोग यहां तक बताते हैं कि कांग्रेस के नेता पद या टिकट के लिए अपने नेताओं से पैरवी करने के बजाए आरजेडी के दरबार में हाजिरी लगाते हैं. नतीजा यह हुआ कि लंबे समय तक अर्श पर रही कांग्रेस फर्श पर बिखर गयी.’

उदयपुर में 13-15 मई तक चला था कांग्रेस का चिंतन शिविर

बता दें कि कांग्रेस का चिंतन शिविर 19 वर्ष के अंतराल के बाद आयोजित किया गया था. उदयपुर में तीन दिन तक चले चिंतिन शिविर में लोकसभा चुनाव 2024 का रोडमैप समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई. साथ ही कांग्रेस को देश में फिर से स्थापित करने और जनता से टूटा हुआ संवाद दोबारा कायम करने की बात कही गई.

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